पटना : 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद देश की राजनीतिक परिस्थिति थोड़ी अलग सी हो गई है. कहीं पर मजबूती दिख रही है, तो कहीं गांठ पड़ते दिखाई पड़ रहे हैं. अगर उत्तर बिहार की बात की जाए तो दो बड़े राज्यों बिहार और उत्तर प्रदेश में इसका असर साफ दिखाई पड़ रहा है.
बिहार BJP में अंदरूनी कलह : उत्तर प्रदेश में बीजेपी के नेता अंदरूनी कलह को अपनी बातों के जरिए सार्वजनिक करने में लगे हैं. ऐसे में भला बिहार बीजेपी कैसे पीछे रह जाती? कहा जाता है राजनीति में हवा के रुख के साथ बहुत कुछ बदलता है. कुछ ऐसा ही बिहार में दिखाई पड़ने लगा है. जिस प्रकार से नेताओं ने एक-दूसरे से दूरी बनानी शुरू की है, वह तो इसी ओर इशारा करता है कि बिहार बीजेपी में 'ऑल इज नॉट वेल है.'
कई नेतओं ने बनायी दूरी : अब जरा आज की बात कर लीजिए. भारतीय जनता पार्टी की बिहार प्रदेश इकाई में विस्तृत प्रदेश कार्य समिति की बैठक बुलाई गई. बैठक में बिहार भाजपा के तमाम कार्यकर्ताओं और नेताओं को बुलाया गया. यह बात दीगर रही कि पार्टी के कुछ सीनियर लीडर हिस्सा लेने नहीं पहुंचे.
केन्द्रीय नेताओं ने नहीं दिखाई दिलचस्पी : उम्मीद की जा रही थी कि केंद्र से कोई बड़े नेता बैठक में हिस्सा लेंगे और कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तो नहीं पहुंचे, लेकिन उनकी जगह शिवराज सिंह चौहान, असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा या फिर केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को प्रस्ताव भेजा गया था. पर किसी ने शामिल होने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. बड़े नेता में बिहार के प्रभारी विनोत तावड़े मौजूद थे.
राज्य के नेताओं ने भी मुंह मोड़ा : केन्द्रीय नेता तो छोड़िए राज्य के भी कई वरिष्ठ नेताओं ने इस बैठक से दूरी बना ली. गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे, रमा देवी, संजय पासवान सहित कई बड़े नेताओं ने पार्टी की इतनी बड़ी बैठक में आना मुनासिब नहीं समझा. जबकि कार्यकर्ताओं से श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल खचाखच भरा हुआ था.
'पार्टी के अंदर गुटबाजी चरम पर' : वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का मानना है कि, बिहार बीजेपी में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. विस्तृत कार्य समिति के दौरान भी इसका नजारा दिखा. पार्टी के अंदर गुटबाजी चरम पर है. नेता और कार्यकर्ता कई गुटों में बंटे हुए दिख रहे हैं. पार्टी के दो बड़े नेताओं के बीच पावर क्लैश है.
मंत्री को देनी पड़ी दलील : हालांकि, बिहार सरकार के मंत्री हरि सहनी ने कहा कि इस बैठक के जरिए कार्यकर्ताओं को अगले चुनाव के लिए तैयार किया गया. पूरे जोश के साथ कार्यकर्ता विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटेंगे. किसी केंद्रीय मंत्री या नेता के हिस्सा नहीं लेने पर मंत्री ने कहा कि इससे भाजपा कार्यकर्ताओं के मनोबल पर कोई फर्क नहीं पड़ता. भाजपा कार्यकर्ता ऊर्जावान हैं. आगामी विधानसभा चुनाव में हम शानदार प्रदर्शन करने जा रहे हैं.
कार्यक्रम का रंग रहा फीका : वैसे तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी एक तरीके से शक्ति प्रदर्शन करने की कोशिश की थी, लेकिन बड़े नेताओं के नहीं आने से कार्यक्रम का रंग फीका रहा. पार्टी कार्यकर्ताओं के मन में यह चल रहा है कि पार्टी का अगला अध्यक्ष कौन होगा.
प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी की लड़ाई : भारतीय जनता पार्टी के अंदर फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी और केंद्रीय मंत्री के बीच पावर की लड़ाई है. अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, इसे लेकर भी नेता जोर आजमाइश कर रहे हैं. सम्राट चौधरी जहां अध्यक्ष बने रहना चाहते हैं, वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय अपने किसी करीबी को प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते हैं.
''केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के बीच खींचतान है. नित्यानंद राय के अभिनंदन समारोह से सम्राट चौधरी गायब थे. अध्यक्ष पद को लेकर दोनों नेताओं के बीच संघर्ष की स्थिति दिख रही है. इसके अलावा अश्वनी चौबे संजय पासवान सरीखे नेता लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. आगामी विधानसभा चुनाव के नजरिए से पार्टी के अंदर गुटबाजी अच्छे संकेत नहीं है. ऐसे में भाजपा को नुकसान हो सकता है.''- अरुण पांडे, वरिष्ठ पत्रकार
समय रहते सबकुछ ठीक करना आवश्यक : कुल मिलाकर कहा जाए तो बिहार बीजेपी के अंदरखाने बहुत कुछ चल रहा है. जिस प्रकार से लोकसभा चुनाव के दौरान उसे सीटों का नुकसान हुआ, कहीं ऐसा ही नजारा 2025 के विधानसभा चुनाव में नहीं देखना पड़े. ऐसे में जरूरी है कि समय रहते सबकुछ ठीक कर लिया जाए, क्योंकि इंग्लिश का एक कहावत है, Precaution Is Better Than Cure (सावधानी इलाज से बेहतर है).
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