नई दिल्ली: दिल्ली में गुरुवार को रिलीज की गई एक रिपोर्ट 'द इकोनॉमिक केस फॉर इंवेस्टमें इन द वेल-बीइंग ऑफ एडोलसेंट इन इंडिया' में कहा गया है कि भारत ने हाल के दशकों में किशोरों के कल्याण में काफी सुधार देखा है. यह किशोरों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई भारत सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की प्रभावशाली सीरीज को दर्शाता है.
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन उपलब्धियों के बावजूद, अभी भी आगे की प्रगति के अवसर हैं. किशोरों के कल्याण में निवेश के लिए आर्थिक औचित्य पर ध्यान केंद्रित करने वाली रिपोर्ट से पता चलता है कि स्वास्थ्य, शिक्षा, और सड़क सुरक्षा में सात प्रमुख कार्यक्रमों से निवेश पर हाई रिटर्न मिलने का अनुमान है.
स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है, "भविष्य में किए जाने वाले इन निवेशों से, भारतीय अर्थव्यवस्था को वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के औसतन 10.1 प्रतिशत की दर से बढ़ावा मिलेगा. इनमें से कुछ की योजना पहले से ही मौजूदा राष्ट्रीय कार्यक्रमों के तहत बनाई गई है. साथ ही सरकार, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज, समुदायों और परिवारों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में प्रति वर्ष 33 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करने से प्रति वर्ष 476 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रिटर्न प्राप्त होगा."
2 लाख करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन
केंद्रीय बजट 2024-25 में किशोरों के कल्याण के लिए केंद्र सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया है. इस बीच, स्वास्थ्य सचिव चंद्रा ने कहा कि भारत किशोरों की प्रतिभाओं को पोषित करने, उनकी महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करने और सभी के लिए एक उज्जवल, समावेशी भविष्य बनाने के लिए उन्हें सशक्त बनाने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है और आगे भी रहेगा.
'किशोर हमारे भविष्य की रीढ़'
चंद्रा ने कहा, "भारत में किशोरों की सबसे बड़ी आबादी है. इनकी संख्या 253 मिलियन है और लगातार बढ़ रही है. हमारे किशोर हमारे भविष्य की रीढ़ हैं, जो एक जीवंत और प्रगतिशील राष्ट्र के वादे को साकार करते हैं. हम मानते हैं कि उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और सशक्तिकरण को सुनिश्चित करना हमारे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें सतत विकास लक्ष्य भी शामिल है. हमारी सरकार एक ऐसा माहौल बनाने के लिए समर्पित है, जहां किशोर आगे बढ़ सकें, सोच-समझकर निर्णय ले सकें और समाज में सार्थक योगदान दे सकें.”
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू करने वाला पहला देश है, जो 253 मिलियन किशोरों - पुरुष और महिला, ग्रामीण और शहरी, विवाहित और अविवाहित, स्कूल जाने वाले और न जाने वाले किशोरों तक पहुंचने के लिए समर्पित है. इसमें हाशिए पर पड़े और वंचित समूहों पर विशेष ध्यान दिया गया है.
चंद्रा ने कहा, "भारत यू-विन प्लेटफॉर्म लॉन्च करने की कगार पर है, जिसे को-विन प्लेटफॉर्म के मॉडल पर बनाया गया है. इस प्लेटफॉर्म के लॉन्च होने से न केवल हर बच्चे के स्वास्थ्य रिकॉर्ड को संग्रहीत करने पर बल्कि इन रिकॉर्डों को डिजिटल बनाने के साथ-साथ आने वाली चुनौतियों की निगरानी, पहचान और सुधार करने में भी बदलाव आएगा."
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