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जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने रेप के आरोपों के बीच वायुसेना विंग कमांडर को दी अग्रिम जमानत - JK HC Bail

JK HC Grants anticipatory Bail to Air Force Wing Commander : जम्मू-कश्मीर में महिला फ्लाइंग अफसर के द्वारा वायु सेना के विंग कमांडर के खिलाफ रेप के आरोपों के बीच हाईकोर्ट ने आरोपी अधिकारी को अग्रिम जमानत दे दी.

J&K High Court Grants Bail to Air Force Wing Commander
जम्मू- कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 14, 2024, 2:19 PM IST

श्रीनगर: जम्मू- कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने बलात्कार और उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर को अग्रिम जमानत दे दी है. गुरुवार को हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश ओसवाल की एकल पीठ द्वारा जारी यह निर्णय कई कारकों पर आधारित था. इसमें आरोपी की विंग कमांडर की पोजिशन और उसकी गिरफ्तारी से उसके करियर पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव शामिल हैं.

अदालत ने विंग कमांडर को जमानत देते हुए कहा, 'इस स्तर पर प्रथम दृष्टया मामला दोषी पाए जाने का बनता है, क्योंकि याचिकाकर्ता श्रीनगर स्थित वायुसेना स्टेशन में विंग कमांडर के पद पर कार्यरत है. उसकी गिरफ्तारी होने पर उसकी प्रतिष्ठा के साथ-साथ सेवा करियर भी खतरे में पड़ जाएगा.' हालांकि, अदालत ने विंग कमांडर पर कड़ी शर्तें लगाई हैं. अदालत ने कहा, 'विंग कमांडर को 50,000 रुपये की राशि के दो जमानती और समान राशि का पर्सनल बांड प्रस्तुत करना होगा.'

अदालत ने कहा, 'इसके अतिरिक्त उन्हें अपने कमांडिंग ऑफिसर की अनुमति के बिना केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर छोड़ने पर रोक लगाई जाती है. उन्हें किसी भी अभियोजन पक्ष के गवाह से संपर्क करने से भी रोक दिया जाता है और उन्हें 14 से 16 सितंबर, 2024 तक जांच अधिकारी के सामने पेश होना होगा और उसके बाद जब भी जरूरत होगी.'

अदालत ने अभियोजन पक्ष को अपनी जांच जारी रखने का भी निर्देश दिया है और अदालत की अनुमति के बिना आरोप पत्र दाखिल करने पर रोक लगा दी है. मामले की अगली सुनवाई 11 अक्टूबर 2024 को तय की गई है.

यह मामला बडगाम पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर से संबंधित है. इसमें विंग कमांडर पर एक महिला फ्लाइंग ऑफिसर द्वारा बलात्कार, मानसिक उत्पीड़न और पीछा करने का आरोप लगाया गया है. एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि यह हमला 31 दिसंबर, 2023 को ऑफिसर्स मेस में एक नए साल की पार्टी के दौरान हुआ था. फ्लाइंग ऑफिसर का दावा है कि आरोपी ने उसे उपहार देने के बहाने अपने कमरे में बुलाया और फिर उसके बार-बार विरोध करने के प्रयासों के बावजूद उसके साथ छेड़छाड़ की.

अपनी शिकायत में फ्लाइंग ऑफिसर ने बताया है कि वह सदमे में है और बदले की कार्रवाई का डर है. इसके कारण अपराध की रिपोर्ट देरी से की गई. उसने आंतरिक समिति पर जांच को गलत तरीके से हैंडल का आरोप लगाया है. इसमें कहा गया कि बयान दर्ज करने के दौरान आरोपी मौजूद था जो मानक प्रक्रियाओं का उल्लंघन है. उसने मेडिकल जांच में देरी और अंतरिम राहत और पोस्टिंग में बदलाव के लिए उसकी अपील को अस्वीकार करने की भी आलोचना की है.

फ्लाइंग ऑफिसर ने मानसिक उत्पीड़न, सामाजिक बहिष्कार और अपने संचार की अनौपचारिक निगरानी का भी आरोप लगाया है. इससे उसके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है. उसने अपने उत्पीड़न में कई वरिष्ठ अधिकारियों का नाम लिया है और पुलिस से तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है.

जांच की निगरानी अब बडगाम पुलिस स्टेशन के एक इंस्पेक्टर द्वारा की जा रही है. महिला फ्लाइंग ऑफिसर की शिकायत के बाद विंग कमांडर के खिलाफ 8 सितंबर को एफआईआर दर्ज की गई. मामला भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 376 (2) के तहत दर्ज किया गया है. ये अधिकार प्राप्त व्यक्तियों द्वारा किए गए रेप से संबंधित है.

ये भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा, अतीत का संबंध घरेलू हिंसा के मामले को वैध बनाता है

श्रीनगर: जम्मू- कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने बलात्कार और उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर को अग्रिम जमानत दे दी है. गुरुवार को हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश ओसवाल की एकल पीठ द्वारा जारी यह निर्णय कई कारकों पर आधारित था. इसमें आरोपी की विंग कमांडर की पोजिशन और उसकी गिरफ्तारी से उसके करियर पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव शामिल हैं.

अदालत ने विंग कमांडर को जमानत देते हुए कहा, 'इस स्तर पर प्रथम दृष्टया मामला दोषी पाए जाने का बनता है, क्योंकि याचिकाकर्ता श्रीनगर स्थित वायुसेना स्टेशन में विंग कमांडर के पद पर कार्यरत है. उसकी गिरफ्तारी होने पर उसकी प्रतिष्ठा के साथ-साथ सेवा करियर भी खतरे में पड़ जाएगा.' हालांकि, अदालत ने विंग कमांडर पर कड़ी शर्तें लगाई हैं. अदालत ने कहा, 'विंग कमांडर को 50,000 रुपये की राशि के दो जमानती और समान राशि का पर्सनल बांड प्रस्तुत करना होगा.'

अदालत ने कहा, 'इसके अतिरिक्त उन्हें अपने कमांडिंग ऑफिसर की अनुमति के बिना केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर छोड़ने पर रोक लगाई जाती है. उन्हें किसी भी अभियोजन पक्ष के गवाह से संपर्क करने से भी रोक दिया जाता है और उन्हें 14 से 16 सितंबर, 2024 तक जांच अधिकारी के सामने पेश होना होगा और उसके बाद जब भी जरूरत होगी.'

अदालत ने अभियोजन पक्ष को अपनी जांच जारी रखने का भी निर्देश दिया है और अदालत की अनुमति के बिना आरोप पत्र दाखिल करने पर रोक लगा दी है. मामले की अगली सुनवाई 11 अक्टूबर 2024 को तय की गई है.

यह मामला बडगाम पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर से संबंधित है. इसमें विंग कमांडर पर एक महिला फ्लाइंग ऑफिसर द्वारा बलात्कार, मानसिक उत्पीड़न और पीछा करने का आरोप लगाया गया है. एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि यह हमला 31 दिसंबर, 2023 को ऑफिसर्स मेस में एक नए साल की पार्टी के दौरान हुआ था. फ्लाइंग ऑफिसर का दावा है कि आरोपी ने उसे उपहार देने के बहाने अपने कमरे में बुलाया और फिर उसके बार-बार विरोध करने के प्रयासों के बावजूद उसके साथ छेड़छाड़ की.

अपनी शिकायत में फ्लाइंग ऑफिसर ने बताया है कि वह सदमे में है और बदले की कार्रवाई का डर है. इसके कारण अपराध की रिपोर्ट देरी से की गई. उसने आंतरिक समिति पर जांच को गलत तरीके से हैंडल का आरोप लगाया है. इसमें कहा गया कि बयान दर्ज करने के दौरान आरोपी मौजूद था जो मानक प्रक्रियाओं का उल्लंघन है. उसने मेडिकल जांच में देरी और अंतरिम राहत और पोस्टिंग में बदलाव के लिए उसकी अपील को अस्वीकार करने की भी आलोचना की है.

फ्लाइंग ऑफिसर ने मानसिक उत्पीड़न, सामाजिक बहिष्कार और अपने संचार की अनौपचारिक निगरानी का भी आरोप लगाया है. इससे उसके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है. उसने अपने उत्पीड़न में कई वरिष्ठ अधिकारियों का नाम लिया है और पुलिस से तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है.

जांच की निगरानी अब बडगाम पुलिस स्टेशन के एक इंस्पेक्टर द्वारा की जा रही है. महिला फ्लाइंग ऑफिसर की शिकायत के बाद विंग कमांडर के खिलाफ 8 सितंबर को एफआईआर दर्ज की गई. मामला भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 376 (2) के तहत दर्ज किया गया है. ये अधिकार प्राप्त व्यक्तियों द्वारा किए गए रेप से संबंधित है.

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