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कर्नाटक के वन मंत्री ने संदूर में लौह अयस्क खनन के लिए वन भूमि को लीज पर देने पर रोक लगाई - Karnataka iron ore mining in Sandur

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By ANI

Published : Jun 23, 2024, 10:53 AM IST

Iron Ore Mining In Sandur Karnataka: केंद्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने पदभार ग्रहण करने के बाद जिस पहली फाइल पर हस्ताक्षर किए थे. वह फाइल कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी लिमिटेड (केआईओसीएल) तथा दूसरी फाइल बेल्लारी जिले के संदूर तालुक में सेल/वीएसआईएल को खनन पट्टे देने से संबंधित थी. अब कर्नाटक के पर्यावरण, पारिस्थितिकी और वन मंत्री ईश्वर बी खंड्रे ने इसपर रोक लगाने की घोषणा की है.

Iron Ore Mining In Sandur Karnataka
वन मंत्री ईश्वर बी खंड्रे की फाइल फोटो. (ANI)

बेंगलुरु: कर्नाटक के पर्यावरण, पारिस्थितिकी और वन मंत्री ईश्वर बी खंड्रे ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे बेल्लारी के संदूर के देवदरी वन क्षेत्र को कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी लिमिटेड (केआईओसीएल) को न सौंपें. यह केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी द्वारा कंपनी को देवदरी वन क्षेत्र में खनन शुरू करने की सहमति देने के बाद आया है.

मंत्री ईश्वर खंड्रे ने कहा कि अगर अनुमति दी गई तो यहां खनन के कारण 99,330 पेड़ काटे जाएंगे और नष्ट हो जाएंगे. अगर घने जंगल नष्ट हो गए तो मिट्टी के कटाव और बाढ़ की समस्या पैदा होगी. इससे चंदन, सागौन, बांस, डिंडाला, होने, रक्त भूतला, लुटीवाला, बिल्व, कल्लू, आम, अराली और कडुबन्नी समेत हजारों पेड़ नष्ट हो जाएंगे. इसलिए, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खनन की अनुमति देने के लिए संबंधित लोगों के समक्ष कड़ी आपत्ति जताई है.

वन विभाग के रिकॉर्ड से यह भी पता चलता है कि खनन के लिए 99,000 से अधिक पेड़ों को चरणबद्ध तरीके से काटना पड़ेगा. इस प्रकार, खनन कार्यों की अनुमति देने के लिए केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी के खिलाफ बेल्लारी सहित पूरे राज्य में व्यापक विरोध हो रहा है. खनन कंपनी के खिलाफ कई खामियों का भी आरोप लगाया गया है.

कंपनी पहले भी वन नियमों का उल्लंघन करने के कारण मुश्किल में पड़ चुकी है. इन सब को देखते हुए ईश्वर खंड्रे ने फिलहाल अरण्य तिरुवल्ली अनुबंध पर हस्ताक्षर न करने का निर्देश दिया है. इससे पहले 28 मार्च 2016 को वन विभाग के प्रधान वन संरक्षक की अध्यक्षता में वन क्षेत्रों में नए खनन पट्टे की अनुमति न देने का निर्णय लिया गया था. खनन स्थल दारोजी भालू अभयारण्य से मात्र 19 किलोमीटर दूर है.

सोशल मीडिया पर 'सैंडूरू वन बचाओ' नामक खनन के खिलाफ अभियान शुरू हो गया है और खनन के खिलाफ आवाज धीरे-धीरे फैल रही है. सरकार के निर्णय के अनुसार, केआईओसीएल संदूर वन के स्वामीमलाई ब्लॉक में कुल 470.408 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन करेगी.

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बेंगलुरु: कर्नाटक के पर्यावरण, पारिस्थितिकी और वन मंत्री ईश्वर बी खंड्रे ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे बेल्लारी के संदूर के देवदरी वन क्षेत्र को कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी लिमिटेड (केआईओसीएल) को न सौंपें. यह केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी द्वारा कंपनी को देवदरी वन क्षेत्र में खनन शुरू करने की सहमति देने के बाद आया है.

मंत्री ईश्वर खंड्रे ने कहा कि अगर अनुमति दी गई तो यहां खनन के कारण 99,330 पेड़ काटे जाएंगे और नष्ट हो जाएंगे. अगर घने जंगल नष्ट हो गए तो मिट्टी के कटाव और बाढ़ की समस्या पैदा होगी. इससे चंदन, सागौन, बांस, डिंडाला, होने, रक्त भूतला, लुटीवाला, बिल्व, कल्लू, आम, अराली और कडुबन्नी समेत हजारों पेड़ नष्ट हो जाएंगे. इसलिए, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खनन की अनुमति देने के लिए संबंधित लोगों के समक्ष कड़ी आपत्ति जताई है.

वन विभाग के रिकॉर्ड से यह भी पता चलता है कि खनन के लिए 99,000 से अधिक पेड़ों को चरणबद्ध तरीके से काटना पड़ेगा. इस प्रकार, खनन कार्यों की अनुमति देने के लिए केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी के खिलाफ बेल्लारी सहित पूरे राज्य में व्यापक विरोध हो रहा है. खनन कंपनी के खिलाफ कई खामियों का भी आरोप लगाया गया है.

कंपनी पहले भी वन नियमों का उल्लंघन करने के कारण मुश्किल में पड़ चुकी है. इन सब को देखते हुए ईश्वर खंड्रे ने फिलहाल अरण्य तिरुवल्ली अनुबंध पर हस्ताक्षर न करने का निर्देश दिया है. इससे पहले 28 मार्च 2016 को वन विभाग के प्रधान वन संरक्षक की अध्यक्षता में वन क्षेत्रों में नए खनन पट्टे की अनुमति न देने का निर्णय लिया गया था. खनन स्थल दारोजी भालू अभयारण्य से मात्र 19 किलोमीटर दूर है.

सोशल मीडिया पर 'सैंडूरू वन बचाओ' नामक खनन के खिलाफ अभियान शुरू हो गया है और खनन के खिलाफ आवाज धीरे-धीरे फैल रही है. सरकार के निर्णय के अनुसार, केआईओसीएल संदूर वन के स्वामीमलाई ब्लॉक में कुल 470.408 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन करेगी.

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