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जम्मू-कश्मीर: पाकिस्तान के शरणार्थियों को 70 साल बाद मिला जमीन का मालिकाना हक, लोगों ने मनाया जश्न - Proprietary Rights to Refugees

West Pakistan Refugees Gets Proprietary Rights in Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में श्रीनगर में प्रशासनिक परिषद की बैठक हुई, जिसमें पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों और 1965 के युद्ध के विस्थापितों को राज्य की भूमि पर मालिकाना हक प्रदान का फैसला लिया गया. वहीं, 70 साल बाद जमीन का मालिकाना हक के बाद शरणार्थियों ने जश्न मनाया और खुशी का इजहार किया.

West Pakistan Refugees Gets Proprietary Rights in  Jammu-Kashmir
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 31, 2024, 10:59 PM IST

जम्मू : जम्मू कश्मीर में उपराज्यपाल प्रशासन ने मंगलवार को पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों (डब्ल्यूपीआर) को भूमि के मालिकाना हक प्रदान करने की घोषणा की, जो 1947 से पाकिस्तान से पलायन के बाद जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं. भूमि का मालिकाना हक 1965 के पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) के शरणार्थियों को भी प्रदान किए गए. 70 साल बाद जमीन का मालिकाना हक के बाद जम्मू में शरणार्थियों ने जश्न मनाया और खुशी का इजहार किया.

आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि सरकार के इस फैसले से हजारों शरणार्थी परिवारों को लाभ होगा, जिन्हें 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद जम्मू-कश्मीर की नागरिकता प्रदान की गई थी.

प्रवक्ता ने कहा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में श्रीनगर में हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों और 1965 के युद्ध के विस्थापितों के पक्ष में राज्य की भूमि पर मालिकाना हक प्रदान किया गया. प्रवक्ता ने कहा कि इससे डब्ल्यूपीआर और 1965 के युद्ध के विस्थापित लोगों के साथ भेदभाव समाप्त होगा और जम्मू क्षेत्र के हजारों परिवारों को काफी सशक्त बनाया जाएगा.

अनुच्छेद 370 निरस्त होने से पहले विस्थापित लोगों को जम्मू-कश्मीर की नागरिकता के अधिकार नहीं दिए गए थे. वे लोकसभा चुनावों में मतदान करने के हकदार थे, लेकिन विधानसभा चुनावों में मतदान नहीं कर सकते थे और सरकारी नौकरियों और छात्रवृत्तियों के लिए आवेदन नहीं कर सकते थे. हालांकि, अनुच्छेद 370 निरस्त होने और अधिवास कानून जारी होने के बाद जम्मू-कश्मीर राज्य विषय कानून को खत्म कर दिया गया था, जिसके बाद शरणार्थियों और विस्थापित व्यक्तियों को अधिवास अधिकार प्रदान किए गए.

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह निर्णय उन सभी संबंधित परिवारों की मांग को पूरा करता है, जो पिछले कई दशकों से मालिकाना हक के लिए अनुरोध कर रहे थे. राज्य की भूमि पर पश्चिमी पाकिस्तान के विस्थापितों को मालिकाना हक दिए जाने से वे पीओजेके के विस्थापितों के बराबर हो जाएंगे.

यह भी पढ़ें- जम्मू में वक्फ की जमीन पर अतिक्रमण, बोर्ड ने पुलिस से कार्रवाई की मांग की

जम्मू : जम्मू कश्मीर में उपराज्यपाल प्रशासन ने मंगलवार को पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों (डब्ल्यूपीआर) को भूमि के मालिकाना हक प्रदान करने की घोषणा की, जो 1947 से पाकिस्तान से पलायन के बाद जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं. भूमि का मालिकाना हक 1965 के पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) के शरणार्थियों को भी प्रदान किए गए. 70 साल बाद जमीन का मालिकाना हक के बाद जम्मू में शरणार्थियों ने जश्न मनाया और खुशी का इजहार किया.

आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि सरकार के इस फैसले से हजारों शरणार्थी परिवारों को लाभ होगा, जिन्हें 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद जम्मू-कश्मीर की नागरिकता प्रदान की गई थी.

प्रवक्ता ने कहा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में श्रीनगर में हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों और 1965 के युद्ध के विस्थापितों के पक्ष में राज्य की भूमि पर मालिकाना हक प्रदान किया गया. प्रवक्ता ने कहा कि इससे डब्ल्यूपीआर और 1965 के युद्ध के विस्थापित लोगों के साथ भेदभाव समाप्त होगा और जम्मू क्षेत्र के हजारों परिवारों को काफी सशक्त बनाया जाएगा.

अनुच्छेद 370 निरस्त होने से पहले विस्थापित लोगों को जम्मू-कश्मीर की नागरिकता के अधिकार नहीं दिए गए थे. वे लोकसभा चुनावों में मतदान करने के हकदार थे, लेकिन विधानसभा चुनावों में मतदान नहीं कर सकते थे और सरकारी नौकरियों और छात्रवृत्तियों के लिए आवेदन नहीं कर सकते थे. हालांकि, अनुच्छेद 370 निरस्त होने और अधिवास कानून जारी होने के बाद जम्मू-कश्मीर राज्य विषय कानून को खत्म कर दिया गया था, जिसके बाद शरणार्थियों और विस्थापित व्यक्तियों को अधिवास अधिकार प्रदान किए गए.

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह निर्णय उन सभी संबंधित परिवारों की मांग को पूरा करता है, जो पिछले कई दशकों से मालिकाना हक के लिए अनुरोध कर रहे थे. राज्य की भूमि पर पश्चिमी पाकिस्तान के विस्थापितों को मालिकाना हक दिए जाने से वे पीओजेके के विस्थापितों के बराबर हो जाएंगे.

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