नई दिल्ली: अभिनेत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद कंगना रनौत ने बांग्लादेश में राजनीतिक संकट पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आखिर ममता बनर्जी ने आखिरकार पश्चिम बंगाल को भारत का हिस्सा मान लिया है. कंगना की यह टिप्पणी ममता बनर्जी के उस बयान पर आई है, जिसमें मुख्यमंत्री ने बांग्लादेश के प्रति केंद्र सरकार के रुख का समर्थन करने की बात कही थी.
कंगना ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, "ममता दीदी को भी प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) की याद आई, आखिरकार उन्होंने अपनी लाइफ में पहली बार बंगाल को भारत का हिस्सा माना. सेंटर को सपोर्ट किया. वाह! क्या नजारा है."
बीजेपी सांसद ने आगे कहा कि वह (ममता बनर्जी) जानती हैं कि सबसे उनका नंबर सबसे पहले आएगा, जिन बंग्लादेशी रेफ्यूजी को वोट बैंक के लिए पाल रखा है, वे सब कतार लेके आएंगे, लेकिन ममता दीदी निश्चित रहें कि राम राज्य में उनकी रक्षा की जाएगी. चिंता की कोई बात नहीं है, देश सुरक्षित हाथों में है.
ममता बनर्जी का बयान
बता दें कि सोमवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बीच बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने और देश छोड़ने के कुछ घंटों बाद, ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के लोगों से शांति बनाए रखने और उकसावे से बचने की अपील की थी. उन्होंने यह भी कहा था कि राज्य सरकार इस मामले में केंद्र द्वारा लिए जाने वाले किसी भी निर्णय का समर्थन करेगी.
ममता बनर्जी ने कहा था, "मैं बंगाल के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करती हूं. किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें. यह दो देशों के बीच का मामला है, केंद्र सरकार जो भी निर्णय लेगी, हम उसका समर्थन करेंगे."
बांग्लादेश संकट
उल्लेखनीय है कि शेख हसीना ने सोमवार को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर भाग गईं. 15 साल तक सत्ता में रहीं हसीना ने इस्तीफा ऐसे समय में दिया जब उनके प्रशासन द्वारा एक आंदोलन पर की गई कार्रवाई में 300 से अधिक लोगों की मौत पर जनता का गुस्सा बढ़ गया. यह आंदोलन सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के रूप में शुरू हुआ और उनके इस्तीफे की मांग करने वाले जन आंदोलन में बदल गया.
इसके बाद मंगलवार को नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया. यह फैसला राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन की तीनों सेनाओं के प्रमुखों और बंगभवन में भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बैठक में लिया गया.
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