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भारतीय सेना का व्हाइट वाटर राफ्टिंग अभियान, उत्तराखंड की तेज बहाव वाली नदियों पर किया एडवेंचर - white water rafting - WHITE WATER RAFTING

Army White Water Rafting Expedition in Uttarakhand भारतीय सेना अपनी क्षमता और अनुभव बढ़ाने के लिए तरह-तरह के अभियान चलाती रहती है. कभी दूसरे देशों के साथ सैन्य अभ्यास होता है तो कभी पर्वतारोहण से क्षमता बढ़ाई जाती है. इस बार भारतीय सेना ने व्हाइट वाटर राफ्टिंग अभियान चलाया. ये अभियान आर्टिलरी रेजिमेंट की द्विशताब्दी 28 सितंबर 2026 की तैयारी के तहत चलाया गया.

Army White Water Rafting Expedition
व्हाइट वाटर राफ्टिंग अभियान (Photo- Indian Army)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 8, 2024, 10:05 AM IST

श्रीनगर: भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट और आर्मी एडवेंचर विंग ने देश की सभी राफ्टेबल नदियों पर व्हाइट वाटर राफ्टिंग अभियानों की एक श्रृंखला शुरू की है. ये अभियान आर्टिलरी रेजिमेंट की द्विशताब्दी की तैयारी के रूप में आयोजित किया जा रहा है. आर्टिलरी रेजिमेंट की द्विशताब्दी 28 सितंबर 2026 को मनाई जाएगी.

व्हाइट वाटर राफ्टिंग अभियान: व्हाइट वाटर राफ्टिंग श्रृंखला का पहला अभियान 25 मई को शुरू हुआ जो ऋषिकेश पहुंच कर संपन्न हुआ. इस अभियान के दौरान सैन्य कर्मियों ने तेज बहाव वाली मंदाकिनी, अलकनंदा, भागीरथी और गंगा नदियों के चुनौतीपूर्ण बहाव को पार करते हुए, विभिन्न पड़ावों को पार किया. इस दौरान सैन्य अधिकारियों में खासा जोश दिखाई पड़ा. यहां अभियान के 6 चरण थे. इन छह चरणों में ऋषिकेश-देवप्रयाग-श्रीनगर-रुद्रप्रयाग में लगभग 300 किलोमीटर तक राफ्टिंग की गई, जो बेहद चुनौतीपूर्ण रही. लेफ्टिनेंट कर्नल बीएन झा के नेतृत्व में अभियान दल में 02 अधिकारी, 01 जूनियर कमीशंड अधिकारी और 21 अन्य रैंक के अधिकारी सैन्य जवान शामिल थे. यात्रा रुद्रप्रयाग से शुरू हुई और ऋषिकेश में वीर भद्र बैराज पर समाप्त हुई.

आर्मी एडवेंचर विंग का अभियान: इस अभियान का प्राथमिक उद्देश्य सेवारत कर्मियों के बीच साहस और प्रेरणा की भावना पैदा करना, उन्हें अपनी सीमाओं से आगे बढ़ने, साहस अपनाने और सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करना था. टीम ने चुनौतीपूर्ण रैपिड्स और लुभावने परिदृश्यों में नौचालन करके उत्कृष्टता और टीम वर्क के प्रति भारतीय सेना की अटूट प्रतिबद्धता का भी प्रदर्शन किया.

तेज बहाव के लिए जानी जाती हैं उत्तराखंड की नदियां: गौरतलब है कि उत्तराखंड की नदियां अपने तेज बहाव के लिए जानी जाती हैं. सतोपंथ ग्लेशियर से निकलने वाली अलकनंदा बदरीनाथ होते हुए कर्णप्रयाग में पिंडारी ग्लेशियार से आने वाली पिंडर नदी के मिलने के बाद विशाल रूप धर लेती है और इसका बहाव भी तेज हो जाता है. रुद्रप्रयाग में केदारनाथ से आने वाली मंदाकिनी नदी अलकनंदा में मिलती है तो इसकी जलराशि में और बढ़ोत्तरी हो जाती है. आगे देवप्रयाग में गंगोत्री से आने वाली भागीरथी जब अलकनंदा में मिलती है तो यहां से ये नदी गंगा कहलाती है. देवप्रयाग से गंगा में जलराशि बहुत बढ़ जाती है और इसका बहाव भी बहुत तीव्र हो जाता है. ऐसी नदियों पर राफ्टिंग करके सेना के राफ्टरों को निश्चित रूप से बहुत कुशलता और आत्मविश्वास मिला होगा.
ये भी पढ़ें: ऋषिकेश में राफ्टिंग को सुरक्षित बनाएगा ये फैसला, डेंजर जोन पर होगी ये व्यवस्थाएं

श्रीनगर: भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट और आर्मी एडवेंचर विंग ने देश की सभी राफ्टेबल नदियों पर व्हाइट वाटर राफ्टिंग अभियानों की एक श्रृंखला शुरू की है. ये अभियान आर्टिलरी रेजिमेंट की द्विशताब्दी की तैयारी के रूप में आयोजित किया जा रहा है. आर्टिलरी रेजिमेंट की द्विशताब्दी 28 सितंबर 2026 को मनाई जाएगी.

व्हाइट वाटर राफ्टिंग अभियान: व्हाइट वाटर राफ्टिंग श्रृंखला का पहला अभियान 25 मई को शुरू हुआ जो ऋषिकेश पहुंच कर संपन्न हुआ. इस अभियान के दौरान सैन्य कर्मियों ने तेज बहाव वाली मंदाकिनी, अलकनंदा, भागीरथी और गंगा नदियों के चुनौतीपूर्ण बहाव को पार करते हुए, विभिन्न पड़ावों को पार किया. इस दौरान सैन्य अधिकारियों में खासा जोश दिखाई पड़ा. यहां अभियान के 6 चरण थे. इन छह चरणों में ऋषिकेश-देवप्रयाग-श्रीनगर-रुद्रप्रयाग में लगभग 300 किलोमीटर तक राफ्टिंग की गई, जो बेहद चुनौतीपूर्ण रही. लेफ्टिनेंट कर्नल बीएन झा के नेतृत्व में अभियान दल में 02 अधिकारी, 01 जूनियर कमीशंड अधिकारी और 21 अन्य रैंक के अधिकारी सैन्य जवान शामिल थे. यात्रा रुद्रप्रयाग से शुरू हुई और ऋषिकेश में वीर भद्र बैराज पर समाप्त हुई.

आर्मी एडवेंचर विंग का अभियान: इस अभियान का प्राथमिक उद्देश्य सेवारत कर्मियों के बीच साहस और प्रेरणा की भावना पैदा करना, उन्हें अपनी सीमाओं से आगे बढ़ने, साहस अपनाने और सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करना था. टीम ने चुनौतीपूर्ण रैपिड्स और लुभावने परिदृश्यों में नौचालन करके उत्कृष्टता और टीम वर्क के प्रति भारतीय सेना की अटूट प्रतिबद्धता का भी प्रदर्शन किया.

तेज बहाव के लिए जानी जाती हैं उत्तराखंड की नदियां: गौरतलब है कि उत्तराखंड की नदियां अपने तेज बहाव के लिए जानी जाती हैं. सतोपंथ ग्लेशियर से निकलने वाली अलकनंदा बदरीनाथ होते हुए कर्णप्रयाग में पिंडारी ग्लेशियार से आने वाली पिंडर नदी के मिलने के बाद विशाल रूप धर लेती है और इसका बहाव भी तेज हो जाता है. रुद्रप्रयाग में केदारनाथ से आने वाली मंदाकिनी नदी अलकनंदा में मिलती है तो इसकी जलराशि में और बढ़ोत्तरी हो जाती है. आगे देवप्रयाग में गंगोत्री से आने वाली भागीरथी जब अलकनंदा में मिलती है तो यहां से ये नदी गंगा कहलाती है. देवप्रयाग से गंगा में जलराशि बहुत बढ़ जाती है और इसका बहाव भी बहुत तीव्र हो जाता है. ऐसी नदियों पर राफ्टिंग करके सेना के राफ्टरों को निश्चित रूप से बहुत कुशलता और आत्मविश्वास मिला होगा.
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