नई दिल्ली: भारत ने मंगलवार को प्रधानमंत्री की अरुणाचल प्रदेश यात्रा के संबंध में चीनी पक्ष की टिप्पणियों को खारिज कर दिया और कहा कि ऐसी यात्राओं या भारत की विकासात्मक परियोजनाओं पर आपत्ति करना तर्कसंगत नहीं है. इस मामले में मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, 'हम प्रधानमंत्री की अरुणाचल प्रदेश यात्रा के संबंध में चीनी पक्ष द्वारा की गई टिप्पणियों को खारिज करते हैं. भारतीय नेता समय-समय पर अरुणाचल प्रदेश का दौरा करते हैं. जैसा कि वे भारत के अन्य राज्यों का दौरे करते हैं.'
जयसवाल ने कहा, 'ऐसी यात्राओं या भारत की विकासात्मक परियोजनाओं पर आपत्ति करना उचित नहीं है. इसके अलावा, यह इस वास्तविकता को नहीं बदलेगा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा. चीनी पक्ष को कई मौकों पर इस स्थिति से अवगत कराया गया है.' यह बात चीन द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर भारत के समक्ष राजनयिक विरोध दर्ज कराने के बाद आई है. पीएम मोदी ने हाल में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सेला सुरंग का उद्घाटन किया था.
चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत के रूप में दावा करता है. चीन ने कहा कि भारत का कदम सीमा मुद्दे को 'केवल जटिल' करेगा. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, 'चीन ने भारत द्वारा अवैध रूप से स्थापित तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी और वह इसका दृढ़ता से विरोध करता है.'
वेनबिन ने कहा कि भारत को चीन के जंगनान क्षेत्र को मनमाने ढंग से विकसित करने का कोई अधिकार नहीं है. चीन ने अरुणाचल प्रदेश का नाम जांगनान रखा है. चीनी प्रवक्ता ने आगे कहा, 'भारत के प्रासंगिक कदम केवल सीमा प्रश्न को जटिल बनाते हैं. चीन भारत सीमा के पूर्वी हिस्से में नेता की यात्रा से असंतुष्ट है और इसका दृढ़ता से विरोध करता है. गौरतलब है कि 9 मार्च को पीएम मोदी ने दुनिया की सबसे लंबी बाइ-लेन सुरंग सेला सुरंग का उद्घाटन किया था. ये असम के तेजपुर को अरुणाचल के तवांग से जोड़ती है. इसे 825 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है. यह सुरंग 13,000 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई है.