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जम्मू-कश्मीर: श्रीनगर में मुहर्रम जुलूस के दौरान लहराए गए फिलिस्तीनी झंडे - Wave Palestinian Flags

Jammu Kashmir Mourners Wave Palestinian Flags: श्रीनगर में गुरु बाजार से डलगेट तक पारंपरिक मार्ग पर मुहर्रम जुलूस निकाला गया. इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए.

Mourners Wave Palestinian Flags
मुहर्रम जुलूस में फिलिस्तीनी झंडे लहराते हुए (ETV Bharat URDU AND J&K Desk)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 15, 2024, 10:00 AM IST

Updated : Jul 15, 2024, 11:33 AM IST

मुहर्रम जुलूस में फिलिस्तीनी झंडे लहराए गए (ETV Bharat URDU AND J&K Desk)

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा पारंपरिक 8वें मुहर्रम के जुलूस को निकालने की अनुमति देने के एक दिन बाद जुलूस सोमवार को करन नगर क्षेत्र में गुरु बाजार से शुरू हुआ और डलगेट पर समाप्त हुआ. जुलूस इस्लामी कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान का प्रतीक है. हालांकि, इस दौरान फिलिस्तीनी झंडे लहराए गए.

श्रीनगर के जिला मजिस्ट्रेट डॉ. बिलाल मोहिउद्दीन भट के नेतृत्व में प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई शर्तें लगाईं कि यह आयोजन सुचारू रूप से और बिना किसी घटना के संपन्न हो. आदेश के अनुसार प्रतिभागियों को निर्देश दिया गया था कि वे ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल न हों जिससे राज्य की सुरक्षा और संप्रभुता से समझौता हो सकता हो. इसके अतिरिक्त उन्हें ऐसे झंडे या प्रतीक प्रदर्शित करने से भी मना किया गया था जिन्हें भड़काऊ या प्रतिबंधित संगठनों से संबद्ध माना जा सकता हो.

इन शर्तों के बावजूद शोक मनाने वालों को फिलिस्तीनी झंडे लहराते और गाजा तथा आस-पास के इलाकों में दुख-दर्द खत्म करने के नारे लगाते हुए देखा गया. उन्होंने अमेरिका और इजराइल के खिलाफ भी नारे लगाए. कई शोक मनाने वालों ने उत्पीड़ितों के साथ एकजुटता व्यक्त की और इमाम हुसैन की विरासत को दबे-कुचले लोगों के लिए खड़े होने की विरासत से जोड़कर देखा.

एक शोकसभा में शामिल व्यक्ति ने कहा, 'हम इमाम हुसैन के संदेश को आगे बढ़ाते हैं, जो हमेशा न्याय और उत्पीड़ितों के पक्ष में खड़े रहे.' उनके विचारों को दोहराते हुए अन्य शोकसभा में शामिल लोगों ने भी प्रशासन से शहर में 10वें मुहर्रम के जुलूस की अनुमति देने की अपील की. साथ ही आश्वासन दिया कि वे पूरे आयोजन के दौरान सुरक्षा और स्वच्छता बनाए रखेंगे.

इस बीच यातायात पुलिस ने मुहर्रम जुलूस के दौरान वाहनों के सुचारू प्रवाह और आम जनता तथा मोटर चालकों के लिए आवागमन को आसान बनाने के लिए एक परामर्श जारी किया है. परामर्श के अनुसार सुबह 5:00 बजे से 8:00 बजे तक करन नगर से शहीद गंज/टंकीपोरा होते हुए जहांगीर चौक की ओर यातायात प्रतिबंधित रहेगा.

इसके अलावा एडवाइजरी में कहा गया है कि जहांगीर चौक-एम.ए. रोड से लेकर डलगेट-बदयारी तक सुबह 5:00 बजे से जुलूस खत्म होने तक कोई यातायात नहीं चलेगा. बटमालू, सचिवालय और रामबाग से एम.ए. रोड की ओर आने वाले यातायात को सुबह 5:00 बजे से जुलूस खत्म होने तक हरि सिंह हाई स्ट्रीट के रास्ते रेजीडेंसी रोड की ओर मोड़ दिया जाएगा.

सुरक्षा एवं अन्य व्यवस्थाओं पर कश्मीर के आईजीपी वी.के. बिरदी ने कहा कि शांतिपूर्ण मुहर्रम जुलूस सुनिश्चित करने के लिए पुख्ता कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा, 'किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना को रोकने के लिए मार्ग पर सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है. पुलिस ने शोक मनाने वालों के लिए जलपान की व्यवस्था भी की है.

इसी तरह कश्मीर के डिवीजनल कमिश्नर विजय कुमार बिधूड़ी ने दावा किया कि इस बार व्यवस्थाएं पहले से कहीं बेहतर हैं. उन्होंने कहा, 'यह सब सुरक्षा बलों, प्रशासन, अन्य विभागों और जनता के बीच तालमेल की वजह से संभव हुआ है.' 1990 के दशक से श्रीनगर में मुहर्रम जुलूसों पर प्रतिबंध लगा हुआ था, जिसे 2023 में एलजी प्रशासन द्वारा हटा लिया गया. इस निर्णय की कश्मीरी शिया समुदाय ने प्रशंसा की, जो लंबे समय से इन धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजन के अधिकार की वकालत करते रहे हैं.

मुहर्रम, इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है, जो शिया मुसलमानों के लिए शोक का समय है. 680 ई. में कर्बला की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के पोते इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है. इस अवसर पर जुलूस, प्रार्थना और दान के कार्य किए जाते हैं, जो बलिदान, न्याय और अत्याचार के खिलाफ प्रतिरोध के विषयों पर आधारित होते हैं.

ये भी पढ़ें- श्रीनगर में तीन दशक बाद निकाला गया मुहर्रम का जुलूस, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

मुहर्रम जुलूस में फिलिस्तीनी झंडे लहराए गए (ETV Bharat URDU AND J&K Desk)

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा पारंपरिक 8वें मुहर्रम के जुलूस को निकालने की अनुमति देने के एक दिन बाद जुलूस सोमवार को करन नगर क्षेत्र में गुरु बाजार से शुरू हुआ और डलगेट पर समाप्त हुआ. जुलूस इस्लामी कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान का प्रतीक है. हालांकि, इस दौरान फिलिस्तीनी झंडे लहराए गए.

श्रीनगर के जिला मजिस्ट्रेट डॉ. बिलाल मोहिउद्दीन भट के नेतृत्व में प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई शर्तें लगाईं कि यह आयोजन सुचारू रूप से और बिना किसी घटना के संपन्न हो. आदेश के अनुसार प्रतिभागियों को निर्देश दिया गया था कि वे ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल न हों जिससे राज्य की सुरक्षा और संप्रभुता से समझौता हो सकता हो. इसके अतिरिक्त उन्हें ऐसे झंडे या प्रतीक प्रदर्शित करने से भी मना किया गया था जिन्हें भड़काऊ या प्रतिबंधित संगठनों से संबद्ध माना जा सकता हो.

इन शर्तों के बावजूद शोक मनाने वालों को फिलिस्तीनी झंडे लहराते और गाजा तथा आस-पास के इलाकों में दुख-दर्द खत्म करने के नारे लगाते हुए देखा गया. उन्होंने अमेरिका और इजराइल के खिलाफ भी नारे लगाए. कई शोक मनाने वालों ने उत्पीड़ितों के साथ एकजुटता व्यक्त की और इमाम हुसैन की विरासत को दबे-कुचले लोगों के लिए खड़े होने की विरासत से जोड़कर देखा.

एक शोकसभा में शामिल व्यक्ति ने कहा, 'हम इमाम हुसैन के संदेश को आगे बढ़ाते हैं, जो हमेशा न्याय और उत्पीड़ितों के पक्ष में खड़े रहे.' उनके विचारों को दोहराते हुए अन्य शोकसभा में शामिल लोगों ने भी प्रशासन से शहर में 10वें मुहर्रम के जुलूस की अनुमति देने की अपील की. साथ ही आश्वासन दिया कि वे पूरे आयोजन के दौरान सुरक्षा और स्वच्छता बनाए रखेंगे.

इस बीच यातायात पुलिस ने मुहर्रम जुलूस के दौरान वाहनों के सुचारू प्रवाह और आम जनता तथा मोटर चालकों के लिए आवागमन को आसान बनाने के लिए एक परामर्श जारी किया है. परामर्श के अनुसार सुबह 5:00 बजे से 8:00 बजे तक करन नगर से शहीद गंज/टंकीपोरा होते हुए जहांगीर चौक की ओर यातायात प्रतिबंधित रहेगा.

इसके अलावा एडवाइजरी में कहा गया है कि जहांगीर चौक-एम.ए. रोड से लेकर डलगेट-बदयारी तक सुबह 5:00 बजे से जुलूस खत्म होने तक कोई यातायात नहीं चलेगा. बटमालू, सचिवालय और रामबाग से एम.ए. रोड की ओर आने वाले यातायात को सुबह 5:00 बजे से जुलूस खत्म होने तक हरि सिंह हाई स्ट्रीट के रास्ते रेजीडेंसी रोड की ओर मोड़ दिया जाएगा.

सुरक्षा एवं अन्य व्यवस्थाओं पर कश्मीर के आईजीपी वी.के. बिरदी ने कहा कि शांतिपूर्ण मुहर्रम जुलूस सुनिश्चित करने के लिए पुख्ता कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा, 'किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना को रोकने के लिए मार्ग पर सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है. पुलिस ने शोक मनाने वालों के लिए जलपान की व्यवस्था भी की है.

इसी तरह कश्मीर के डिवीजनल कमिश्नर विजय कुमार बिधूड़ी ने दावा किया कि इस बार व्यवस्थाएं पहले से कहीं बेहतर हैं. उन्होंने कहा, 'यह सब सुरक्षा बलों, प्रशासन, अन्य विभागों और जनता के बीच तालमेल की वजह से संभव हुआ है.' 1990 के दशक से श्रीनगर में मुहर्रम जुलूसों पर प्रतिबंध लगा हुआ था, जिसे 2023 में एलजी प्रशासन द्वारा हटा लिया गया. इस निर्णय की कश्मीरी शिया समुदाय ने प्रशंसा की, जो लंबे समय से इन धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजन के अधिकार की वकालत करते रहे हैं.

मुहर्रम, इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है, जो शिया मुसलमानों के लिए शोक का समय है. 680 ई. में कर्बला की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के पोते इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है. इस अवसर पर जुलूस, प्रार्थना और दान के कार्य किए जाते हैं, जो बलिदान, न्याय और अत्याचार के खिलाफ प्रतिरोध के विषयों पर आधारित होते हैं.

ये भी पढ़ें- श्रीनगर में तीन दशक बाद निकाला गया मुहर्रम का जुलूस, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
Last Updated : Jul 15, 2024, 11:33 AM IST
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