रांची: झारखंड विधानसभा सीटों के परिणाम अब सामने आ चुके हैं. झारखंड में एक बार फिर हेमंत सरकार बनने जा रही है. लेकिन परिणामों को अगर गौर से देखें तो ये भी पता चलता है कि झारखंड में एनडीए को हराने में जयराम महतो का भी बड़ा हाथ रहा.
झारखंड विधानसभा चुनाव के रिजल्ट में भले ही जयराम महतो की नई नवेली पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) ज्यादा सीटें नहीं जीत सकीं. जयराम महतो सिर्फ अपनी सीट ही जीतने में कामयाब रहें. लेकिन इन्होंने एनडीए जैसे बड़े गठबंधन को ऐसी चोट दी जिसके कारण उन्हें बड़ी हार का सामना करना पड़ा.
डुमरी में जयराम ने किया बड़ा उलटफेर
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में डुमरी सीट सबसे हॉट सीटों में से एक मानी जा रही थी. यहां रक झामुमो के कद्दावर नेता रहे जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी चुनाव मैदान में थी. जगरनाथ महतो के निधन के बाद वे उपचुनाव में जीतीं थी और झारखंड सरकार में मंत्री भी रहीं. यहां उन्हें जयराम महतो से हार का सामना करना पड़ा. जबकि एनडीए की उम्मीदवार यशोदा देवी यहां तीसरे नंबर पर रहीं. यहां जयराम महतो को 94 हजार 496 वोट मिले, जबकि बेबी देवी को 83551 वोट मिले. जीत और हार के बीच 10 हजार 945 वोटों का अंतर रहा. वहीं तीसरे नंबर पर रहीं यशोदा देवी को 35890 सीटें मिलीं. यहां भी अगर जयराम महतो नहीं होते तो शायद एनडीए जीत सकती थी.
सिल्ली में सुदेश महतो को मिली बड़ी हार
सिल्ली में झामुमो उम्मीदवार अमित कुमार ने जीत दर्ज की है. यहां पर उनका मुकाबला सुदेश महतो से था. वोटों की बात करें तो यहां अमित कुमार को कुल 73 हजार 169 वोट मिले जबकि सुदेश महतो को 49 हजार 302 वोट मिले. यहां इनके जीत और हार के बीच 23 हजार 876 मतों का अंतर है. जबकि यहां से JLKM के देवेंद्र नाथ महतो ने 41 हजार 725 वोट हासिल किए हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि JLKM के कारण ही सुदेश महतो की हार हुई है.
रामगढ़ में आजसू को हराने में जयराम का हाथ?
रामगढ़ विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पर कांग्रेस की ममता देवी ने जीत दर्ज की है. उन्होंने आजसू की सुनीता देवी को हराया है. वोटों की बात करें तो ममता देवी को कुल 89 हजार 818 वोट मिले. जबकि आजसू की सुनीता देवी को 83028 वोट मिले. वहीं JLKM के परमेश्वर कुमार को 70979 वोट मिले. यानी जीत का अंतर सिर्फ 6790 वोट रहा. यहां भी अगर जयराम महतो की पार्टी मैदान में नहीं होती तो शायद सुनीता देवी जीत सकती थीं.
बेरमो में एनडीए के वोट बैंक में लगाई सेंध
जयराम महतो ने झारखंड के करीब 69 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन सिर्फ एक सीट पर ही इन्हें जीत मिली. हालांकि इन्होंने कई सीटों पर एनडीए गठबंधन का खेल खराब कर दिया. बेरमो विधानसभा सीट पर कांग्रेस के अनूप सिंह ने जीत दर्ज की है. यहां पर दूसरे नंबर पर रहें बीजेपी के रविंद्र पांडे और तीसरे नंबर पर रहे JLKM के जयराम महतो. लेकिन आंकड़ों को देखें तो जयराम महतो को कुल 60 हजार 871 वोट मिले और जीत का अंतर सिर्फ 29 हजार 375 था. इसका मतलब की अगर यहां जयराम नहीं होते तो शायद बीजेपी जीत सकती थी.
इन सीटों पर भी जयराम की पार्टी ने बिगाड़ा खेल
सिंदरी विधानसभा सीट का हाल
सिंदरी में भाकपा माले चंद्रदेव महतो जीते इन्हें 105136 वोट मिला. यहां से भाजपा की तारा देवी को 101688 वोट मिला. जीत का अंतर 3448 वोट था जबकि जेएलकेएम की उषा देवी को 42664 वोट मिले.
खरसावां विधानसभा सीट
खरसांवा में झामुमो के दशरथ गागराई जीते यहां इन्हें 85772 वोट मिले. यहां भाजपा सोनाराम बोद्रा को 53157 वोट मिले. इनके हार-जीत का अंतर 32615 वोट है और जेएलकेएम के पांडु राम हैबुरू को 33841 वोट मिले.
चंदनकियारी विधानसभा सीट
चंदनकियारी में झामुमो उमाकांत रजक जीते यहां उन्हें 90027 वोट मिले. दूसरे नंबर पर यहां जेएलकेएम के अर्जुन राजवार परे और उन्हें 56294 वोट मिले. यहां नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी नेता अमर कुमार बाउरी तीसरे नंबर पर रहे और उन्हें सिर्फ 56091 वोट मिले.
गोमिया विधानसभा सीट
गोमिया से झामुमो योगेंद्र प्रसाद ने जीत दर्ज की यहां उन्हें 95170 वोट मिले. यहां भी जेएलकेएम दूसरे नंबर की पार्टी रही और उम्मीदवार पूजा कुमारी को 36093 वोट मिले. आजसू के लंबोदर महतो 54508 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे.
ईचागढ़ विधानसभा सीट
वहीं, ईचागढ़ में झामुमो की सबिता महतो ने जीत दर्ज की इन्हें 77552 वोट मिले. जबकि आजसू के हरे लाल महतो को 51029 वोट मिले. जीत का अंतर 26523 रहा और जेएलकेएम तरुण महतो ने 41138 वोट हासिल किए.
तमाड़ विधानसभा सीट
तमाड़ में झामुमो विकास कुमार मुंडा ने 65655 वोट के साथ जीत दर्ज की. यहां जदयू गोपाल कृष्ण पातर दूसरे नंबर पर रहे और उन्हें 41409 वोट मिले. हार जीत के बीच अंतर 24246 वोट का रहा. जबकि जेएलकेएम दमयंती मुंडा को 26562 वोट मिले.
कुर्मी वोटों में हुआ बिखराव!
झारखंड में महतो समाज यानी कुर्मी समाज के लोगों की काफी संख्या है. विशेषज्ञों का कहना है कि इनका पोलराइज्ड होना भी झारखंड की राजनीति में बड़ा असर डालता है. जयराम महतो भी कुर्मी समाज से आते हैं और सुदेश महतो भी कुर्मी समाज से ही आते हैं. जयराम महतो लोकसभा चुनाव 2024 में काफी मशहूर हुए थे और लोग इन्हें टाइगर जयराम महतो करने लगे. धनबाद के रहने वाले सिर्फ 30 साल के जयराम महतो तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने झारखंडी भाषा अभियान चलाया. उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव भी लड़ने का फैसला किया. हालांकि वो कोई सीट तो नहीं जीत पाए, लेकिन उन्होंने चुनाव में अपनी उपस्थिति जरूर दर्ज करा दी थी.
माना जाता है कि झारखंड में कुर्मी समाज के लोग आजसू को वोट करते हैं. जानकारों का कहना है कि इस पर जयराम महतो के आने से कुर्मी वोटों में बिखराव हुआ और यही वजह रही कि आजसू सिमट कर एक सीट पर आ गई और एनडीए गठबंधन को भारी नुकसान हुआ.
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