नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि म्यांमार की स्थिति का पड़ोसी देश और म्यांमार के मित्र के रूप में भारत पर सीधा प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि नई दिल्ली हिंसा की पूर्ण समाप्ति और समावेशी संघीय लोकतंत्र की ओर म्यांमार के परिवर्तन की वकालत करती रही है.
आज, 1 फरवरी 2024 को तीन साल हो गए जब म्यांमार में सैन्य शासन ने हिंसक तरीके से नागरिक सरकार पर कब्जा कर लिया, संसद को भंग कर दिया, आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी और नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की सहित लगभग हर प्रमुख राजनीतिक नेता को गिरफ्तार कर लिया.
यहां दिल्ली में साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'हम म्यांमार में बिगड़ती स्थिति को लेकर चिंतित हैं जिसका पड़ोसी देश और म्यांमार के मित्र के रूप में हम पर सीधा प्रभाव पड़ता है.'
उन्होंने कहा कि भारत हिंसा की पूर्ण समाप्ति और समावेशी संघीय लोकतंत्र की ओर म्यांमार के परिवर्तन की वकालत करता रहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'हम मुद्दे का जल्द समाधान और देश में शांति एवं स्थिरता की वापसी चाहते हैं.'
भारत ने बार-बार म्यांमार में चल रही स्थिति पर अपना रुख दोहराया है और हिंसा को रोकने और रचनात्मक बातचीत के माध्यम से संघर्ष के समाधान का आह्वान किया है. नई दिल्ली ने म्यांमार में शांति, स्थिरता और लोकतंत्र की वापसी के लिए अपना आह्वान दोहराया है.
म्यांमार में 2021 में हुए संघर्ष के बाद से, बड़ी संख्या में म्यांमार के नागरिकों ने भारत में शरण ली है, जो सीमा पार आतंकवाद के मामले में एक और बड़ी चिंता का विषय है.
म्यांमार भारत के साथ 1600 किमी से अधिक लंबी भूमि सीमा के साथ-साथ बंगाल की खाड़ी में समुद्री सीमा भी साझा करता है. चार उत्तर-पूर्वी राज्य अर्थात, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम म्यांमार के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं.