रांची: चाईबासा का गुदड़ी थाना क्षेत्र एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है. कहा जा रहा है कि यहां के भोले-भाले ग्रामीण कानून हाथ में ले रहे हैं. पारंपरिक हथियार लेकर भाकपा माओवादी और पीएलएफआई नक्सलियों को खोज रहे हैं. पकड़े जाने पर बेरहमी से हत्या कर रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में तीन युवकों की हत्या हो चुकी है जबकि दो पीएलएफआई नक्सली और ओडिशा के दो युवक लापता हैं. अब सवाल है कि ऐसा क्यों हो रहा है? प्रशासन क्या कर रहा है? मामले को गंभीर बताने वाले राजनीतिक दल क्या कर रहे हैं? यह जंग ग्रामीण बनाम नक्सलियों के बीच है या इसके पीछे कुछ और छिपा है?
हालात नियंत्रण में है - झामुमो
मामला सदन में उठ चुका है. भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी सरकार को सुझाव दे चुके हैं कि गुदड़ी में हो रही घटनाओं को गंभीरता से लिया जाए. वहीं झामुमो का मानना है कि अब स्थिति नियंत्रण में है. झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय ने स्वीकार किया कि वहां के ग्रामीणों की मनोभावना बदल गयी थी. कुछ निर्दोष भी मारे गये हैं. उस मुहिम को रोकना सरकार की प्राथमिकता थी.
यह पूछे जाने पर कि झामुमो के प्रभाव क्षेत्र वाले इलाके में हो रही इतनी गंभीर घटना के बावजूद पार्टी की ओर से कोई प्रतिनिधिमंडल वहां क्यों नहीं गया? जवाब में झामुमो नेता मनोज पांडेय का कहना है कि अब हालात नियंत्रण में हैं. वहां प्रशासन मुस्तैद है. एक-दो दिन में हालात पर पूरी तरह से काबू पा लिया जाएगा.
ग्रामीणों को फंसाने की हो रही है साजिश - भाजपा
भाजपा की दलील कुछ और ही है. भाजपा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रविंद्र पांडेय के मुताबिक ओड़िशा के दो युवक गुदड़ी से लापता हैं. कहा जा रहा है कि ग्रामीणों ने उनकी हत्या कर दी है. लेकिन सच ये है कि उग्रवादियों ने पुलिस मुखबिर के शक में दोनों युवको को अगवा किया है. संभव है कि उनकी हत्या भी कर दी जाए. बाद में उनकी मौत को ग्रामीणों से जोड़ दिया जाएगा.
कौन कर रहा है बेरहमी से हत्याएं
24 नवंबर को गुदड़ी इलाके में रवि तांति और खूंटी के सनसा टोपनो की हत्या हुई थी. 27 नवंबर को गुदड़ी से सटे गोइलकेरा इलाके में नमन लोमगा की हत्या हुई थी. अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है कि इन हत्याओं के पीछे किनका हाथ था. लेकिन वहां के लोगों का मानना है कि इसके पीछे पीएलएफआई नक्सली थे. कहा जा रहा है कि इसी प्रतिशोध में ग्रामीणों द्वारा पीएलएफआई नक्सली मोटा टाइगर और उसके करीबी गोमिया की हत्या की गई है.
हालांकि अभी तक दोनों का शव बरामद नहीं हुआ है. इसी बीच ओड़िशा के रायरंगपुर के टोंटोपोसी के दो युवकों के गुदड़ी में लापता होने से मामला और ज्यादा गरमा गया है. कहा जा रहा है कि पांच युवक स्कॉर्पियों से गुदड़ी इलाके में आए थे. इनमें से शेख सहदली और शेख नाजीर लापता हैं. जबकि उनके तीन साथी चंदन दास, सोबराती और छोटू शेख किसी तरह भाग निकले थे. सूत्र बता रहे हैं कि इस कांड के पीछे पशु चोरी शामिल है.
चाईबासा के डीसी और एसपी कर चुके हैं दौरा
10 दिसंबर को चाईबासा के डीसी कुलदीप चौधरी और एसपी आशुतोष शेखर ने गुदड़ी और गोईलकेरा का दौरा कर मानकी मुंडा और स्थानीय लोगों से विकास और जरूरतों को लेकर संवाद किया था. लेकिन हालिया हत्याओं के सवाल पर उन्होंने सीधे तौर पर कुछ ना कहते हुए इतना जरूर कहा कि प्रशासन की कोशिश होगी कि इलाके के युवा गुनाह के रास्ते पर ना चलें.
गुदड़ी इलाके में हो चुका है नरसंहार
2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनने के कुछ दिन के भीतर ही जनवरी 2020 में गुदड़ी थाना क्षेत्र के बुरुगुलीकेरा में सात ग्रामीणों का सिर धड़ से अलग कर दिया गया था. अपनों ने ही अपनों की हत्या की थी. पूरा विवाद पत्थलगढ़ी विवाद से जुड़ा था. हेमंत सोरेन खुद वहां पहुंचे थे. तब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल थीं. उन्होंने तत्कालीन डीजीपी कमल नयन चौबे को बुलाकर पूरे घटना की जानकारी ली थी. मामले में गांव के 17 लोगों को जेल भेजा गया था.
गुदड़ी नरसंहार पर हुई थी राजनीति
भाजपा ने इस मामले को जोर शोर से उठाया था. गुजरात के सांसद जसवंत सिंह, झारखंड के राज्यसभा सांसद समीर उरांव, महाराष्ट्र के सांसद भारती पवार, छत्तीसगढ़ के सांसद गोमती साय, पश्चिम बंगाल के सांसद जॉन बारला और खूंटी विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा के नेतृत्व में एक जांच दल भेजा गया था. लेकिन प्रशासन ने घटनास्थल तक जाने से रोक दिया था.
गुदड़ी और गोईलकेरा इलाका है संवेदनशील
इसी साल गुदड़ी इलाके में बिहार से आए तीन फेरीवालों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. गुदड़ी और गोईलकेरा के इलाके को काफी संवेदनशील माना जाता है. पूरा इलाके घने जंगलों से घिरा है.
खास बात है कि चाईबासा का गुदड़ी इलाका फिर से चर्चा के केंद्र में है. अफवाहों का बाजार गर्म है. प्रशासन की ओर से हालिया घटनाओं को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया जा रहा है. दूसरी तरफ राजनीति खूब हो रही है.
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