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भारत की क्षमता, प्रतिष्ठा के लिए जरूरी है कि वह मुश्किल परिस्थितियों में मदद करें: जयशंकर

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By PTI

Published : Jan 30, 2024, 5:11 PM IST

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पिछले 10 साल में भारत ने एक बहुत मजबूत विमर्श विकसित किया है और उन्होंने लाल सागर क्षेत्र में नौसेन्य तैनाती की ओर इशारा किया.

EAM Jaishankar
विदेश मंत्री एस जयशंकर

मुंबई: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 'मर्चेंट नेवी' के पोतों पर हमलों से निपटने के लिए लाल सागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना द्वारा युद्धपोतों की तैनाती के संदर्भ में मंगलवार को कहा कि भारत की क्षमता, उसके अपने हित और प्रतिष्ठा के लिए आज जरूरी है कि वह कठिन परिस्थितियों में वास्तव में मदद करें. जयशंकर ने भारतीय प्रबंधन संस्थान, मुंबई में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि भारतीय नौसेना ने इस क्षेत्र में अपने 10 पोत तैनात किए हैं.

  • #WATCH | Mumbai: EAM Jaishankar says, "The Indian navy has deployed ten ships today in that region because we got a double problem, we got a piracy problem, and we've got a missile drone problem. If you look, even in the last few days, actually one of our ships...extinguished a… pic.twitter.com/WefwPNtqK5

    — ANI (@ANI) January 30, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने कहा, 'भारत की क्षमता, हमारे अपने हित और हमारी प्रतिष्ठा के लिए आज यह जरूरी है कि हम वास्तव में मुश्किल घड़ी में मदद करें.' जयशंकर ने कहा कि लाल सागर क्षेत्र में समुद्री डकैती के साथ-साथ मर्चेंट नेवी के पोतों पर ड्रोन हमलों की भी समस्या है. जयशंकर ने कहा, 'हमें जिम्मेदार देश नहीं माना जाएगा, यदि हमारे पड़ोस में कुछ ठीक नहीं हो रहा हो और हम कहें कि हमारा इनसे कोई लेना-देना नहीं. जब आप मुसीबत में होंगे तो पड़ोसी देश भी ऐसे ही कहेंगे.'

जयशंकर ने कहा कि पिछले 10 साल में भारत ने एक बहुत मजबूत विमर्श विकसित किया है और उन्होंने लाल सागर क्षेत्र में नौसेन्य तैनाती की ओर इशारा किया. इस संदर्भ में, उन्होंने तुर्किये में आए भूकंप के बाद भारत की प्रतिक्रिया और कोविड-19 के दौरान टीके उपलब्ध कराने सहित अन्य देशों को दी गई सहायता का भी उल्लेख किया. जयशंकर ने कहा, 'केवल टीका ही नहीं, बल्कि हमने (कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान) हिंद महासागर में सैन्य चिकित्सकों समेत अन्य चिकित्सकों को भी भेजा.'

यमन में हूती विद्रोहियों पर अमेरिका एवं ब्रिटेन द्वारा किए गए जवाबी हमलों के संदर्भ में यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को हमलों को लेकर इन्हीं देशों की तरह 'सक्रिय कार्रवाई' करनी चाहिए, जयशंकर ने कहा कि कुछ देशों ने यह विकल्प चुना है. उन्होंने कहा, 'इस समय हम सुरक्षा में योगदान देना चाहते हैं. हम वहां बहुत सारे अप्रत्यक्ष तरीके से योगदान कर रहे हैं लेकिन हम स्वतंत्र रूप से ऐसा कर रहे हैं क्योंकि अंततः हम एक स्वतंत्र देश हैं.'

अधिकारियों ने मंगलवार को बताया भारतीय युद्धपोत 'आईएनएस सुमित्रा' ने सोमालिया के पूर्वी तट पर ईरानी झंडा लगे मछली पकड़ने के जहाज पर समुद्री डाकुओं के हमले के बाद उस पर सवार चालक दल के 19 पाकिस्तानी सदस्यों को बचाया. 'आईएनएस सुमित्रा' को अदन की खाड़ी और सोमालिया के पूर्व में समुद्री दस्यु रोधी और समुद्री सुरक्षा अभियानों के लिए तैनात किया गया है. जहाज ने मछली पकड़ने वाले ईरानी जहाज 'इमान' पर सोमवार को समुद्री डकैती का प्रयास विफल कर दिया था.

पढ़ें: भारतीय नौसेना ने अरब सागर में 19 पाकिस्तानियों और जहाज बचाया, 24 घंटे में दूसरी सफलता

मुंबई: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 'मर्चेंट नेवी' के पोतों पर हमलों से निपटने के लिए लाल सागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना द्वारा युद्धपोतों की तैनाती के संदर्भ में मंगलवार को कहा कि भारत की क्षमता, उसके अपने हित और प्रतिष्ठा के लिए आज जरूरी है कि वह कठिन परिस्थितियों में वास्तव में मदद करें. जयशंकर ने भारतीय प्रबंधन संस्थान, मुंबई में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि भारतीय नौसेना ने इस क्षेत्र में अपने 10 पोत तैनात किए हैं.

  • #WATCH | Mumbai: EAM Jaishankar says, "The Indian navy has deployed ten ships today in that region because we got a double problem, we got a piracy problem, and we've got a missile drone problem. If you look, even in the last few days, actually one of our ships...extinguished a… pic.twitter.com/WefwPNtqK5

    — ANI (@ANI) January 30, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने कहा, 'भारत की क्षमता, हमारे अपने हित और हमारी प्रतिष्ठा के लिए आज यह जरूरी है कि हम वास्तव में मुश्किल घड़ी में मदद करें.' जयशंकर ने कहा कि लाल सागर क्षेत्र में समुद्री डकैती के साथ-साथ मर्चेंट नेवी के पोतों पर ड्रोन हमलों की भी समस्या है. जयशंकर ने कहा, 'हमें जिम्मेदार देश नहीं माना जाएगा, यदि हमारे पड़ोस में कुछ ठीक नहीं हो रहा हो और हम कहें कि हमारा इनसे कोई लेना-देना नहीं. जब आप मुसीबत में होंगे तो पड़ोसी देश भी ऐसे ही कहेंगे.'

जयशंकर ने कहा कि पिछले 10 साल में भारत ने एक बहुत मजबूत विमर्श विकसित किया है और उन्होंने लाल सागर क्षेत्र में नौसेन्य तैनाती की ओर इशारा किया. इस संदर्भ में, उन्होंने तुर्किये में आए भूकंप के बाद भारत की प्रतिक्रिया और कोविड-19 के दौरान टीके उपलब्ध कराने सहित अन्य देशों को दी गई सहायता का भी उल्लेख किया. जयशंकर ने कहा, 'केवल टीका ही नहीं, बल्कि हमने (कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान) हिंद महासागर में सैन्य चिकित्सकों समेत अन्य चिकित्सकों को भी भेजा.'

यमन में हूती विद्रोहियों पर अमेरिका एवं ब्रिटेन द्वारा किए गए जवाबी हमलों के संदर्भ में यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को हमलों को लेकर इन्हीं देशों की तरह 'सक्रिय कार्रवाई' करनी चाहिए, जयशंकर ने कहा कि कुछ देशों ने यह विकल्प चुना है. उन्होंने कहा, 'इस समय हम सुरक्षा में योगदान देना चाहते हैं. हम वहां बहुत सारे अप्रत्यक्ष तरीके से योगदान कर रहे हैं लेकिन हम स्वतंत्र रूप से ऐसा कर रहे हैं क्योंकि अंततः हम एक स्वतंत्र देश हैं.'

अधिकारियों ने मंगलवार को बताया भारतीय युद्धपोत 'आईएनएस सुमित्रा' ने सोमालिया के पूर्वी तट पर ईरानी झंडा लगे मछली पकड़ने के जहाज पर समुद्री डाकुओं के हमले के बाद उस पर सवार चालक दल के 19 पाकिस्तानी सदस्यों को बचाया. 'आईएनएस सुमित्रा' को अदन की खाड़ी और सोमालिया के पूर्व में समुद्री दस्यु रोधी और समुद्री सुरक्षा अभियानों के लिए तैनात किया गया है. जहाज ने मछली पकड़ने वाले ईरानी जहाज 'इमान' पर सोमवार को समुद्री डकैती का प्रयास विफल कर दिया था.

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