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इसरो ने दोबारा उपयोग में आने वाले प्रक्षेपण यान की लैंडिंग का सफल परीक्षण किया - Indian Space Research Organisation - INDIAN SPACE RESEARCH ORGANISATION

ATR In Chitradurga Karnataka,इसरो ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग में दोबारा उपयोग में आ सकने वाले प्रक्षेपण यान के अंतिम लैंडिंग प्रयोग का सफल परीक्षण किया. इसरो ने कहा कि अब उसका लक्ष्य आरएलवी-ओआरवी, कक्षीय पुन: प्रयोज्य वाहन का परीक्षण करना है.

ISRO aces final test of Reusable Launch Vehicle tech for Landing Experiment
इसरो ने दोबारा उपयोग में आने वाले प्रक्षेपण यान की लैंडिंग का सफल परीक्षण किया (IANS)
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By IANS

Published : Jun 23, 2024, 8:13 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने दोबारा उपयोग में आ सकने वाले प्रक्षेपण यान (RLV) के अंतिम लैंडिंग प्रयोग (LEX) परीक्षण के सफल रहने की घोषणा की है. यह लेक्स (03) प्रौद्योगिकी श्रृंखला का लगातार तीसरा सफल परीक्षण है. इसमें प्रक्षेपण यान की अपने दम पर लैंड करने की क्षमता का परीक्षण किया गया.

कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (ATR) में सुबह 07:10 बजे परीक्षण किया गया था. इसरो ने एक बयान में कहा कि लेक्स-03 मिशन ने लेक्स-02 के मुकाबले अधिक चुनौतीपूर्ण रिलीज स्थितियों और अधिक गंभीर हवा की स्थिति में सफलता प्राप्त की. प्रयोग के तहत 'पुष्पक' नामक पंख वाले वाहन को भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से 4.5 किमी की ऊंचाई से गिराया गया. इसरो ने कहा कि उन्नत स्वायत्त क्षमताओं से लैस, पुष्पक ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में एक सटीक क्षैतिज लैंडिंग की.

अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि रनवे से 4.5 किमी ऊपर एक रिलीज पॉइंट से, पुष्पक ने स्वचालित रूप से क्रॉस-रेंज मैनोवर्स को अंजाम दिया, रनवे के पास पहुंचा और रनवे सेंटरलाइन पर एक सटीक क्षैतिज लैंडिंग की. इस वाहन का लिफ्ट-टू-ड्रैग अनुपात कम होने से लैंडिंग की गति 320 किमी प्रति घंटे से अधिक थी, जबकि वाणिज्यिक विमानों के लिए यह 260 किमी प्रति घंटे और एक सामान्य लड़ाकू विमान के लिए 280 किमी प्रति घंटे होती है.

इसरो ने कहा कि लैंडिंग के बाद, वाहन के वेग को लगभग 100 किमी प्रति घंटे तक कम करने के लिए ब्रेक पैराशूट का उपयोग किया गया. फिर लैंडिंग गियर ब्रेक का उपयोग करके वाहन को रनवे पर धीमा करके रोक दिया गया. आरएलवी लेक्स मिशन इनर्शियल सेंसर, रडार अल्टीमीटर, फ्लश एयर डाटा सिस्टम, स्यूडो लाइट सिस्टम और नाविक जैसे सेंसरों से लैस था. इसरो ने कहा कि अब उसका लक्ष्य आरएलवी-ओआरवी, कक्षीय पुन: प्रयोज्य वाहन का परीक्षण करना है.

ये भी पढ़ें- 3D प्रिंटेड इंजन वाला दुनिया का पहला रॉकेट लॉन्च IIT स्टार्टअप ने किया

नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने दोबारा उपयोग में आ सकने वाले प्रक्षेपण यान (RLV) के अंतिम लैंडिंग प्रयोग (LEX) परीक्षण के सफल रहने की घोषणा की है. यह लेक्स (03) प्रौद्योगिकी श्रृंखला का लगातार तीसरा सफल परीक्षण है. इसमें प्रक्षेपण यान की अपने दम पर लैंड करने की क्षमता का परीक्षण किया गया.

कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (ATR) में सुबह 07:10 बजे परीक्षण किया गया था. इसरो ने एक बयान में कहा कि लेक्स-03 मिशन ने लेक्स-02 के मुकाबले अधिक चुनौतीपूर्ण रिलीज स्थितियों और अधिक गंभीर हवा की स्थिति में सफलता प्राप्त की. प्रयोग के तहत 'पुष्पक' नामक पंख वाले वाहन को भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से 4.5 किमी की ऊंचाई से गिराया गया. इसरो ने कहा कि उन्नत स्वायत्त क्षमताओं से लैस, पुष्पक ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में एक सटीक क्षैतिज लैंडिंग की.

अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि रनवे से 4.5 किमी ऊपर एक रिलीज पॉइंट से, पुष्पक ने स्वचालित रूप से क्रॉस-रेंज मैनोवर्स को अंजाम दिया, रनवे के पास पहुंचा और रनवे सेंटरलाइन पर एक सटीक क्षैतिज लैंडिंग की. इस वाहन का लिफ्ट-टू-ड्रैग अनुपात कम होने से लैंडिंग की गति 320 किमी प्रति घंटे से अधिक थी, जबकि वाणिज्यिक विमानों के लिए यह 260 किमी प्रति घंटे और एक सामान्य लड़ाकू विमान के लिए 280 किमी प्रति घंटे होती है.

इसरो ने कहा कि लैंडिंग के बाद, वाहन के वेग को लगभग 100 किमी प्रति घंटे तक कम करने के लिए ब्रेक पैराशूट का उपयोग किया गया. फिर लैंडिंग गियर ब्रेक का उपयोग करके वाहन को रनवे पर धीमा करके रोक दिया गया. आरएलवी लेक्स मिशन इनर्शियल सेंसर, रडार अल्टीमीटर, फ्लश एयर डाटा सिस्टम, स्यूडो लाइट सिस्टम और नाविक जैसे सेंसरों से लैस था. इसरो ने कहा कि अब उसका लक्ष्य आरएलवी-ओआरवी, कक्षीय पुन: प्रयोज्य वाहन का परीक्षण करना है.

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