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हिमंता का नहीं चला जादू, संथाल में झामुमो का किला नहीं भेद पाई बीजेपी, कोल्हान-दक्षिणी छोटानागपुर में भी फेल

झारखंड विधानसभा चुनाव के रिजल्ट से बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. संथान, कोल्हान और दक्षिणी छोटानागपुर नहीं बढ़ा पाई सीट. चंद्रकांत सिंह की रिपोर्ट.

JHARKHAND ASSEMBLY ELECTION RESULT
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 23, 2024, 6:08 PM IST

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव के रिजल्ट जिस तरह से आए हैं उससे बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. बीजेपी की रणनीति पूरी तरह से फेल होती दिख रही है. खास तौर पर संथाल प्रमंडल में जहां आदिवासी वोटरों की संख्या ज्यादा है. यहां पर बीजेपी का रोटी बेटी माटी का नारा पूरी तरह से फेल रहा. यहां बरहेट से हेमंत सोरेन, दुमका से बसंत सोरेन, जामा से लुईस मरांडी, महेशपुर से स्टीफन मरांडी ने जीत दर्ज की.

2019 में भी संथाल में बीजेपी मिली थी करारी हार

संथाल में बीजेपी को 2014 में 7 सीटें मिली थीं. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव ये घट कर 4 सीटों पर पहुंच गई. इस बार बीजेपी को उम्मीद थी कि वे संथाल में कम से कम 10 से 12 सीटें जीतेगी मगर इस बार ये रिकॉर्ड और भी ज्यादा खराब हो गया. बीजेपी घट कर 1 सीट पर आ गई.

क्यों खास है संथाल

झारखंड की राजनीति में संथाल परगना कई मायनों में खास है. इस क्षेत्र ने झारखंड को तीन सीएम दिए हैं. हेमंत सोरेन भी संथाल के बरहेट से ही जीतकर आते हैं. यहां पर हार और जीत दोनों ही पूरे झारखंड पर प्रभाव डालती है.

कोल्हान में खिला कमल

झारखंड में कोल्हान प्रमंडल में 14 विधानसभा सीटें हैं. इनमें पूर्वी और पश्चिमी जमशेदपुर के अलावा सरायकेला, पोटका और जगन्नाथपुर जैसी वीआईपी सीटें हैं. बीजेपी के लिए तमाम बुरी खबरों के बीच राहत वाली बात ये रही कि बीजेपी कोल्हान में सीट जीतने में कामयाब रही. पिछली बार बीजेपी को कोल्हान में एक भी सीट हासिल नहीं कर पाई थी. इस बार सरायकेला सीट से चंपाई सोरेन और जमशेदपुर पूर्वी पर पूर्णिमा साहू ने जीत दर्ज की, जबकि जमशेदपुर पश्चिमी से सरयू राय ने जीत दर्ज की.

दक्षिणी छोटानागपुर में भी बीजेपी का रहा बुरा हाल

दक्षिणी छोटानागपुर सीट में 15 सीटें हैं. इसमें रांची, सिल्ली जैसी वीआईपी सीटें हैं. हालांकि यहां भी बीजेपी का बुरा हाल है. बीजेपी यहां सिर्फ रांची और कांके सीट ही बचा पाई. 2019 में बीजेपी की यहां 6 सीटें थी, जो सिमटकर इस बार 2 तक पहुंच गई है. यहां आजसू के सुप्रीमो सुदेश महतो भी सिल्ली विधानसभा सीट पर हार गए. हालांकि रांची सीट पर बीजेपी का कब्जा बरकरार रहा.

आखिर संथाल, कोल्हान और दक्षिणी छोटानागपुर में क्यों हारी बीजेपी

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी ने डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा जोर शोर से उठाया था. बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा मुख्य रूप से संथाल के लिए ही था. बीजेपी लगातार ये दावा करती रही की संथाल में डेमोग्राफी चेंज हो रहा है. पीएम मोदी तक ने अपनी सभा में कहा कि घुसपैठिए झारखंड की बेटियों को फुसलाकर शादी करते हैं और फिर उनकी जमीन पर कब्जा कर लेते हैं. लेकिन झारखंड में बीजेपी का ये मुद्दा पूरी तरह ना सिर्फ फेल रहा बल्कि इसका उल्टा असर हुआ.

डेमोग्राफिक चेंज का मुद्दा क्यों हुआ फेल

बीजेपी ने झारखंड चुनाव 2024 में डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा जोरशोर से उठाया. बीजेपी के बड़े से छोटे नेता ने हर एक मंच पर कहा कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ हो रही है और यहां की डेमोग्राफी चेंज हो रही है. जानकारों का मानना है कि बीजेपी के इस नारे के कारण मुसलमान एकजुट हुए और बीजेपी के खिलाफ वोट किया.

कोल्हान में चंपाई सोरेन और गीता कोड़ा का असर नहीं

बीजेपी झामुमो से तोड़कर चंपाई सोरेन और गीता कोड़ा को अपनी पार्टी में लेकर आई. बीजेपी की उम्मीद थी कि इन दो नेताओं की वजह से उन्हें कोल्हान में अच्छी खासी सीटें मिलेंगी. लेकिन बीजेपी की रणनीति पूरी तरह से फेल हो गई. चंपाई सोरेन अपने बेटे तक की सीट को नहीं बचा सकें. वहीं गीता कोड़ा को भी हार का सामना करना पड़ा. इन दोनों को बीजेपी में लाने के कारण ये मैसेज गया कि बीजेपी ने झामुमो को तोड़ने की कोशिश की है. दूसरी तरफ झामुमो लगातार ये कह रहा था कि उनके नेता तो जेल भेज दिया गया, उनकी पार्टी को तोड़ने की कोशिश की गई. जिसका वोटर पर असर हुआ और उन्होंने बीजेपी के खिलाफ वोट किया.

ये भी पढ़ें:

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झारखंड की राजनीति में सीएम हेमंत सोरेन ने बनाए दो रिकॉर्ड! जानें, क्या हैं वो कीर्तिमान

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव के रिजल्ट जिस तरह से आए हैं उससे बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. बीजेपी की रणनीति पूरी तरह से फेल होती दिख रही है. खास तौर पर संथाल प्रमंडल में जहां आदिवासी वोटरों की संख्या ज्यादा है. यहां पर बीजेपी का रोटी बेटी माटी का नारा पूरी तरह से फेल रहा. यहां बरहेट से हेमंत सोरेन, दुमका से बसंत सोरेन, जामा से लुईस मरांडी, महेशपुर से स्टीफन मरांडी ने जीत दर्ज की.

2019 में भी संथाल में बीजेपी मिली थी करारी हार

संथाल में बीजेपी को 2014 में 7 सीटें मिली थीं. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव ये घट कर 4 सीटों पर पहुंच गई. इस बार बीजेपी को उम्मीद थी कि वे संथाल में कम से कम 10 से 12 सीटें जीतेगी मगर इस बार ये रिकॉर्ड और भी ज्यादा खराब हो गया. बीजेपी घट कर 1 सीट पर आ गई.

क्यों खास है संथाल

झारखंड की राजनीति में संथाल परगना कई मायनों में खास है. इस क्षेत्र ने झारखंड को तीन सीएम दिए हैं. हेमंत सोरेन भी संथाल के बरहेट से ही जीतकर आते हैं. यहां पर हार और जीत दोनों ही पूरे झारखंड पर प्रभाव डालती है.

कोल्हान में खिला कमल

झारखंड में कोल्हान प्रमंडल में 14 विधानसभा सीटें हैं. इनमें पूर्वी और पश्चिमी जमशेदपुर के अलावा सरायकेला, पोटका और जगन्नाथपुर जैसी वीआईपी सीटें हैं. बीजेपी के लिए तमाम बुरी खबरों के बीच राहत वाली बात ये रही कि बीजेपी कोल्हान में सीट जीतने में कामयाब रही. पिछली बार बीजेपी को कोल्हान में एक भी सीट हासिल नहीं कर पाई थी. इस बार सरायकेला सीट से चंपाई सोरेन और जमशेदपुर पूर्वी पर पूर्णिमा साहू ने जीत दर्ज की, जबकि जमशेदपुर पश्चिमी से सरयू राय ने जीत दर्ज की.

दक्षिणी छोटानागपुर में भी बीजेपी का रहा बुरा हाल

दक्षिणी छोटानागपुर सीट में 15 सीटें हैं. इसमें रांची, सिल्ली जैसी वीआईपी सीटें हैं. हालांकि यहां भी बीजेपी का बुरा हाल है. बीजेपी यहां सिर्फ रांची और कांके सीट ही बचा पाई. 2019 में बीजेपी की यहां 6 सीटें थी, जो सिमटकर इस बार 2 तक पहुंच गई है. यहां आजसू के सुप्रीमो सुदेश महतो भी सिल्ली विधानसभा सीट पर हार गए. हालांकि रांची सीट पर बीजेपी का कब्जा बरकरार रहा.

आखिर संथाल, कोल्हान और दक्षिणी छोटानागपुर में क्यों हारी बीजेपी

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी ने डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा जोर शोर से उठाया था. बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा मुख्य रूप से संथाल के लिए ही था. बीजेपी लगातार ये दावा करती रही की संथाल में डेमोग्राफी चेंज हो रहा है. पीएम मोदी तक ने अपनी सभा में कहा कि घुसपैठिए झारखंड की बेटियों को फुसलाकर शादी करते हैं और फिर उनकी जमीन पर कब्जा कर लेते हैं. लेकिन झारखंड में बीजेपी का ये मुद्दा पूरी तरह ना सिर्फ फेल रहा बल्कि इसका उल्टा असर हुआ.

डेमोग्राफिक चेंज का मुद्दा क्यों हुआ फेल

बीजेपी ने झारखंड चुनाव 2024 में डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा जोरशोर से उठाया. बीजेपी के बड़े से छोटे नेता ने हर एक मंच पर कहा कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ हो रही है और यहां की डेमोग्राफी चेंज हो रही है. जानकारों का मानना है कि बीजेपी के इस नारे के कारण मुसलमान एकजुट हुए और बीजेपी के खिलाफ वोट किया.

कोल्हान में चंपाई सोरेन और गीता कोड़ा का असर नहीं

बीजेपी झामुमो से तोड़कर चंपाई सोरेन और गीता कोड़ा को अपनी पार्टी में लेकर आई. बीजेपी की उम्मीद थी कि इन दो नेताओं की वजह से उन्हें कोल्हान में अच्छी खासी सीटें मिलेंगी. लेकिन बीजेपी की रणनीति पूरी तरह से फेल हो गई. चंपाई सोरेन अपने बेटे तक की सीट को नहीं बचा सकें. वहीं गीता कोड़ा को भी हार का सामना करना पड़ा. इन दोनों को बीजेपी में लाने के कारण ये मैसेज गया कि बीजेपी ने झामुमो को तोड़ने की कोशिश की है. दूसरी तरफ झामुमो लगातार ये कह रहा था कि उनके नेता तो जेल भेज दिया गया, उनकी पार्टी को तोड़ने की कोशिश की गई. जिसका वोटर पर असर हुआ और उन्होंने बीजेपी के खिलाफ वोट किया.

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