कोरबा: इलेक्शन कमिशन की प्रेस वार्ता के बाद झारखंड में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. झारखंड के पांच विधानसभा सीट वाली चतरा लोकसभा क्षेत्र, जिसमें तीन जिले शामिल हैं. उसकी जिम्मेदारी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के शासनकाल में राजस्व मंत्री रहे जयसिंह अग्रवाल को दी है. अग्रवाल कोरबा विधानसभा से तीन बार के विधायक रह चुके हैं और पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. झारखंड के राजनीति समीकरण और वहां के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की भूमिका और तमाम चुनावी मुद्दों पर जयसिंह अग्रवाल से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.
कांग्रेस, झारखंड मूर्ति मोर्चा और राजद का गठबंधन :
चतरा लोकसभा और चुनावी समीकरण के सवाल पर पूर्व कैबिनेट मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि फिलहाल झारखंड में कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा और राजद की सरकार है. अभी भी गठबंधन जारी है, वहां एक-एक लोकसभा में 5-5 विधानसभा हैं. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने मुझे चतरा की जिम्मेदारी दी है. चतरा लोकसभा में पलामू, लातेहार और चरता तीन जिले शामिल हैं. मैंने चतरा विधानसभा की संयुक्त मीटिंग बुलाई है. जिसमें सभी जिला अध्यक्ष, नेता, वर्तमान विधायक, पूर्व में प्रत्याशी रहे सभी लोगों को वहां पर आमंत्रित किया गया है. जितने भी विंग हैं. सभी के जिला अध्यक्ष वहां रहेंगे और हम लोग वहां पर आपस में रणनीति बनाएंगे. पार्टी हाई कमान की जो गाइडलाइन है, उसके साथ कुछ जो पॉइंट्स मैने तैयार किया है. उससे सबको अवगत कराएंगे. हालांकि हमारे पास समय थोड़ा कम है.
इसके पहले भी हरियाणा चुनाव में जिस क्षेत्र में मैं गया, वहां पर अच्छे खासे मार्जिन से हम जीते हैं. इसके पहले मैंने कोरबा लोकसभा की जिम्मेदारी संभाली. कोरबा छत्तीसगढ़ की इकलौती लोकसभा सीट है. जो कांग्रेस ने जीती है. हरियाणा के ही सिरसा लोकसभा में भी मैं गया था. वहां भी हम 2 लाख 68000 वोट से जीते थे. अब चतरा की जिम्मेदारी मिली है. वह काफी सेंसिटिव क्षेत्र है. हमारा प्रयास होगा कि ज्यादा से ज्यादा कांग्रेस और हमारे गठबंधन के प्रत्याशी विधानसभा में जीत दर्ज करें और बहुमत से हमारी सरकार बने.
जनता ने देखा कि कैसे दबाव की राजनीतिक चली, बिना किसी सबूत के मुख्यमंत्री को जेल भेजा गया :
झारखंड में सीटिंग मुख्यमंत्री को जेल जाना पड़ा. कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष भी जेल गए. यह मुद्दा विपक्ष उछलेगी, इस सवाल के जवाब में जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि जनता ने यह देखा है कि कैसे सत्ता पक्ष के लोगों ने दबाव की राजनीति की है. एक मुख्यमंत्री को बिना किसी ठोस सबूत और आधार के जेल भेजा गया. यह मुद्दा विपक्ष का नहीं हमारा है. एक मुख्यमंत्री को बिना किसी प्रमाण, बिना किसी कारण के जेल जाना पड़ा. आप कोर्ट की टिप्पणी पढ़ सकते हैं. हेमंत सोरेन को जो जमानत दी गई, उसमें कोर्ट ने टिप्पणी की है. उससे ये स्पष्ट है कि बिना किसी कसूर के बिना किसी जुर्म के उन्हें साढ़े 5 महीने तक जेल में रखा गया और बाद में उन्हें छोड़ दिया गया, क्योंकि कोई प्रमाण नहीं है. इसलिए यह मुद्दा हमारा है.
अग्रवाल ने कहा किस तरह केंद्र सरकार मिली जुली गठबंधन की सरकार को परेशान कर रही है. यह लोगो ने देखा है. जिस तरह से बिहार में दबाव बनाकर नीतीश कुमार को भाजपा ने अपने पाले में लिया. उसी तरह से वह हेमंत सोरेन को भी अपने पाले में लेना चाहते हैं. इसलिए पूरी तरह से यह हमारा मुद्दा है. यह विपक्ष का मुद्दा बिल्कुल भी नहीं है. इसे हम मुद्दा बनाएंगे.
एक परिवार के लोग अलग-अलग पार्टियों में इससे फर्क नहीं पड़ता :
हेमंत सोरेन की भाभी ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया इसका फायदा कांग्रेस को होगा या बीजेपी को? इस प्रश्न के जवाब में जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि हरियाणा में भजनलाल सीएम हुआ करते थे. आज उनके परिवार के लोग कोई कांग्रेस में है कोई भाजपा में है. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर 58 साल से एक सीट पर एक परिवार का कब्जा था. लेकिन वह चुनाव हार गए. जो बड़ा नेता होता है. उसके परिवार के लोग लालायित रहते हैं. यह स्वाभाविक है देखिए यूपी में क्या हुआ, वरुण गांधी की टिकट बीजेपी ने काट दी. मेनका गांधी हार गई, इसी तरह हरियाणा में चौटाला परिवार है. उनके परिवार के 10,12 मेंबर अलग-अलग पार्टी से चुनाव लड़ते हैं.
हेमंत सोरेन की भाभी ने भाजपा क्यों ज्वाइन किया. इसकी जानकारी तो मुझे नहीं है. लेकिन एक ही परिवार के लोग अलग-अलग पार्टियों में जाते हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन जिस भी लालच में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन किया है. वह पूरा होगा, ऐसा मुझे नहीं लगता.
सीटों के बंटवारा में कोई मतभेद नहीं, सहज तरीके से होगा बटवारा :
सीटों के बंटवारे के प्रश्न पर अग्रवाल ने कहा कि सीटों के बंटवारे में ना तो चतरा में, ना तो पूरे झारखंड में कोई भी मतभेद नहीं है. एकदम सही तरीके से सीटों का बंटवारा होगा. हम उम्मीदवारों के नाम तय करेंगे और वह जीत करके भी आएंगे. तय कौन करेगा, इसे लेकर भी कोई विवाद वाली बात नहीं है. लगभग 90 प्रतिशत सीटों पर कौन कहां से लड़ेगा. इसकी स्थिति अभी स्पष्ट हो चुकी है. यदि कोई विधायक झारखंड मुक्ति मोर्चा का है, तो सीट वो डिक्लेयर कर देंगे. अगर कोई कांग्रेस का है तो उसे कांग्रेस डिक्लेअर करेगी और राजद का जीता हुआ विधायक है, तो वहां उसे राजद डिक्लेअर करेंगे. जीतने योग्य प्रत्याशियों को टिकट दिया जाएगा. इसमें कोई मतभेद नहीं है?
नक्सलवाद जैसी समस्याओं का पता वहां जाने पर ही चलेगा :
नक्सलवाद से झारखंड के जूझने और इस मुद्दे पर चुनाव लड़ने के प्रश्न पर पूर्व कैबिनेट मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि नक्सलवाद की स्थिति वहां कैसी है. यही तो वहां जाने पर ही पता चलेगा. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि कुछ दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रायपुर आए थे.उन्होंने कहा था कि नक्सल समस्या समाप्त हो चुकी है. 14 तारीख को मेरा वहां प्रोग्राम था. हमने अपना प्रोटोकॉल भी जारी कर दिया था. लेकिन वहां से जानकारी आई कि नक्सलियों की तरफ से बंद का आह्वान किया गया है. इस वजह से इस सूचना की वजह से वहां के स्थानीय विधायक और नेताओं ने कहा कि अपना कार्यक्रम आगे बढ़ा दीजिए. इसलिए मेरा कार्यक्रम अगले दिन का बना. तो वहां यह समस्या कितनी विकराल है, है भी या नहीं. यह कहना जल्दबाजी है. लेकिन हम वहां जाएंगे, प्रचार करेंगे, रणनीति बनाएंगे और जो भी समस्या होगी उसका सामना करेंगे.
छत्तीसगढ़ में 10 महीने की सरकार का बेहद बुरा हाल, घोषणा के मुताबिक ₹3100 का समर्थन मूल्य भी नहीं देंगे :
छत्तीसगढ़ की राजनीति पर चर्चा करते हुए जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि जब हमारी सरकार थी. तब हमने₹2500 समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल धान पर देने की घोषणा की. लेकिन केंद्र सरकार ने अड़ंगा लगाया. केंद्र सरकार ने दबाव बनाया की 1800 कुछ रुपया जो घोषित मूल्य था. उससे ज्यादा यदि आप देंगे. तो हम आपके पूल का चावल नहीं खरीदेंगे. तो हमने राजीव गांधी जी के नाम से योजना बनाई और अंतर का पैसा बोनस के तौर पर दिया. हमने तो 2800 रुपए तक का भुगतान किया है. उसके बाद हमारे घोषणा पत्र में हमने ₹3000 तक देने की घोषणा की थी. लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने पूरे भारतवर्ष में पहली बार छत्तीसगढ़ में ₹3100 धान का समर्थन मूल्य देने के घोषणा की है. पिछली बार भी इन्होंने 2018 जिस बोनस की घोषणा की थी. वह 2 साल तक उन्होंने दिया ही नहीं. 2018 के पहले के इस बोनस को वह अभी दे रहे हैं. भाजपा ने क्या-क्या घोषणा किए हैं और वह घोषणाएं कितनी पूरी होगी. उसके बारे में बोलना अभी जल्दबाजी होगी, क्योंकि समय बहुत ज्यादा हुआ नहीं है. 10 महीने की सरकार हुई है और 10 महीने में जो प्रदेश के हालात हैं. वह जनता भली भांति समझ रही है.