नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के I.N.D.I.A ब्लॉक नेताओं के बड़े दावों की पृष्ठभूमि में, वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञ ने सोमवार को कहा कि यह क्षेत्रीय हित और राजनीति है जो राष्ट्रीय राजनीति पर हावी हो रही है.
वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञ और दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार ठाकुर ने ईटीवी भारत से कहा, 'सभी राजनीतिक दल अस्तित्व के लिए अपना हित देखते हैं. क्षेत्रीय स्तर की राजनीति राष्ट्रीय स्तर की समझ से बिल्कुल अलग है. यदि हम राष्ट्रीय स्तर पर दो अलग-अलग पार्टियों के बीच अंडरस्टैंडिंग देखते हैं, तो उन्हीं पार्टियों में क्षेत्रीय और राज्य स्तर पर मतभेद हो सकते हैं. और यही हम अधिकांश I.N.D.I.A ब्लॉक साझेदारों के बीच देख रहे हैं.'
हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर सभी I.N.D.I.A ब्लॉक गठबंधनों के बीच पूर्ण एकता होती तो वे राज्य स्तर पर भी भाजपा को कड़ी चुनौती दे सकते थे. संयुक्त विपक्ष के राज्य नेताओं ने यह भी दावा किया कि राज्यों में एकजुट होकर लोकसभा चुनाव लड़ने का विपक्षी दलों का प्रयास समझ की कमी के कारण विफल हो गया.
असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के अध्यक्ष भूपेन बोरा ने कहा कि I.N.D.I.A ब्लॉक के गठन से बहुत पहले 16 पार्टियों ने यूनाइटेड अपोजिशन फोरम, असम (यूओएफए) का गठन किया था. बोरा ने कहा, यह केवल उदासीन रवैये के कारण है कि मंच की तीन पार्टियां सीधे लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं.
विपक्षी एकता की कमी के कारण असम में संयुक्त विपक्ष के तीन घटक आम आदमी पार्टी (आप), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और सीपीआई (एम) अकेले चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि रविवार को रामलीला मैदान में एकत्र हुए I.N.D.I.A ब्लॉक के लगभग सभी प्रमुख नेताओं ने आगामी चुनाव में भाजपा को सत्ता से हटाने का वादा किया.
कांग्रेस, आप, सीपीआई-एम और I.N.D.I.A ब्लॉक के अन्य सभी घटक दलों के नेताओं ने लोगों से 'लोकतंत्र को बचाने' के लिए एकजुट विपक्ष को चुनने की अपील की है. असम में आम आदमी पार्टी अलग से चुनाव लड़ रही है. पश्चिम बंगाल में टीएमसी, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई. इसी तरह केरल में भी कांग्रेस और सीपीआई-एम एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं.
प्रोफेसर कुमार ने हालांकि कहा कि केरल जैसे राज्यों में जहां बीजेपी का कोई महत्व नहीं है, वहां एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने वाले I.N.D.I.A ब्लॉक गठबंधन का कोई महत्व नहीं है. उन्होंने कहा कि 'बीजेपी की अनुपस्थिति में केरल में कांग्रेस या लेफ्ट की जीत का मतलब I.N.D.I.A ब्लॉक की जीत है.'
हाल ही में पश्चिम बंगाल के पांच कांग्रेस जिला अध्यक्षों ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर सीपीआई-एम पर वे सीटें देने का आरोप लगाया है जहां पार्टी (कांग्रेस) के जीतने की संभावना सबसे कम है.
ईटीवी भारत के पास मौजूद पत्र को राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल और अधीर रंजन चौधरी जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को भी भेजा गया था. कांग्रेस नेताओं ने कहा, 'पश्चिम बंगाल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए उन सीटों (निर्वाचन क्षेत्रों) के बारे में जानना वास्तव में बहुत चौंकाने वाला और निराशाजनक है जो वाम मोर्चा (सीपीआईएम और अन्य) ने कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ने के लिए छोड़ी हैं. कांग्रेस पार्टी को जो सीटें दी जा रही हैं उनमें से ज्यादातर ऐसी सीटें हैं जहां पार्टी के जीतने की संभावना सबसे कम है.'
उन्होंने कहा कि टीएमसी, सीपीआईएम और अन्य राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन के संबंध में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एजेंडे के बारे में कार्यकर्ता और नेता बहुत भ्रमित हैं और पूरी तरह से अंधेरे में हैं. नेताओं ने कहा, 'ये सभी सनकी और बेतरतीब फैसले पश्चिम बंगाल में इस सदियों पुरानी कांग्रेस पार्टी के अस्तित्व को खतरे में डाल रहे हैं.'
नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर गठबंधन और अन्य चीजों को लेकर पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के जिला अध्यक्षों से अब तक कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा कि 'यह हम सभी जानते हैं कि एआईसीसी ने आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए एक प्रदेश चुनाव समिति बनाई है. पार्टी के सभी कार्यकर्ता, सदस्य और नेता यह जानना चाहते हैं कि उम्मीदवार चयन करने से पहले उक्त समिति के साथ किसी प्रकार का परामर्श किया गया था या नहीं.'
हन्नान मोल्लाह ये बोले : ईटीवी भारत से बात करते हुए सीपीआई-एम के वरिष्ठ नेता और पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य हन्नान मोल्लाह ने कहा कि सभी विपक्षी दलों के बीच मतभेद होना तय है.
हन्नान मोल्लाह ने कहा कि 'कुछ जगहों पर हम मजबूत हैं इसलिए उन सीटों को दूसरी पार्टियों को देने का सवाल ही नहीं उठता. इसी तरह अन्य विपक्षी दल भी अपनी हॉट सीटें अपने सहयोगियों के साथ साझा नहीं करेंगे.'
हन्नान मोल्लाह ने कहा कि I.N.D.I.A ब्लॉक के साझेदारों के बीच इस तरह के मतभेद निश्चित रूप से भाजपा के पक्ष में जाएंगे. इसी तरह, वाम मोर्चा भी बंगाल के बाहर पर्याप्त सीटें नहीं देने के कारण कांग्रेस से नाराज है. वाम मोर्चे के सूत्रों ने इस संवाददाता को बताया कि सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी और सीपीआई के डी राजा ने इस पर अपनी निराशा व्यक्त करने के लिए खड़गे से मिलने का समय मांगा है.