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ट्रांसजेंडरों का पहला घर 'मेरा कुनबा', जहां ट्रांसमैन और ट्रांस वूमेन के लिए फ्री हैं तमाम सुविधाएं - indore transgenders Shelter home

इंदौर में स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर और ट्रांसजेंडर संध्या घावरी ने अनूठी पहल की है. उन्होंने ट्रांसजेंडर्स के लिए शेल्टर होम शुरु किया है. प्रदेश के पहले ट्रांसजेंडर शेल्टर होम में जरूरतमंद गरीब और बेरोजगार ट्रांसजेंडर्स को लॉजिंग बोर्डिंग के साथ वर्कप्लेस, मेडिकल सुविधाओं का लाभ मिलेगा. घर से बेदखल कर दिए जाने वाले ट्रांसजेंडर की काउंसलिंग और मदद की जाएगी.

INDORE TRANSGENDERS SHELTER HOME
इंदौर में ट्रांसजेंडरों का शेल्टर होम (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 19, 2024, 10:26 PM IST

Updated : Sep 20, 2024, 9:30 AM IST

इंदौर: भारतीय समाज में जहां वन्य प्राणियों से लेकर पालतू पशुओं तक के लिए तो आश्रय स्थल और रहने की सुविधा है. लेकिन मानव समाज के बीच ट्रांसजेंडर कहे जाने वाले ऐसे भी लोग हैं जो शारीरिक रूप से अपने लिंग के विपरीत विकसित होने के कारण घर परिवार द्वारा बहिष्कृत कर दिए जाते हैं. इन लोगों को ना तो घर में जगह मिल पाती है न सम्मान और न रोजी रोटी. यही वजह है कि प्रदेश में पहली बार एक ट्रांसजेंडर ग्रुप ने ऐसे तमाम लोगों के लिए एक ऐसा मुकाम तैयार किया है, जहां बिना किसी भेदभाव के न केवल ट्रांसजेंडर मिलजुल कर रह सकेंगे. बल्कि पढ़ लिखकर अपना भविष्य भी संवार सकेंगे.

ट्रांसजेंडरों का पहला घर मेरा कुनबा (ETV Bharat)

तपिश फाउंडेशन की अनोखी पहल
दरअसल जन्म से लड़का पैदा होकर ट्रांसजेंडर रहते हुए लड़की के रूप में अपना मुकाम बनाने वाली इंदौर में स्वच्छता की ब्रांड एंबेसडर संध्या घावरी और लड़की से लड़का बने निकुंज जैन बताते हैं कि, "प्रदेश में सैकड़ों ऐसे लोग हैं, जो ट्रांसजेंडर होने के कारण ट्रांसजेंडर्स बनकर अभिशप्त जीवन नहीं जीना चाहते. इनमें कई लोग ऐसे हैं जो पढ़ लिखकर समाज में अपना मुकाम बनाते हुए आगे बढ़ना चाहते हैं. इसी परेशानी का सामना करते हुए अपनी संस्था तपिश फाउंडेशन के जरिए ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए इंदौर के महालक्ष्मी नगर में एक सुरक्षित आश्रय स्थल तैयार किया है. जहां ट्रांसमैन ट्रांस वूमेन और नॉन वायनरी व्यक्तियों के लिए सम्मान सुरक्षा और परिवार जैसा माहौल उपलब्ध होगा.''

ट्रांसजेंडर शेल्टर होम में विशेष सुविधाएं
प्रदेश में अपनी तरह के इस ट्रांसजेंडर शेल्टर होम में ऐसे तमाम लोगों को सुरक्षित और आरामदायक घर के अलावा स्वस्थ एवं पौष्टिक भोजन, मानसिक स्वास्थ्य, कानूनी सहायता और दस्तावेज में नाम लिंग परिवर्तन जैसे प्रकरणों में मदद की व्यवस्था होगी. वहीं, एजुकेशन और कौशल विकास हो सकेगा. इसके अलावा ऐसे लोगों के लिए हारमोंस एवं सर्जरी संबंधी सलाह के साथ स्वास्थ्य आधारित देखभाल की भी व्यवस्था होगी.

ट्रांसजेंडर को भी है सपने साकार करने का हक
फिलहाल इस शेल्टर होम में रह रही उज्जैन की अवनी मालवी बताती हैं कि, ''जन्म से लड़की और शारीरिक बनावट से लड़के के रूप में विकसित होने के कारण उसका जब अपने घर परिवार में भेदभाव और अपमान के कारण जीन दूभर हो गया तो उसने शेल्टर होम में सहारा लिया है.'' अवनी अब इंदौर में रहते हुए बायो क्रॉप साइंस नामक कंपनी में डाटा एनालिसिस का काम कर रही हैं. उनका कहना है कि, ''ट्रांसजेंडर के रूप में भी इंसान को उसके सपने साकार करने का हक है. बस जरूरत है कि उसे समाज में खुद को अपने स्वरूप में ही साबित करने का अवसर मिले जिसकी शुरुआत इंदौर से हुई है.''

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जानिए क्या होते हैं ट्रांसजेंडर
आमतौर पर ट्रांसजेंडर को थर्ड जेंडर यानी ट्रांसजेंडर्स समझा जाता है. लेकिन अब संविधान में जेंडर को लेकर हुए संशोधन के बाद ट्रांसजेंडर समुदाय को ट्रांसजेंडर्स से अलग रखा गया है. दरअसल ट्रांसजेंडर ऐसे लोग होते हैं जो अपने जन्म आधारित जेंडर के विपरीत लिंग और अपना शारीरिक विकास का अनुभव करते हुए विकसित होते हैं. उनकी शारीरिक बनावट भी किशोर अवस्था तक आते-आते विपरीत लिंग जैसी हो जाती है. ऐसे में जो लोग महिला से पुरुष बन जाते हैं उन्हें ट्रांसमैन कहा जाता है और जो लोग पुरुष होते हुए महिला के रूप में विकसित होते हैं वह ट्रांस वूमेन कहलाते हैं. इसी तरह जिन लोगों में उभयलिंगी लक्षण होते हैं उन्हें ट्रांसजेंडर कहा जाता है. इनमें ट्रांसजेंडर्स समुदाय के लोग भी आते हैं जो आमतौर पर थर्ड जेंडर कहे जाते हैं.

इंदौर: भारतीय समाज में जहां वन्य प्राणियों से लेकर पालतू पशुओं तक के लिए तो आश्रय स्थल और रहने की सुविधा है. लेकिन मानव समाज के बीच ट्रांसजेंडर कहे जाने वाले ऐसे भी लोग हैं जो शारीरिक रूप से अपने लिंग के विपरीत विकसित होने के कारण घर परिवार द्वारा बहिष्कृत कर दिए जाते हैं. इन लोगों को ना तो घर में जगह मिल पाती है न सम्मान और न रोजी रोटी. यही वजह है कि प्रदेश में पहली बार एक ट्रांसजेंडर ग्रुप ने ऐसे तमाम लोगों के लिए एक ऐसा मुकाम तैयार किया है, जहां बिना किसी भेदभाव के न केवल ट्रांसजेंडर मिलजुल कर रह सकेंगे. बल्कि पढ़ लिखकर अपना भविष्य भी संवार सकेंगे.

ट्रांसजेंडरों का पहला घर मेरा कुनबा (ETV Bharat)

तपिश फाउंडेशन की अनोखी पहल
दरअसल जन्म से लड़का पैदा होकर ट्रांसजेंडर रहते हुए लड़की के रूप में अपना मुकाम बनाने वाली इंदौर में स्वच्छता की ब्रांड एंबेसडर संध्या घावरी और लड़की से लड़का बने निकुंज जैन बताते हैं कि, "प्रदेश में सैकड़ों ऐसे लोग हैं, जो ट्रांसजेंडर होने के कारण ट्रांसजेंडर्स बनकर अभिशप्त जीवन नहीं जीना चाहते. इनमें कई लोग ऐसे हैं जो पढ़ लिखकर समाज में अपना मुकाम बनाते हुए आगे बढ़ना चाहते हैं. इसी परेशानी का सामना करते हुए अपनी संस्था तपिश फाउंडेशन के जरिए ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए इंदौर के महालक्ष्मी नगर में एक सुरक्षित आश्रय स्थल तैयार किया है. जहां ट्रांसमैन ट्रांस वूमेन और नॉन वायनरी व्यक्तियों के लिए सम्मान सुरक्षा और परिवार जैसा माहौल उपलब्ध होगा.''

ट्रांसजेंडर शेल्टर होम में विशेष सुविधाएं
प्रदेश में अपनी तरह के इस ट्रांसजेंडर शेल्टर होम में ऐसे तमाम लोगों को सुरक्षित और आरामदायक घर के अलावा स्वस्थ एवं पौष्टिक भोजन, मानसिक स्वास्थ्य, कानूनी सहायता और दस्तावेज में नाम लिंग परिवर्तन जैसे प्रकरणों में मदद की व्यवस्था होगी. वहीं, एजुकेशन और कौशल विकास हो सकेगा. इसके अलावा ऐसे लोगों के लिए हारमोंस एवं सर्जरी संबंधी सलाह के साथ स्वास्थ्य आधारित देखभाल की भी व्यवस्था होगी.

ट्रांसजेंडर को भी है सपने साकार करने का हक
फिलहाल इस शेल्टर होम में रह रही उज्जैन की अवनी मालवी बताती हैं कि, ''जन्म से लड़की और शारीरिक बनावट से लड़के के रूप में विकसित होने के कारण उसका जब अपने घर परिवार में भेदभाव और अपमान के कारण जीन दूभर हो गया तो उसने शेल्टर होम में सहारा लिया है.'' अवनी अब इंदौर में रहते हुए बायो क्रॉप साइंस नामक कंपनी में डाटा एनालिसिस का काम कर रही हैं. उनका कहना है कि, ''ट्रांसजेंडर के रूप में भी इंसान को उसके सपने साकार करने का हक है. बस जरूरत है कि उसे समाज में खुद को अपने स्वरूप में ही साबित करने का अवसर मिले जिसकी शुरुआत इंदौर से हुई है.''

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आमतौर पर ट्रांसजेंडर को थर्ड जेंडर यानी ट्रांसजेंडर्स समझा जाता है. लेकिन अब संविधान में जेंडर को लेकर हुए संशोधन के बाद ट्रांसजेंडर समुदाय को ट्रांसजेंडर्स से अलग रखा गया है. दरअसल ट्रांसजेंडर ऐसे लोग होते हैं जो अपने जन्म आधारित जेंडर के विपरीत लिंग और अपना शारीरिक विकास का अनुभव करते हुए विकसित होते हैं. उनकी शारीरिक बनावट भी किशोर अवस्था तक आते-आते विपरीत लिंग जैसी हो जाती है. ऐसे में जो लोग महिला से पुरुष बन जाते हैं उन्हें ट्रांसमैन कहा जाता है और जो लोग पुरुष होते हुए महिला के रूप में विकसित होते हैं वह ट्रांस वूमेन कहलाते हैं. इसी तरह जिन लोगों में उभयलिंगी लक्षण होते हैं उन्हें ट्रांसजेंडर कहा जाता है. इनमें ट्रांसजेंडर्स समुदाय के लोग भी आते हैं जो आमतौर पर थर्ड जेंडर कहे जाते हैं.

Last Updated : Sep 20, 2024, 9:30 AM IST
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