रांची: झारखंड में 2024 का विधानसभा चुनाव नवंबर/दिसंबर के बजाए अक्टूबर में ही होने के आसार हैं. इसकी वजह भी है. दरअसल, 25 जुलाई को इलेक्टोरल रॉल का ड्राफ्ट पब्लिकेश करना है. फिर 20 अगस्त को फाइनल पब्लिकेश करना है. झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार के मुताबिक इस बाबत चुनाव आयोग से दिशा-निर्देश भी आ चुका है. हालांकि, उन्होंने अक्टूबर माह में चुनाव की संभावना से जुड़े सवाल पर कहा कि इसका जवाब चुनाव आयोग ही दे सकता है. लेकिन आपको बता दें कि चुनाव आयोग की इसी तैयारी में सवाल का जवाब भी छिपा हुआ है.
दरअसल, पंचम झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को समाप्त हो जाएगा. इससे पहले छठे विधानसभा के गठन के लिए चुनाव होना है. 2019 में नवंबर-दिसंबर माह में विधानसभा का चुनाव पांच फेज में हुआ था. नतीजों की घोषणा 23 दिसंबर को हुई थी. तब चुनाव की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 12 अक्टूबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित कर दी गई थी. लेकिन इस बार 20 अगस्त को ही अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करने की तैयारी चल रही है.
अक्टूबर में ही विधानसभा चुनाव कराने की दूसरी वजह भी है. क्योंकि हरियाणा और महाराष्ट्र में सितंबर/अक्टूबर माह में विधानसभा का चुनाव होना है. साथ ही जम्मू कश्मीर में भी 30 सितंबर से पहले चुनाव कराने की कानूनी बाध्यता है. इन तीन राज्यों के साथ झारखंड विधानसभा कराने से समय और संसाधन की बचत होगी. वैसे झारखंड के सभी राजनीतिक दल भी इस ओर इशारा कर चुके हैं कि राज्य में समय से पहले चुनाव हो सकता है. लिहाजा, सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों में जुट गये हैं.
क्या समय से पहले हो सकता है चुनाव
इसका जवाब है 'हां '. क्योंकि रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1951 के मुताबिक चुनाव आयोग के पास किसी भी राज्य में विधानसभा के गठन की अवधि पूरी होने से पहले छह माह के भीतर चुनाव कराने का अधिकार है. आमतौर पर पोलिंग तारीख से 3-4 सप्ताह पहले चुनाव आयोग नोटिफिकेशन जारी करता है. नामांकन की तारीख से मतों की गिनती होने तक 2-3 माह का समय लगता है.
तारीख की घोषणा से पहले की तैयारी
अब सवाल है कि चुनाव आयोग को किसी भी राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा करने से पहले क्या-क्या तैयारी करनी होती है. पहली प्राथमिकता में अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन आता है. इसके बाद वोटर आईडी कार्ड का डिस्ट्रिब्यूशन सुनिश्चित कराया जाता है. फिर चुनाव में इस्तेमाल होने वाले ईवीएम की जांच होती है. इसी दौरान चुनाव में शामिल कर्मियों, पीठासीन पदाधिकारी, पोलिंग ऑफिसर और सिक्यूरिटी से जुड़े लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है. मतदाता जागरूकता अभियान के साथ-साथ चुनाव से जुड़ी दूसरी प्रक्रिया शुरू की जाती है.
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