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युवती के अपहरण-हत्या मामले में बेगुनाह ने 12 साल जेल काटा, अब हाईकोर्ट ने किया बरी; पुलिस जांच पर गंभीर सवाल - Innocent person served sentence

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 28, 2024, 10:47 PM IST

Updated : May 29, 2024, 11:34 AM IST

फतेहपुर पुलिस की गलत विवेचना से 12 साल 8 माह 13 दिन निर्दोष ने काटी जेल, पुलिसिया कार्यशैली की खुली पोल, निर्दोष को उच्च न्यायालय से मिला न्याय

Proved innocent after serving 12 years and 8 months sentence
12 साल 8 महीने सजा काटने के बाद निर्दोष साबित (Photo Credit ETV BHARAT)

फतेहपुर: यूपी के फतेहपुर जिले में अपहरण कर युवती की नृसंस हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे अभियुक्त को हाईकोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया. इस मामले में दायर की गई अपील पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आरोपी को बाइज्जत बरी कर दिया. 12 वर्ष 8 माह 13 दिन की सजा काट चुके अभियुक्त को रिहा करने का आदेश जैसे ही परिजनों को मिली तो वह खुशी से झूम उठे और कहा कि उन्हें कोर्ट से न्याय पर पूरा भरोसा था.

बता दें कि मामला सदर कोतवाली क्षेत्र के मसवानी मोहल्ले का है. मोहल्ले के रहने वाले कमरुल हुदा ने पुलिस को दी गयी तहरीर में बताया था कि, उसकी बेटी 28 साल की एमएबीएड की छात्रा फरहत फातिमा उर्फ जीनत पीसीएस परीक्षा की तैयारी कर रही थी. 29 अगस्त 2011 को दिन में दवा लेने बाजार गई थी. तब से वह घर वापस नहीं आयी. उसके पास एक मोबाइल भी था. काफी खोजबीन की गयी लेकिन उसका कोई पता नहीं चल सका. कमरुल हुदा ने शिकायती पत्र में मोहल्ले के ही इरफान अहमद उर्फ गुड्ड पर शक जताते हुए बताया था कि, युवक लड़की के पीछे था. कहीं न कहीं लड़की को गायब करने में इसी का हाथ है.

पुलिस ने तहरीर के आधार पर 8 सितम्बर 2011 को इरफान अहमद उर्फ गुड्ड को जेल भेज दिया था. कुछ दिन बाद भिटौरा रोड स्थित पुलिया के नीचे से बोरे में भरा टुकड़ों में कटा सड़ा गला शव पुलिस ने बरामद किया और उसका पोस्टमार्टम करवाया था.

जांच के बाद पुलिस ने 22 फरवरी को आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया था. तत्कालीन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट ने अभियुक्त इरफान अहमद उर्फ गुड्डु को घटना का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुना दी साथ ही 32 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. आरोप सिद्ध होने के बाद अभियुक्त इरफान अहमद ने हाईकोर्ट में अपील की. उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों न्यायामूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा व न्यायामूर्ति मो. अजहर हुसैन इदरीशी की खण्ड पीठ ने लगातार मामले की सुनवाई कर 30 अप्रैल को सबूत के आभाव में इरफान अहमद उर्फ गुड्ड को बाइज्जत रिहा करने के निर्देश दिये. अभियुक्त को 12 वर्ष 8 माह 13 दिन में जेल से रिहा किया गया.

हाईकोर्ट की डबल वेंच की ओर से अभियुक्त को बाइज्जत बरी करने के दिये गये निर्देश से पुलिस की भी पोल खुल गयी है. आनन-फानन में जिस प्रकार आरोप पत्र दाखिल कर अभियुक्त को सजा दिलाई गई वह सवालों के घेरे में हैं. 12 साल 8 माह 13 दिन तक जेल में सजा काटने के वाद निर्दोष साबित हुए इरफान अहमद का कसूर तो साबित नहीं हो सका लेकिन पुलिस की जांच शैली से उसका जीवन बर्बाद हो गया.

साक्ष्य संकलन में भी भारी चूक रही. अवैध ढंग से तमंचा भी लगा दिया.जीवन के महत्वपूर्ण साढ़े बारह साल खोने के बाद जेल से बाहर निकले इरफान ने राहत की सांस तो जरुर ली है. लेकिन जो समय उसका निकला उसकी भरपाई कैसे होगी यह सवालिया निशान उसके चेहरे पर साफ दिख रहा है.

ये भी पढ़ें: बलवा और सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के मामले में पूर्व सपा विधायक दोषी करार, 2 वर्ष की कैद

फतेहपुर: यूपी के फतेहपुर जिले में अपहरण कर युवती की नृसंस हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे अभियुक्त को हाईकोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया. इस मामले में दायर की गई अपील पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आरोपी को बाइज्जत बरी कर दिया. 12 वर्ष 8 माह 13 दिन की सजा काट चुके अभियुक्त को रिहा करने का आदेश जैसे ही परिजनों को मिली तो वह खुशी से झूम उठे और कहा कि उन्हें कोर्ट से न्याय पर पूरा भरोसा था.

बता दें कि मामला सदर कोतवाली क्षेत्र के मसवानी मोहल्ले का है. मोहल्ले के रहने वाले कमरुल हुदा ने पुलिस को दी गयी तहरीर में बताया था कि, उसकी बेटी 28 साल की एमएबीएड की छात्रा फरहत फातिमा उर्फ जीनत पीसीएस परीक्षा की तैयारी कर रही थी. 29 अगस्त 2011 को दिन में दवा लेने बाजार गई थी. तब से वह घर वापस नहीं आयी. उसके पास एक मोबाइल भी था. काफी खोजबीन की गयी लेकिन उसका कोई पता नहीं चल सका. कमरुल हुदा ने शिकायती पत्र में मोहल्ले के ही इरफान अहमद उर्फ गुड्ड पर शक जताते हुए बताया था कि, युवक लड़की के पीछे था. कहीं न कहीं लड़की को गायब करने में इसी का हाथ है.

पुलिस ने तहरीर के आधार पर 8 सितम्बर 2011 को इरफान अहमद उर्फ गुड्ड को जेल भेज दिया था. कुछ दिन बाद भिटौरा रोड स्थित पुलिया के नीचे से बोरे में भरा टुकड़ों में कटा सड़ा गला शव पुलिस ने बरामद किया और उसका पोस्टमार्टम करवाया था.

जांच के बाद पुलिस ने 22 फरवरी को आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया था. तत्कालीन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट ने अभियुक्त इरफान अहमद उर्फ गुड्डु को घटना का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुना दी साथ ही 32 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. आरोप सिद्ध होने के बाद अभियुक्त इरफान अहमद ने हाईकोर्ट में अपील की. उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों न्यायामूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा व न्यायामूर्ति मो. अजहर हुसैन इदरीशी की खण्ड पीठ ने लगातार मामले की सुनवाई कर 30 अप्रैल को सबूत के आभाव में इरफान अहमद उर्फ गुड्ड को बाइज्जत रिहा करने के निर्देश दिये. अभियुक्त को 12 वर्ष 8 माह 13 दिन में जेल से रिहा किया गया.

हाईकोर्ट की डबल वेंच की ओर से अभियुक्त को बाइज्जत बरी करने के दिये गये निर्देश से पुलिस की भी पोल खुल गयी है. आनन-फानन में जिस प्रकार आरोप पत्र दाखिल कर अभियुक्त को सजा दिलाई गई वह सवालों के घेरे में हैं. 12 साल 8 माह 13 दिन तक जेल में सजा काटने के वाद निर्दोष साबित हुए इरफान अहमद का कसूर तो साबित नहीं हो सका लेकिन पुलिस की जांच शैली से उसका जीवन बर्बाद हो गया.

साक्ष्य संकलन में भी भारी चूक रही. अवैध ढंग से तमंचा भी लगा दिया.जीवन के महत्वपूर्ण साढ़े बारह साल खोने के बाद जेल से बाहर निकले इरफान ने राहत की सांस तो जरुर ली है. लेकिन जो समय उसका निकला उसकी भरपाई कैसे होगी यह सवालिया निशान उसके चेहरे पर साफ दिख रहा है.

ये भी पढ़ें: बलवा और सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के मामले में पूर्व सपा विधायक दोषी करार, 2 वर्ष की कैद

Last Updated : May 29, 2024, 11:34 AM IST
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