करीमनगर: तेलंगाना के करीमनगर जिले के किट्स कॉलेज (KIITS) के छात्रों ने सफाई कर्मचारियों की परेशानी को समझते हुए एक बेहतरीन समाधान खोज निकाला है. एक ऐसी खोज, जिससे सीवर की सफाई करने वाले कर्मियों का बोझ काफी हद तक कम हो जाएगा. किट्स कॉलेज के छात्रों ने काफी कम लागत में सोलर ड्रेनेज क्लीनर विकसित किया है. जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना भी आसान है. बरसात के मौसम में सीवेज नहर के शहर से दूर होने के बाद भी बदबू अक्सर लोगों को नाक ढकने को मजबूर करती है. एक तो बरसात ऊपर से गंदगी की बदबू, इन परिस्थितियों में लोगों का सड़क से गुजरना चुनौतीपूर्ण हो जाता है. वहीं उन सफाई कर्मचारियों की दुर्दशा के बारे में अगर सोचा जाए तो घरों में रहने वाले या फिर सड़कों पर चलने वाले लोगों के मुकाबले उनका संघर्ष कहीं अधिक है, जो अथक परिश्रम करके शहर का कचरा और गंदगी को साफ करते हैं.
सफाईकर्मियों का काम होगा आसान
शहर को साफ करने के लिए संघर्ष करने वाले कर्मियों की परेशानी को समझते हुए, करीमनगर के किट्स कॉलेज के छात्रों की यह नई सोलर ड्रेनेज क्लीनर की खोज सफाई के क्षेत्र में नई क्रांति ला सकता है. बता दें कि, सीवेज नहर, मैनहोल की सफाई करने के कारण सफाईकर्मी में बीमार पड़ने और जान तक गंवाने का खतरा बना रहता है. हमें आए दिन ऐसी खबरें हमें देखने और सुनने को मिलती हैं. किट्स कॉलेज के छात्रों ने अपने अथक प्रयासों से एक कम लागत वाली सौर ऊर्जा से चलने वाली नाली सफाई मशीन का निर्माण किया है. मैनहोल की सफाई के दौरान सफाई कर्मचारियों के बीमार पड़ने या यहां तक कि उनकी जान गंवाने की लगातार खबरों से प्रेरित होकर, अंतिम वर्ष के इंजीनियरिंग छात्रों ने अपने प्रोजेक्ट के माध्यम से इस मुद्दे को संबोधित करने का फैसला किया। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप 'कम लागत वाली सौर ऊर्जा नाली सफाई मशीन' का निर्माण हुआ.
कम लागत से तैयार सोलर ड्रेनेज क्लीनर
छात्रों ने बताया कि, जरूरत पड़ने पर इस मशीन को बैटरी से भी चलाया जा सकता है. छात्रों ने बताया कि, इस परियोजना की कुल लागत 38,000 रुपये थी, जिसमें इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स इंडिया ने इसके विकास में 20 हजार रुपये की वित्तीय सहायता दी थी. सबसे अच्छी बात यह है कि, इस मशीन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाया जा सकता है. दूसरी तरफ से कॉलेज स्टाफ ने अपने विद्यार्थियों की उपलब्धि पर गर्व जताया है. केआईटीएस कॉलेज के निदेशक के. शंकर और मैकेनिकल विभाग के प्रमुख सतीश कुमार दोनों ने छात्रों को उनके सामाजिक योगदान और उनकी पढ़ाई के व्यावहारिक अनुप्रयोग के लिए सराहना की. यह आविष्कार न केवल छात्रों की शिक्षा में मूल्य जोड़ता है, बल्कि स्वच्छता कार्यकर्ताओं के सामने आने वाली एक महत्वपूर्ण समस्या का व्यावहारिक समाधान भी प्रदान करता है, जिससे छात्रों को उनके प्रयासों के लिए अच्छी सराहना मिलती है.
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