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कपिल सिब्बल ने मोहन भागवत के विजयादशमी भाषण में सद्भाव के आह्वान पर कटाक्ष किया

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के विजयादशमी भाषण पर टिप्पणी की.

Kapil Sibal
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने आरएसएस प्रमुख पर कटाक्ष किया (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 13, 2024, 1:36 PM IST

नई दिल्ली: राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के विजयादशमी भाषण में सामाजिक, सांस्कृतिक सद्भाव पर जोर देने के कटाक्ष किया. सिब्बल ने पूछा कि उनकी टिप्पणियों को कौन सुन रहा है.

शनिवार को विजयादशमी के अवसर पर अपने भाषण में भागवत ने कहा कि स्वस्थ और सक्षम समाज के लिए पहली शर्त समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सामाजिक सद्भाव और आपसी सद्भावना है. उन्होंने आगे कहा कि यह कार्य केवल कुछ प्रतीकात्मक कार्यक्रम आयोजित करने से नहीं बल्कि व्यक्तिगत और पारिवारिक स्तर पर सौहार्द बढ़ाने की पहल करके पूरा किया जा सकता है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने एक्स से कहा, 'विजयादशमी पर मोहन भागवत का संदेश. सभी त्योहारों को एक साथ मनाना चाहिए. सभी प्रकार के लोगों के बीच मित्रता होनी चाहिए. भाषा विविध हो सकती है, संस्कृतियां विविध हो सकती हैं, भोजन विविध हो सकता है लेकिन मित्रता उन्हें एक साथ लाएगी. कौन सुन रहा है? मोदी? अन्य?'

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी भागवत की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि आरएसएस उस पार्टी का समर्थन करता है जो देश में फूट चाहती है. भागवत ने कहा कि भारत का राष्ट्रीय जीवन सांस्कृतिक एकता की मजबूत नींव पर खड़ा है और देश का सामाजिक जीवन उच्च मूल्यों से पोषित है.

आरएसएस प्रमुख ने सांस्कृतिक मार्क्सवादियों द्वारा सांस्कृतिक परंपराओं के लिए उत्पन्न खतरों का उल्लेख करते हुए कहा कि मूल्यों और परंपराओं का विनाश इस समूह की कार्यप्रणाली का एक हिस्सा है. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ऐसे समूहों का पहला कदम समाज की संस्थाओं पर कब्जा करना होता है.

ये भी पढ़ें- परिस्थितियां चुनौतियां देती हैं, हमें भविष्य के लिए तैयार होना है: मोहन भागवत

नई दिल्ली: राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के विजयादशमी भाषण में सामाजिक, सांस्कृतिक सद्भाव पर जोर देने के कटाक्ष किया. सिब्बल ने पूछा कि उनकी टिप्पणियों को कौन सुन रहा है.

शनिवार को विजयादशमी के अवसर पर अपने भाषण में भागवत ने कहा कि स्वस्थ और सक्षम समाज के लिए पहली शर्त समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सामाजिक सद्भाव और आपसी सद्भावना है. उन्होंने आगे कहा कि यह कार्य केवल कुछ प्रतीकात्मक कार्यक्रम आयोजित करने से नहीं बल्कि व्यक्तिगत और पारिवारिक स्तर पर सौहार्द बढ़ाने की पहल करके पूरा किया जा सकता है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने एक्स से कहा, 'विजयादशमी पर मोहन भागवत का संदेश. सभी त्योहारों को एक साथ मनाना चाहिए. सभी प्रकार के लोगों के बीच मित्रता होनी चाहिए. भाषा विविध हो सकती है, संस्कृतियां विविध हो सकती हैं, भोजन विविध हो सकता है लेकिन मित्रता उन्हें एक साथ लाएगी. कौन सुन रहा है? मोदी? अन्य?'

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी भागवत की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि आरएसएस उस पार्टी का समर्थन करता है जो देश में फूट चाहती है. भागवत ने कहा कि भारत का राष्ट्रीय जीवन सांस्कृतिक एकता की मजबूत नींव पर खड़ा है और देश का सामाजिक जीवन उच्च मूल्यों से पोषित है.

आरएसएस प्रमुख ने सांस्कृतिक मार्क्सवादियों द्वारा सांस्कृतिक परंपराओं के लिए उत्पन्न खतरों का उल्लेख करते हुए कहा कि मूल्यों और परंपराओं का विनाश इस समूह की कार्यप्रणाली का एक हिस्सा है. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ऐसे समूहों का पहला कदम समाज की संस्थाओं पर कब्जा करना होता है.

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