ETV Bharat / bharat

Jharkhand Election 2024: अपने गढ़ संथाल से JMM को क्या उम्मीदें हैं? 2019 का जादू चलेगा या फिर बीजेपी मारेगी बाजी?

संथाल परगना JMM का मुख्य गढ़ माना जाता है, इसलिए JMM को इस बार के चुनाव नतीजों से काफी उम्मीदें हैं.

Santhal Pargana
ईटीवी ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 22, 2024, 10:41 PM IST

Updated : Nov 22, 2024, 10:52 PM IST

रांची: झारखंड की राजनीति में संथाल परगना सबसे अहम क्षेत्र माना जाता है. किसी भी पार्टी को सत्ता में आने के लिए संथाल का समर्थन जरूरी हो जाता है. संथाल की 18 सीटें झारखंड का भविष्य तय करने में अहम भूमिका निभाती हैं. JMM को इस क्षेत्र से सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं. संथाल परगना को JMM का गढ़ माना जाता है. खुद सीएम हेमंत सोरेन इसी क्षेत्र से चुने जाते हैं. अब जब 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव अंतिम चरण में हैं. मतगणना में बस कुछ ही समय बचा है. तो ऐसे में यह चर्चा आम है कि इस बार संथाल परगना JMM को कितना समर्थन देगा और JMM को संथाल से क्या उम्मीदें हैं.

संथाल परगना का जेएमएम और झारखंड की राजनीति में कितना महत्व है, इसका अंदाजा बीजेपी को भी है. शायद यही वजह है कि बीजेपी ने संथाल में काफी मेहनत की है. बीजेपी इस चुनाव परिणाम को 2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम से बेहतर बनाने की पूरी कोशिश कर रही है.

संथाल में 2019 के परिणाम

2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को संथाल परगना में करारी हार का सामना करना पड़ा था. 2014 में बीजेपी को इस क्षेत्र से 7 सीटें मिली थीं. जबकि 2019 में यह सीट घटकर 4 रह गई. जबकि 2014 में जेएमएम को 6 सीटें मिली थीं. जो 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 9 हो गया. हालांकि 2019 में जेएमएम ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. जहां कांग्रेस ने भी 4 सीटें जीती थीं. ऐसे में संथाल की 18 सीटों में से 2019 के चुनाव परिणाम में बीजेपी को सिर्फ चार सीटें मिलीं, जबकि जेएमएम और कांग्रेस गठबंधन को 13 सीटें मिलीं. वहीं एक सीट जेवीएम के खाते में गई. प्रदीप यादव झाविमो के टिकट पर पोड़ैयाहाट विधानसभा से चुनाव जीते थे. हालांकि बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए. इस तरह संथाल की 14 सीटें झामुमो और कांग्रेस गठबंधन के खाते में चली गईं.

क्यों खास है संथाल

झारखंड की राजनीति में संथाल परगना कई मायनों में खास है. इस क्षेत्र ने झारखंड को तीन मुख्यमंत्री दिए हैं. मौजूदा सीएम हेमंत सोरेन भी इसी क्षेत्र से चुने गए हैं. यहां का चुनाव परिणाम सीधे तौर पर झारखंड की राजनीति को प्रभावित करता है. वहीं, यहां के मतदाताओं के मूड का असर संथाल से सटे धनबाद-गिरिडीह के मतदाताओं पर भी पड़ता है.

संथाल में पार्टियों की रणनीति

संथाल परगना के महत्व को देखते हुए सभी राजनीतिक दलों ने इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश की है. इस बार एनडीए ने संथाल में डेमोग्राफी चेंज और बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया. भाजपा के हर कार्यक्रम और सभा में इस मुद्दे पर हेमंत सरकार को घेरने की कोशिश की गई. वहीं, दूसरी ओर इंडिया गठबंधन की ओर से झारखंड सरकार की योजनाओं को प्रमुखता से लोगों के सामने रखा गया. संविधान और आरक्षण का मुद्दा भी लोगों के सामने उठाया गया. इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश की गई.

क्या हैं झामुमो की उम्मीदें

झामुमो अपने गढ़ में पीछे रहने के मूड में नहीं है. इसकी झलक झामुमो के चुनाव प्रचार में भी देखने को मिली. संथाल में झामुमो को काफी उम्मीदें हैं. झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय का मानना ​​है कि इस क्षेत्र में गठबंधन पिछले विधानसभा चुनाव से बेहतर प्रदर्शन करेगा. इस बार हम 18 में 15 सीटें जीतेंगे. झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने भी मनोज पांडेय के बयान का समर्थन किया है. उन्होंने भी 15 सीटें जीतने का दावा किया है. अब सभी को बस चुनाव नतीजों का इंतजार है.

यह भी पढ़ें:

Jharkhand Assembly Election 2024: क्या बीजेपी ढहा पाएगी झामुमो का किला, दांव पर हेमंत सोरेन की प्रतिष्ठा

Jharkhand Election 2024: दूसरे चरण में भाजपा के पक्ष में रुझान, हेमंत ने पांच वर्षों में जनता को किया दुखी- अर्जुन मुंडा

Jharkhand Assembly Election 2024: झामुमो के गढ़ संथाल को ऐसे ध्वस्त करेगी बीजेपी, मोदी-शाह ने बनाया स्पेशल प्लान

रांची: झारखंड की राजनीति में संथाल परगना सबसे अहम क्षेत्र माना जाता है. किसी भी पार्टी को सत्ता में आने के लिए संथाल का समर्थन जरूरी हो जाता है. संथाल की 18 सीटें झारखंड का भविष्य तय करने में अहम भूमिका निभाती हैं. JMM को इस क्षेत्र से सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं. संथाल परगना को JMM का गढ़ माना जाता है. खुद सीएम हेमंत सोरेन इसी क्षेत्र से चुने जाते हैं. अब जब 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव अंतिम चरण में हैं. मतगणना में बस कुछ ही समय बचा है. तो ऐसे में यह चर्चा आम है कि इस बार संथाल परगना JMM को कितना समर्थन देगा और JMM को संथाल से क्या उम्मीदें हैं.

संथाल परगना का जेएमएम और झारखंड की राजनीति में कितना महत्व है, इसका अंदाजा बीजेपी को भी है. शायद यही वजह है कि बीजेपी ने संथाल में काफी मेहनत की है. बीजेपी इस चुनाव परिणाम को 2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम से बेहतर बनाने की पूरी कोशिश कर रही है.

संथाल में 2019 के परिणाम

2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को संथाल परगना में करारी हार का सामना करना पड़ा था. 2014 में बीजेपी को इस क्षेत्र से 7 सीटें मिली थीं. जबकि 2019 में यह सीट घटकर 4 रह गई. जबकि 2014 में जेएमएम को 6 सीटें मिली थीं. जो 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 9 हो गया. हालांकि 2019 में जेएमएम ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. जहां कांग्रेस ने भी 4 सीटें जीती थीं. ऐसे में संथाल की 18 सीटों में से 2019 के चुनाव परिणाम में बीजेपी को सिर्फ चार सीटें मिलीं, जबकि जेएमएम और कांग्रेस गठबंधन को 13 सीटें मिलीं. वहीं एक सीट जेवीएम के खाते में गई. प्रदीप यादव झाविमो के टिकट पर पोड़ैयाहाट विधानसभा से चुनाव जीते थे. हालांकि बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए. इस तरह संथाल की 14 सीटें झामुमो और कांग्रेस गठबंधन के खाते में चली गईं.

क्यों खास है संथाल

झारखंड की राजनीति में संथाल परगना कई मायनों में खास है. इस क्षेत्र ने झारखंड को तीन मुख्यमंत्री दिए हैं. मौजूदा सीएम हेमंत सोरेन भी इसी क्षेत्र से चुने गए हैं. यहां का चुनाव परिणाम सीधे तौर पर झारखंड की राजनीति को प्रभावित करता है. वहीं, यहां के मतदाताओं के मूड का असर संथाल से सटे धनबाद-गिरिडीह के मतदाताओं पर भी पड़ता है.

संथाल में पार्टियों की रणनीति

संथाल परगना के महत्व को देखते हुए सभी राजनीतिक दलों ने इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश की है. इस बार एनडीए ने संथाल में डेमोग्राफी चेंज और बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया. भाजपा के हर कार्यक्रम और सभा में इस मुद्दे पर हेमंत सरकार को घेरने की कोशिश की गई. वहीं, दूसरी ओर इंडिया गठबंधन की ओर से झारखंड सरकार की योजनाओं को प्रमुखता से लोगों के सामने रखा गया. संविधान और आरक्षण का मुद्दा भी लोगों के सामने उठाया गया. इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश की गई.

क्या हैं झामुमो की उम्मीदें

झामुमो अपने गढ़ में पीछे रहने के मूड में नहीं है. इसकी झलक झामुमो के चुनाव प्रचार में भी देखने को मिली. संथाल में झामुमो को काफी उम्मीदें हैं. झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय का मानना ​​है कि इस क्षेत्र में गठबंधन पिछले विधानसभा चुनाव से बेहतर प्रदर्शन करेगा. इस बार हम 18 में 15 सीटें जीतेंगे. झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने भी मनोज पांडेय के बयान का समर्थन किया है. उन्होंने भी 15 सीटें जीतने का दावा किया है. अब सभी को बस चुनाव नतीजों का इंतजार है.

यह भी पढ़ें:

Jharkhand Assembly Election 2024: क्या बीजेपी ढहा पाएगी झामुमो का किला, दांव पर हेमंत सोरेन की प्रतिष्ठा

Jharkhand Election 2024: दूसरे चरण में भाजपा के पक्ष में रुझान, हेमंत ने पांच वर्षों में जनता को किया दुखी- अर्जुन मुंडा

Jharkhand Assembly Election 2024: झामुमो के गढ़ संथाल को ऐसे ध्वस्त करेगी बीजेपी, मोदी-शाह ने बनाया स्पेशल प्लान

Last Updated : Nov 22, 2024, 10:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.