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गगनयान मिशन को लेकर बड़ा अपडेट! क्या बोले इसरो के साइंटिस्ट डॉ. वी नारायणन - ISRO Gaganyaan mission

ISRO GAGANYAAN MISSION: इसरो ने महत्वाकांक्षी गगनयान परियोजना के पहले मिशन को दिसंबर तक प्रक्षेपित करने का लक्ष्य रखा है. इसरो ने कहा है कि आज (16 अगस्त) SSLV D3 रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किए गए उपकरण गगनयान कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. वहीं, इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर के निदेशक डॉ. वी नारायणन ने ईटीवी भारत को दी गई जानकारी में कई रोचक जानकारियां साझा कीं.

Gaganyaan
इसरो के साइंटिस्ट डॉ. वी नारायणन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 16, 2024, 10:32 PM IST

Updated : Aug 16, 2024, 10:58 PM IST

श्रीहरिकोटा: इसरो नेआज श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह 9 बजकर17 मिनट पर SSLV-D3 रॉकेट लॉन्च कर दिया. वहीं, इसरो के एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि इसरो ने महत्वाकांक्षी गगनयान परियोजना के पहले मिशन को दिसंबर तक प्रक्षेपित करने का लक्ष्य रखा है. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि वर्तमान में मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए कुछ रॉकेट हार्डवेयर यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पहुंच चुके हैं और चालक दल के मॉड्यूल का एकीकरण त्रिवेंद्रम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में चल रहा है.

वहीं, इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर के निदेशक डॉ. वी नारायणन ने ईटीवी भारत को दी गई जानकारी में कई रोचक जानकारियां साझा कीं. वी. नारायणन द्वारा दी गई जानकारी को विस्तार से देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि, एसएसएलवी का मतलब है स्मॉल सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल. जहां तक ​इसरो का कहना है कि, उन्होंने लॉन्च व्हीकल की 6 पीढ़ियां विकसित की हैं.

उन्होंने कहा, अब तक एसएलवी 3, एसएलवी, पीएसएलवी, जीएसएलवी मार्क 2, एलवीएम 3, एसएसएलवी इसमें पहले से ही पीएसएलवी, जीएसएलवी, एलवीएम 3 ये रॉकेट परिचालन में आ चुके हैं. SSLV रॉकेट वर्तमान में चौथी पीढ़ी के लॉन्च व्हीकल के रूप में परिचालन में है. इसरो का कहना है कि, पहले के रॉकेट अधिक सक्षम थे. उदाहरण के लिए, LVM3 रॉकेट पृथ्वी की निचली कक्षा में 8,500 किलोग्राम और पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में 4,200 किलोग्राम वजन ले जाने में सक्षम है, लेकिन SSLV अधिकतम 500 किलोग्राम वजन ही ले जा सकता है. जब ISRO व्यावसायिक रूप से काम करता है और अगर किसी ग्राहक को अचानक उपग्रह भेजने की जरूरत होती है, तो वह रॉकेट तैयार कर सकता है और उसे एक हफ़्ते में लॉन्च कर सकता है.

गगनयान के लिए प्रारंभिक शोध
डॉ. वी नारायणन ने कहा कि, वर्तमान में लॉन्च किए गए SSLV D3 रॉकेट द्वारा एक महत्वपूर्ण उपग्रह, सिलिकॉन कार्बाइड आधारित यूवी डोसिमीटर तैनात किया गया है. भविष्य में जब मनुष्य अंतरिक्ष में यात्रा करेंगे तो वे अंतरिक्ष विकिरण के संपर्क में आएंगे. इस मापक यंत्र का उपयोग ऐसे विकिरण की मात्रा को मापने के लिए किया जाता है.

गगनयान शोध की स्थिति क्या है?
डॉ. वी नारायणन ने कहा कि, चूंकि गगनयान परियोजना में मनुष्य शामिल हैं, इसलिए सभी घटकों को उन्हें ले जाते समय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया जाना चाहिए. गगनयान के 3 मुख्य चरण हैं. सबसे पहले, रॉकेट ने मनुष्यों के लिए सुरक्षित होने की शर्त (ह्यूमन रेटिंग) को पूरा किया है, यानी सॉलिड इंजन, लिक्विड इंजन, क्रायोजेनिक इंजन सभी तैयार हैं. दूसरा ऑर्बिटर मॉड्यूल है, जिसे मानव द्वारा संचालित किया जा सकता है. इसे तैयार करने का काम जोरों पर चल रहा है. इसके बाद क्रू एस्केप सिस्टम का परीक्षण पिछले साल ही हो चुका है. इसरो का कहना है कि, इस साल के अंत तक वे व्योमिथ्रा नामक रोबोट भेजकर उसका परीक्षण किया जाएगा. अगले साल 2 और मानव रहित रॉकेट लॉन्च होंगे. उनका लक्ष्य इंसानों को अंतरिक्ष में भेजना है.

कुलशेखरनपट्टनम में लॉन्च पैड कब तक तैयार हो जाएगा?
कुलशेखरनपट्टनम रॉकेट लॉन्च पैड 2 साल में बनकर तैयार हो जाएगा. लॉन्च पैड से श्रीलंका की निकटता के कारण, इससे आगे रॉकेट लॉन्च नहीं किए जा सकते. हम ध्रुवीय ध्रुव पर रॉकेट लॉन्च कर सकते हैं. अगर श्रीलंका के ऊपर से उड़ान भरना जरूरी हुआ तो प्रक्षेप पथ को थोड़ा मोड़ना होगा और उपग्रह का वजन कम करना होगा.

ये भी पढ़ें: इसरो ने आज लांच किया धरती की धड़कन सुनने वाला सेटेलाइट, इसके साथ ही हासिल हुई यह बड़ी उपलब्धि

श्रीहरिकोटा: इसरो नेआज श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह 9 बजकर17 मिनट पर SSLV-D3 रॉकेट लॉन्च कर दिया. वहीं, इसरो के एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि इसरो ने महत्वाकांक्षी गगनयान परियोजना के पहले मिशन को दिसंबर तक प्रक्षेपित करने का लक्ष्य रखा है. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि वर्तमान में मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए कुछ रॉकेट हार्डवेयर यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पहुंच चुके हैं और चालक दल के मॉड्यूल का एकीकरण त्रिवेंद्रम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में चल रहा है.

वहीं, इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर के निदेशक डॉ. वी नारायणन ने ईटीवी भारत को दी गई जानकारी में कई रोचक जानकारियां साझा कीं. वी. नारायणन द्वारा दी गई जानकारी को विस्तार से देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि, एसएसएलवी का मतलब है स्मॉल सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल. जहां तक ​इसरो का कहना है कि, उन्होंने लॉन्च व्हीकल की 6 पीढ़ियां विकसित की हैं.

उन्होंने कहा, अब तक एसएलवी 3, एसएलवी, पीएसएलवी, जीएसएलवी मार्क 2, एलवीएम 3, एसएसएलवी इसमें पहले से ही पीएसएलवी, जीएसएलवी, एलवीएम 3 ये रॉकेट परिचालन में आ चुके हैं. SSLV रॉकेट वर्तमान में चौथी पीढ़ी के लॉन्च व्हीकल के रूप में परिचालन में है. इसरो का कहना है कि, पहले के रॉकेट अधिक सक्षम थे. उदाहरण के लिए, LVM3 रॉकेट पृथ्वी की निचली कक्षा में 8,500 किलोग्राम और पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में 4,200 किलोग्राम वजन ले जाने में सक्षम है, लेकिन SSLV अधिकतम 500 किलोग्राम वजन ही ले जा सकता है. जब ISRO व्यावसायिक रूप से काम करता है और अगर किसी ग्राहक को अचानक उपग्रह भेजने की जरूरत होती है, तो वह रॉकेट तैयार कर सकता है और उसे एक हफ़्ते में लॉन्च कर सकता है.

गगनयान के लिए प्रारंभिक शोध
डॉ. वी नारायणन ने कहा कि, वर्तमान में लॉन्च किए गए SSLV D3 रॉकेट द्वारा एक महत्वपूर्ण उपग्रह, सिलिकॉन कार्बाइड आधारित यूवी डोसिमीटर तैनात किया गया है. भविष्य में जब मनुष्य अंतरिक्ष में यात्रा करेंगे तो वे अंतरिक्ष विकिरण के संपर्क में आएंगे. इस मापक यंत्र का उपयोग ऐसे विकिरण की मात्रा को मापने के लिए किया जाता है.

गगनयान शोध की स्थिति क्या है?
डॉ. वी नारायणन ने कहा कि, चूंकि गगनयान परियोजना में मनुष्य शामिल हैं, इसलिए सभी घटकों को उन्हें ले जाते समय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया जाना चाहिए. गगनयान के 3 मुख्य चरण हैं. सबसे पहले, रॉकेट ने मनुष्यों के लिए सुरक्षित होने की शर्त (ह्यूमन रेटिंग) को पूरा किया है, यानी सॉलिड इंजन, लिक्विड इंजन, क्रायोजेनिक इंजन सभी तैयार हैं. दूसरा ऑर्बिटर मॉड्यूल है, जिसे मानव द्वारा संचालित किया जा सकता है. इसे तैयार करने का काम जोरों पर चल रहा है. इसके बाद क्रू एस्केप सिस्टम का परीक्षण पिछले साल ही हो चुका है. इसरो का कहना है कि, इस साल के अंत तक वे व्योमिथ्रा नामक रोबोट भेजकर उसका परीक्षण किया जाएगा. अगले साल 2 और मानव रहित रॉकेट लॉन्च होंगे. उनका लक्ष्य इंसानों को अंतरिक्ष में भेजना है.

कुलशेखरनपट्टनम में लॉन्च पैड कब तक तैयार हो जाएगा?
कुलशेखरनपट्टनम रॉकेट लॉन्च पैड 2 साल में बनकर तैयार हो जाएगा. लॉन्च पैड से श्रीलंका की निकटता के कारण, इससे आगे रॉकेट लॉन्च नहीं किए जा सकते. हम ध्रुवीय ध्रुव पर रॉकेट लॉन्च कर सकते हैं. अगर श्रीलंका के ऊपर से उड़ान भरना जरूरी हुआ तो प्रक्षेप पथ को थोड़ा मोड़ना होगा और उपग्रह का वजन कम करना होगा.

ये भी पढ़ें: इसरो ने आज लांच किया धरती की धड़कन सुनने वाला सेटेलाइट, इसके साथ ही हासिल हुई यह बड़ी उपलब्धि

Last Updated : Aug 16, 2024, 10:58 PM IST
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