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आदिवासियों के धर्मांतरण का मामला, हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मांगा जवाब - Jharkhand High Court

Petition on conversion in Jharkhand High Court. शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट में धर्म परिवर्तन से जुड़े एक मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 26, 2024, 2:27 PM IST

Updated : Jul 26, 2024, 2:40 PM IST

Petition on conversion in Jharkhand High Court
झारखंड हाईकोर्ट (ईटीवी भारत)

रांची: झारखंड में आदिवासियों के धर्मांतरण का मामला हमेशा से एक राजनीतिक मुद्दा रहा है. खासकर, भाजपा इसको जोरशोर से उठाती रही है. आदिवासियों के धर्मांतरण से जुड़ी जनहित याचिका पर आज झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकार से जानना चाहा है कि राज्य के किन-किन जिलों में आदिवासियों का धर्मांतरण हो रहा है. इसे रोकने के लिए दोनों स्तर पर अब तक क्या हुआ है. हाई कोर्ट में दोनों सरकारों से इस मामले पर जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की विस्तृत सुनवाई 27 अगस्त को होगी.

आदिवासियों के हो रहे धर्मांतरण और उस पर रोक लगाने के लिए आदिवासी हितों के लिए काम करने वाले समाजसेवी सोमा उरांव ने जनहित याचिका दायर की थी. 5 अप्रैल 2024 को सुनवाई के दौरान भी केंद्र और राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं होने पर कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 12 जून निर्धारित की थी. तब याचिकर्ता के अधिवक्ता रोहित रंजन सिन्हा ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि राज्य सरकार को एक जांच कमेटी का गठन करना चाहिए. याचिकार्ता की दलील थी कि चंगाई सभा के जरिए आदिवासियों को प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. इसपर रोक लगनी चाहिए.

इसी तरह के एक और मामले की झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. यह मामला संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से डेमोग्राफी में हो रहे बदलाव से जुड़ा है. इसको लेकर भाजपा का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग में शिकायत कर चुका है. वहीं गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे इस मसले को लोकसभा में भी उठा चुके हैं. उन्होंने पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार के कई जिलों को मिलाकर यूनियन टेरिटरी बनाने के साथ-साथ वहां पर एनआरसी लागू करने की मांग की है. उन्होंने संथाल में घटते आदिवासियों की संख्या पर चिंता व्यक्त की थी.

वैसे मानसून सत्र शुरु होने से दो दिन पहले स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने बांग्लादेशी घुसपैठ पर कहा था कि क्या यह चार साल में हुआ है. उन्होंने असम के सीएम पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि अपने राज्य का काम छोड़कर दूसरे राज्यों में घूम रहे हैं. इसपर भाजपा ने स्पीकर के बयान पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है.

हाईकोर्ट ने संबंधित जिलों के उपायुक्तों से शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है. लिहाजा, इस मसले पर स्पीकर का बयान हाई कोर्ट की अवमानना है. भाजपा ने जनगणना का हवाला देते हुए कहा है कि 1951 से 2011 के बीच संथाल में आदिवासियों की आबादी 16 प्रतिशत घटी है जबकि मुस्लिम आबादी में 13 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.

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आदिवासियों के हो रहे धर्मांतरण और उस पर रोक लगाने के लिए आदिवासी हितों के लिए काम करने वाले समाजसेवी सोमा उरांव ने जनहित याचिका दायर की थी. 5 अप्रैल 2024 को सुनवाई के दौरान भी केंद्र और राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं होने पर कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 12 जून निर्धारित की थी. तब याचिकर्ता के अधिवक्ता रोहित रंजन सिन्हा ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि राज्य सरकार को एक जांच कमेटी का गठन करना चाहिए. याचिकार्ता की दलील थी कि चंगाई सभा के जरिए आदिवासियों को प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. इसपर रोक लगनी चाहिए.

इसी तरह के एक और मामले की झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. यह मामला संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से डेमोग्राफी में हो रहे बदलाव से जुड़ा है. इसको लेकर भाजपा का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग में शिकायत कर चुका है. वहीं गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे इस मसले को लोकसभा में भी उठा चुके हैं. उन्होंने पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार के कई जिलों को मिलाकर यूनियन टेरिटरी बनाने के साथ-साथ वहां पर एनआरसी लागू करने की मांग की है. उन्होंने संथाल में घटते आदिवासियों की संख्या पर चिंता व्यक्त की थी.

वैसे मानसून सत्र शुरु होने से दो दिन पहले स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने बांग्लादेशी घुसपैठ पर कहा था कि क्या यह चार साल में हुआ है. उन्होंने असम के सीएम पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि अपने राज्य का काम छोड़कर दूसरे राज्यों में घूम रहे हैं. इसपर भाजपा ने स्पीकर के बयान पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है.

हाईकोर्ट ने संबंधित जिलों के उपायुक्तों से शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है. लिहाजा, इस मसले पर स्पीकर का बयान हाई कोर्ट की अवमानना है. भाजपा ने जनगणना का हवाला देते हुए कहा है कि 1951 से 2011 के बीच संथाल में आदिवासियों की आबादी 16 प्रतिशत घटी है जबकि मुस्लिम आबादी में 13 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.

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Last Updated : Jul 26, 2024, 2:40 PM IST
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