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रोहतासगढ़ किले को विकास वैभव ने नक्सलियों से दिलाई थी आजादी, 2009 में पहली बार फहराया तिरंगा

IPS Vikas Vaibhav: बिहार के आईपीएस विकास वैभव ने अपने साहस और कार्य कुशलता से एक ऐसे क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन करके दिखा दिया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. आजादी के बाद भी रोहतासगढ़ किला गुलाम था. नक्सलियों का झंडा यहां लहराता था. लोगों ने आजादी के बाद से वोट नहीं दिया था. ऐसे स्थान पर विकास वैभव ने कैसे बदलाव किया जानें.

रोहतासगढ़ किले को विकास वैभव ने नक्सलियों से दिलाई आजादी
रोहतासगढ़ किले को विकास वैभव ने नक्सलियों से दिलाई आजादी
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 25, 2024, 7:47 PM IST

Updated : Jan 26, 2024, 12:43 PM IST

IPS विकास वैभव से खास बातचीत

पटना: लोकतंत्र का महापर्व लोकसभा चुनाव करीब है और ऐसे में मतदाता दिवस की प्रासंगिकता बढ़ जाती है. लोग अपने मतों का इस्तेमाल करें और सही फैसला लें इसे लेकर मतदाताओं को जागरूक भी किया जा रहा है. लेकिन बिहार का एक जिला ऐसा भी है जहां आजादी के बाद से तिरंगा नहीं फहराया गया था और लोगों ने मतदान नहीं किया था. ऐसे में एक दिलेर आईपीएस अधिकारी की बदौलत यहां इतिहास रचा गया.

पहली बार नक्सलियों के मांद पर फहराया गया था तिरंगा: रोहतास जिले के नोहटा थाना क्षेत्र का इलाका चुनाव के लिहाज से अति संवेदनशील माना जाता था. जिले के कई इलाकों में पोलिंग स्टेशन नहीं बनते थे और लोगों को मतदान के लिए 30 किलोमीटर दूर जाना होता था. लेकिन आईपीएस ऑफिसर विकास वैभव ने लोकतंत्र के झंडे को बुलंद करने का बीड़ा उठाया और जहां नक्सलियों का बोलबाला था और वहां काले झंडे फहराय जाते थे वहां लोगों को मुख्य धारा से जोड़ा गया.

साहस और कार्य कुशलता से रच दिया इतिहास
साहस और कार्य कुशलता से रच दिया इतिहास

IPS विकास वैभव ने नक्सलियों से लिया लोहा: साल 2008 तक रोहतासगढ़ के दुर्गम पहाड़ियों में नक्सलियों का बसेरा हुआ करता था. इलाके के भंसा घाटी, बुधवाऔर सोली इलाके में मतदान नहीं होते थे. लोगों को 20 से 30 किलोमीटर दूर जाकर मत का इस्तेमाल करना होता था. कई लोगों ने तो स्वतंत्रता के बाद मतदान ही नहीं किया था. आईपीएस विकास वैभव ने पहली बार साहस का परिचय देते हुए नक्सलियों को चुनौती देने का फैसला लिया.

2009 को पहली बार रोहतास किले पर फहराया गया तिरंगा: ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान आईपीएस विकास वैभव ने कहा कि सोन महोत्सव के जरिए हम लोग रोहतासगढ़ के पहाड़ी पर जाते थे. उनके पूर्वजों की बात करते थे. इसी क्रम में 26 जनवरी 2009 को पहली बार रोहतास किले पर तिरंगा फहराया गया. उससे पहले नक्सली काले झंडे फहराते थे. मैंने फैसला लिया कि यहां चुनाव कराना है.

आईपीएस विकास वैभव
आईपीएस विकास वैभव

"हमारा उद्देश्य था कि जितने भी पहाड़ी बूथ हैं, वहीं पर चुनाव हो. लेकिन पहले होता यह था कि बूथ को पहाड़ के नीचे ट्रांसफर कर दिया जाता था. वर्ष 2009 में हमने भंसा गांव में एक कंपनी स्थापित की जो इलेक्शन के अभियान में लगी थी. 16 अप्रैल को चुनाव होने थे, लेकिन उससे दो दिन पहले 14 अप्रैल को रात्रि 10:30 बजे नक्सलियों के साथ गोलीबारी शुरू हो गई."- विकास वैभव, आईपीएस

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ईटीवी भारत gfx

चुनाव के दो दिन पहले हुई फायरिंग: उन्होंने आगे बताया कि हमारे एक जवान घायल भी हुए. रात में इतनी गोलियां चली कि कंपनी की गोली खत्म हो गई. तब हम लोगों ने कंपनी को हटाने का निर्णय लिया. तत्काल चुनाव न करने का फैसला लिया गया और अगली तारीख 9 मई को चुनाव के लिए तिथि तय की गई. तीन भवन के छह मतदान केंद्रों पर मतदान करने का फैसला लिया गया. 12 कंपनी केंद्रीय बल के हमें मिले और चार कंपनी राज्य पुलिस की हमें मिली.

'लोगों को घरों से निकालना कड़ी चुनौती': विकास वैभव ने बताया कि उस समय मुझे यह लग रहा था कि मेरे जीवन की यह अग्नि परीक्षा है. जिस क्षेत्र में कभी चुनाव नहीं हुए और बीएसएफ के टुकड़ी पर हमला हुआ. वहां लोगों को घरों से निकालना कड़ी चुनौती थी. नक्सली भी तैयारी में थे कि पुलिस चढ़ेगी तो हमला करेंगे. हम लोगों ने नक्सलियों से निपटने के लिए खास रणनीति बनाई.

'नया इतिहास रचा': अपनी पुरानी यादों को साझा करते हुए विकास वैभव ने कहा कि उन इलाकों में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं थी. ड्रिलिंग मशीन रांची से मंगाई गई और चापाकल लगाया गया. सेटेलाइट फोन के जरिए संपर्क साधा जा रहा था. 9 मई के लिए पूरी तैयारी हुई. ईवीएम हम लोगों ने हेलीकॉप्टर के जरिए भेजा था. शाम 3:00 बजे तक मतदान चला और 50% लोगों ने मतदान किया. नया इतिहास रचा गया. उस क्षेत्र के लोग पहली बार मुख्य धारा में जुड़े.

बगहा में भी चलाया अभियान: बगहा जिसे बिहार का मिनी चंबल कहा जाता था वहां भी निष्पक्ष चुनाव नहीं होते थे और मतदान का प्रतिशत अधिक कम था. विकास वैभव दूसरी पोस्टिंग में बगहा गए और वहां अपराधियों और डकैतों के खिलाफ अभियान चलाया. आईपीएस विकास वैभव ने बताया कि पब्लिक फ्रेंडली पुलिसिंग के जरिए वहां सफल ऑपरेशन चलाया गया.

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पहली बार नक्सलियों के मांद पर फहराया गया था तिरंगा: रोहतास जिले के नोहटा थाना क्षेत्र का इलाका चुनाव के लिहाज से अति संवेदनशील माना जाता था. जिले के कई इलाकों में पोलिंग स्टेशन नहीं बनते थे और लोगों को मतदान के लिए 30 किलोमीटर दूर जाना होता था. लेकिन आईपीएस ऑफिसर विकास वैभव ने लोकतंत्र के झंडे को बुलंद करने का बीड़ा उठाया और जहां नक्सलियों का बोलबाला था और वहां काले झंडे फहराय जाते थे वहां लोगों को मुख्य धारा से जोड़ा गया.

साहस और कार्य कुशलता से रच दिया इतिहास
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2009 को पहली बार रोहतास किले पर फहराया गया तिरंगा: ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान आईपीएस विकास वैभव ने कहा कि सोन महोत्सव के जरिए हम लोग रोहतासगढ़ के पहाड़ी पर जाते थे. उनके पूर्वजों की बात करते थे. इसी क्रम में 26 जनवरी 2009 को पहली बार रोहतास किले पर तिरंगा फहराया गया. उससे पहले नक्सली काले झंडे फहराते थे. मैंने फैसला लिया कि यहां चुनाव कराना है.

आईपीएस विकास वैभव
आईपीएस विकास वैभव

"हमारा उद्देश्य था कि जितने भी पहाड़ी बूथ हैं, वहीं पर चुनाव हो. लेकिन पहले होता यह था कि बूथ को पहाड़ के नीचे ट्रांसफर कर दिया जाता था. वर्ष 2009 में हमने भंसा गांव में एक कंपनी स्थापित की जो इलेक्शन के अभियान में लगी थी. 16 अप्रैल को चुनाव होने थे, लेकिन उससे दो दिन पहले 14 अप्रैल को रात्रि 10:30 बजे नक्सलियों के साथ गोलीबारी शुरू हो गई."- विकास वैभव, आईपीएस

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चुनाव के दो दिन पहले हुई फायरिंग: उन्होंने आगे बताया कि हमारे एक जवान घायल भी हुए. रात में इतनी गोलियां चली कि कंपनी की गोली खत्म हो गई. तब हम लोगों ने कंपनी को हटाने का निर्णय लिया. तत्काल चुनाव न करने का फैसला लिया गया और अगली तारीख 9 मई को चुनाव के लिए तिथि तय की गई. तीन भवन के छह मतदान केंद्रों पर मतदान करने का फैसला लिया गया. 12 कंपनी केंद्रीय बल के हमें मिले और चार कंपनी राज्य पुलिस की हमें मिली.

'लोगों को घरों से निकालना कड़ी चुनौती': विकास वैभव ने बताया कि उस समय मुझे यह लग रहा था कि मेरे जीवन की यह अग्नि परीक्षा है. जिस क्षेत्र में कभी चुनाव नहीं हुए और बीएसएफ के टुकड़ी पर हमला हुआ. वहां लोगों को घरों से निकालना कड़ी चुनौती थी. नक्सली भी तैयारी में थे कि पुलिस चढ़ेगी तो हमला करेंगे. हम लोगों ने नक्सलियों से निपटने के लिए खास रणनीति बनाई.

'नया इतिहास रचा': अपनी पुरानी यादों को साझा करते हुए विकास वैभव ने कहा कि उन इलाकों में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं थी. ड्रिलिंग मशीन रांची से मंगाई गई और चापाकल लगाया गया. सेटेलाइट फोन के जरिए संपर्क साधा जा रहा था. 9 मई के लिए पूरी तैयारी हुई. ईवीएम हम लोगों ने हेलीकॉप्टर के जरिए भेजा था. शाम 3:00 बजे तक मतदान चला और 50% लोगों ने मतदान किया. नया इतिहास रचा गया. उस क्षेत्र के लोग पहली बार मुख्य धारा में जुड़े.

बगहा में भी चलाया अभियान: बगहा जिसे बिहार का मिनी चंबल कहा जाता था वहां भी निष्पक्ष चुनाव नहीं होते थे और मतदान का प्रतिशत अधिक कम था. विकास वैभव दूसरी पोस्टिंग में बगहा गए और वहां अपराधियों और डकैतों के खिलाफ अभियान चलाया. आईपीएस विकास वैभव ने बताया कि पब्लिक फ्रेंडली पुलिसिंग के जरिए वहां सफल ऑपरेशन चलाया गया.

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Last Updated : Jan 26, 2024, 12:43 PM IST
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