नई दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि 'पिछले पांच वर्षों में, सभी बड़े मुद्दों के लिए, हम बहुपक्षीय समाधान नहीं ढूंढ पाए हैं. इसलिए परिणामों की कमी सुधार की स्थिति को दर्शाती है.' वह 9वें रायसीना डायलॉग के एक सत्र में बोल रहे थे, जिसका शीर्षक 'ए टेपेस्ट्री ऑफ ट्रूथ्स: कैन द टू हेमिस्फेयर्स एग्री?' था.
इस दौरान जयशंकर ने कहा कि 'जब संयुक्त राष्ट्र का आविष्कार हुआ, तब इसमें लगभग 50 सदस्य थे और अब इसके लगभग चार गुना अधिक सदस्य हैं. तो यह एक सामान्य ज्ञान का प्रस्ताव है कि आप उसी तरह जारी नहीं रख सकते…' उन्होंने कहा कि 'यदि आप पिछले पांच वर्षों को देखें, तो सभी बड़े मुद्दों के लिए, हम कोई बहुपक्षीय समाधान नहीं ढूंढ पाए हैं. इसलिए परिणामों की कमी सुधार की स्थिति को दर्शाती है.'
उन्होंने आगे कहा कि 'कई मामलों में नियमों से खिलवाड़ किया गया है. हम वैश्वीकरण के बारे में बात करते हैं. सच तो यह है कि विश्व व्यापार नियमों के साथ खिलवाड़ किया गया है. आज हमारी कई चुनौतियां इस बात से भी उत्पन्न होती हैं कि देशों ने अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली की कीमत पर अपने लाभ के लिए इसका उपयोग कैसे किया है.'
उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र में पुराने मुद्दों के अलावा नए मुद्दे भी हैं. जयशंकर ने कहा कि 'दिन की बड़ी बहसें, कनेक्टिविटी, ऋण, व्यापार, और आज इनका लाभ कैसे उठाया जाता है, जरूरी नहीं कि ये सभी पश्चिम से आ रहे हों. इसलिए पहले प्रमुख शक्ति के रूप में पश्चिम, आज हम जहां हैं उसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है. नए खिलाड़ियों ने मदद नहीं की है.'
उन्होंने आगे कहा कि 'आज हम जहां हैं, उसके लिए पश्चिम काफी हद तक जिम्मेदार है, लेकिन यह भी सच है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार का सबसे बड़ा विरोधी पश्चिमी देश नहीं है. उनकी इस टिप्पणी का इशारा निश्चित रूप से चीन की ओर था, जो यूएनएससी में सुधार के खिलाफ दुनिया को बरगला रहा है. मुझे लगता है कि वास्तविकता यह है कि हमें ऐसे समूह बनाने के लिए धीरे-धीरे संघर्ष करना होगा जो बदलाव के लिए दबाव डालेंगे.'
विदेश मंत्री ने भारत को एक जोड़ने वाली शक्ति बताया और कहा कि लोग देश को अपेक्षाकृत निष्पक्ष मानते हैं. एक्स पर एक पोस्ट में विदेश मंत्री ने कहा कि 'आज रायसीना डायलॉग पैनल में बहुपक्षीय प्रणाली में आमूलचूल सुधार की आवश्यकता के बारे में बात की. यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि वैश्विक नियमों से एकतरफा लाभ के लिए खिलवाड़ नहीं किया जाता है. भारत ने दिखाया है कि मूल्य, हित और भावनाएं सभी सामान्य भलाई में योगदान दे सकते हैं.'
यूएनएससी में वीटो शक्तियों वाले पांच स्थायी सदस्य हैं, जिनमें चीन, फ्रांस, रूस, यूके और यूएस शामिल हैं. परिषद में शेष 10 गैर-स्थायी सदस्य हैं, जो बारी-बारी से दो-वर्षीय कार्यकाल का आनंद लेते हैं.