बस्तर: जगदलपुर के डिमरापाल अस्पताल में 54 साल के बुजुर्ग ईश्वर कोर्राम की मौत इलाज के दौरान हो गई. घर वाले चाहते थे कि ईश्वर कोर्राम का अंतिम संस्कार ईसाई रीति रिवाजों से हो और उसे जमीन में दफनाया जाए. शव को दफनाने की बात जैसे ही इलाके में फैली तो इसपर विवाद खड़ा गया. ईश्वर कोर्राम ने ईसाई धर्म को अपना लिया था. दफनाने को लेकर जब विवाद और बढ़ा तो परिजनों ने हाईकोर्ट की शरण ली. हाईकोर्ट ने फौरन सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि शव को दफनाने की अनुमति है. पुलिस की सुरक्षा के बीच शव को दफन किया जाए.
कोर्ट के आदेश पर दफनाने की मिली इजाजत: कोर्ट के आदेश पर भारी सुरक्षा के बीच ईसाई धर्म अनुसार ईश्वर कोर्राम को दफना दिया गया. परिजनों के मुताबिक ईश्वर कोर्राम को सांस लेने में तकलीफ होने पर डिमारापाल के अस्पताल में भर्ती कराया गया. इलाज के दौरान सुधार नहीं हुआ और उसकी मौत हो गई. परिजन शव का अंतिम संस्कार गांव में ही करना चाहते थे. गांव के एक पक्ष ने इसपर आपत्ति उठाई जिसके बाद विवाद बढ़ गया. परिजनों ने कोर्ट की शरण ली. कोर्ट ने आदेश दिया कि परिजन अपनी मर्जी के मुताबिक उसका अंतिम संस्कार कर सकते हैं. पुलिस को भी कोर्ट ने हिदायत दी कि वो पूरे मामले की निगरानी करे और अपनी सुरक्षा में शव का अंतिम संस्कार कराए.
25 तारीख को मेरे पिता की मौत हुई. शव ले जाने के लिए गाड़ी अस्पताल की और से दी गई. हम शव को घर ले जाने के लिए निकले जब हम डोंगरीगुड़ा मोड़ पर पहुंचे तो एक फोन आया जिसके बाद शव वाहन को वापस अस्पताल ले जाया गया. शव को मर्च्यूरी में रखवा दिया गया. फिर हम बिलासपुर हाईकोर्ट गए. कोर्ट ने आदेश दिया कि आप जाकर अपने धर्म के मुताबिक शव का अंतिम संस्कार करो. पुलिस के साथ फिर हम बॉडी लेकर यहां पहुंचे और अंतिम संस्कार किया''. - सार्थिक कोर्राम, मृतक ईश्वर कोर्राम का बेटा
खत्म हुआ विवाद: कोर्ट के आदेश के बाद शव का अंतिम संस्कार पीड़ित परिवार की जमीन पर ही किया गया. मौके पर भारी पुलिस बल मौजूद रही. शव के दफन होने के बाद पुलिस की टीम मौके से रवाना हो गई. जिसके बाद चार दिनों से चला आ रहा विवाद आखिरकार खत्म हो गया.