बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना यौन उत्पीड़न मामले की पीड़िता के अपहरण के मामले में भवानी रेवन्ना को सशर्त अग्रिम जमानत दे दी है. भवानी रेवन्ना की अर्जी के संबंध में न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की अध्यक्षता वाली पीठ ने दलीलें सुनने और 14 जून को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया और अब सशर्त जमानत देने का आदेश दिया. कोर्ट ने आदेश दिया है कि जब भी उन्हें सुनवाई के लिए बुलाया जाए तो उन्हें हाजिर होना होगा. साथ ही कोर्ट ने भवानी से यह भी कहा कि, उन्हें जांच में सहयोग करना होगा और जब भी उन्हें मैसूर और हसन जिलों में बुलाया जाएगा उन्हें वहां उपस्थित होना होगा.
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि भवानी ने जांच के दौरान पहले ही 85 सवालों के जवाब दे दिए हैं, जिससे यह दावा करना अनुचित हो जाता है कि वह विशेष जांच दल (एसआईटी) के साथ सहयोग नहीं कर रही हैं, जो प्रज्वल के खिलाफ यौन शोषण के मामलों की जांच कर रही है. पूछताछ में शामिल होने में विफल रहने के बाद एसआईटी ने मैसूर जिले के केआर नगर में एक घरेलू सहायिका के अपहरण के मामले में उनकी हिरासत की मांग की थी. न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित ने अग्रिम जमानत की मांग करने वाली भवानी की याचिका को स्वीकार करते हुए उन्हें मीडिया ट्रायल से बचने की सलाह दी. साथ ही कोर्ट ने परिवार में उनकी (भवानी) केंद्रीय भूमिका को ध्यान में रखते हुए महिलाओं की अनावश्यक गिरफ्तारी नहीं करने के निर्देश दिए.
क्या है मामला
प्रज्वल रेवन्ना यौन उत्पीड़न मामले की पीड़ित महिला के कथित अपहरण को लेकर केआर नगर पुलिस स्टेशन में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत भवानी रेवन्ना के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. भवानी के पति जेडीएस विधायक एचडी रेवन्ना पहले आरोपी हैं और सतीश बबन्ना दूसरे आरोपी हैं. एसआईटी की ओर से नोटिस जारी कर सुनवाई में शामिल होने के निर्देश दिए जाने के बाद भी भवानी रेवन्ना पेश नहीं हुईं. इस वजह से उन्हें गिरफ्तारी का भी डर था. इस मामले में भवानी ने जमानत के लिए अर्जी दी थी.
प्रज्वल रेवन्ना केस को लेकर हाईकोर्ट मे सुनवाई
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एसआईटी की इस दलील को खारिज कर दिया कि उन्होंने गुमराह करने वाले जवाब दिए हैं. 7 जून को, अदालत ने भवानी को मैसूर और हसन जिलों में प्रवेश करने से रोकने की शर्तों के साथ अंतरिम अग्रिम जमानत दी थी, और फिर इसे 14 जून को बढ़ा दिया गया था. पहले की शर्तों के अलावा, अदालत ने मंगलवार को एसआईटी को अपनी जांच के लिए उसे हसन और मैसूरु जिलों में ले जाने की अनुमति दे दी. भवानी पर उस महिला को शिकायत दर्ज करने से रोकने की कोशिश करने का आरोप है, जिसका प्रज्वल ने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया था. कथित तौर पर कई महिलाओं का यौन शोषण करने के आरोप में प्रज्वल वर्तमान में एसआईटी की हिरासत में है. बता दें कि, 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव से पहले हासन में कथित तौर पर प्रज्वल से जुड़े स्पष्ट वीडियो वाले पेन-ड्राइव प्रसारित होने के बाद यौन शोषण के मामले सामने आए. 31 मई को जर्मनी से बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के तुरंत बाद एसआईटी अधिकारियों ने प्रज्वल को गिरफ्तार कर लिया. हसन के चुनाव में जाने के एक दिन बाद वह 27 अप्रैल को जर्मनी के लिए रवाना हुए थे. केंद्रीय जांच ब्यूरो के माध्यम से एसआईटी के अनुरोध के बाद, उसके ठिकाने के बारे में जानकारी मांगने वाला एक 'ब्लू कॉर्नर नोटिस' पहले इंटरपोल द्वारा जारी किया गया था.
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