नालंदा: देश आजादी का 78वां अमृत काल महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मना रहा है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से झंडोत्तोलन कर अपने संबोधन में एक बार फिर नालंदा विश्वविद्यालय का जिक्र करते हुए उसके पुराने गौरव को लौटाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि बिहार का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है.
नालंदा विश्वविद्यालय को लेकर क्या बोले पीएम: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ाई शुरू कर दी गई है, लेकिन हम शिक्षा के क्षेत्र में एक बार फिर से सदियों पुराने इतिहास को दोहराने की कोशिश कर रहे है. नालंदा विश्वविद्यालय के स्पिरिट को लेकर के बड़े विश्वास से विश्व की ज्ञान की परंपरा नई चेतना देने का काम करना होगा. नई शिक्षा नीति के तहत मातृ भाषा पर बल दिया गया है.
"बिहार का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है. नालंदा यूनिवर्सिटी का पुनर्निर्माण किया गया है. एक बार फिर से नालंदा विश्वविद्यालय में काम शुरू हो गया है. लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में हमें सदियों पुराने उस नालंदा के स्पिरिट को जगाना होगा. नालंदा स्पिरिट को जीना होगा."- नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
PM ने किया था नए कैंपस का उद्घाटन: पीएम मोदी ने कहा भाषा के कारण हमारे देश का टैलेंट रुकना नहीं चाहिए. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी 3,156 दिनों बाद 19 जून को दोबारा नरेन्द्र मोदी नालंदा घूमने आए थे. इस दौरान राजगीर में वैभारगिरि की तलहटी के 455 एकड़ में 1,749 करोड़ से नवनिर्मित भवन का उद्घाटन किया था. बता दें कि 455 एकड़ में इस विश्वविद्यालय का निर्माण किया गया है.
नालंदा यूनिवर्सिटी की खासियत: इसके सिलेबस में ऐतिहासिक अध्ययन स्कूल, पारिस्थितिकी और पर्यावरण अध्ययन स्कूल, बौद्ध अध्ययन दर्शनशास्त्र और तुलनात्मक धर्म स्कूल, भाषा और साहित्य, मानविकी स्कूल, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, सूचना विज्ञान और प्रौद्योगिकी स्कूल शामिल है. जिसमें सैकड़ो बिल्डिंग, दर्जनों तालाब, मेडिटेशन हॉल, कॉन्फ्रेंस हॉल, स्टडी रूम, आवासीय परिसर आदि का निर्माण किया गया है.
821 साल बाद पठन-पाठन शुरू: नालंदा विश्वविद्यालय में 11 संकाय सदस्यों और 15 छात्रों के साथ विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र की शुरुआत 1 सितंबर 2014 से शुरू हुई थी. पर्यावरण अध्ययन' विषय से विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हुई थी. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित कर 821 साल बाद पठन-पाठन शुरू किया गया. नालंदा विश्वविद्यालय का शुभारंभ पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने किया था. नालंदा विश्वविद्यालय वर्तमान समय में मास्टर पाठ्यक्रम और डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी पाठ्यक्रम प्रदान करता है. उस वक्त विश्वविद्यालय की अपनी कोई बिल्डिंग नहीं होने के कारण शहर के एक सरकारी होटल और एक सरकारी भवन में कक्षाएं शुरू की गई थीं.
'पंचामृत' सूत्र के आधार पर निर्माण: विश्वविद्यालय का यह कैम्पस विश्व का सबसे बड़ा नेट जीरो कैम्पस है. इसका निर्माण ‘पंचामृत’ सूत्र के आधार पर किया गया है. तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 19 सितंबर 2014 को इसके निर्माण की नींव रखी थी. कैम्पस के बीच में कुल 221 भवन और अन्य संरचनाएं बनी हुई हैं. ठीक 9 साल 9 महीने बाद इसका उद्घाटन पीएम किए थे.
दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय: प्राचीन भारत का नालंदा विश्वविद्यालय एक प्रमुख और ऐतिहासिक शिक्षण केंद्र था. यह दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय है, जहां पर एक ही परिसर में शिक्षक और छात्र रहते थे. गुप्त सम्राट कुमार गुप्त प्रथम ने नालंदा विश्वविद्यालय की 450 ई. में स्थापना की थी. हर्षवर्धन और पाल शासकों ने भी बाद में इसे संरक्षण किया था.
पुस्तकालय में 90 लाख से ज्यादा किताबें: इस विश्वविद्यालय की भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें 300 कमरे, 7 बड़े कक्ष और अध्ययन के लिए 9 मंजिला एक विशाल पुस्तकालय था. पुस्तकालय में 90 लाख से ज्यादा किताबें थीं. नालंदा विश्वविद्यालय में उस समय 10 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ते थे. इन छात्रों को पढ़ाने के लिए 1500 से ज्यादा शिक्षक थे. छात्रों का चयन उनकी मेधा पर किया जाता था.
बख्तियार खिलजी ने तहस-नहस किया: सबसे खास बात यह है कि यहां पर शिक्षा, रहना और खाना सभी निःशुल्क था. इसमें भारत ही नहीं, बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया जैसे देशों के भी छात्र भी पढ़ने के लिए आते थे. इसी क्रम में 12वीं सदी के अंतिम दशक में बख्तियार खिलजी ने विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय को तहस-नहस कर दिया.
14 हेक्टेयर भूमि में फैला है विश्वविद्यालय: वर्तमान में नालंदा विश्वविद्यालय की विशाल खंडहर इसके प्राचीन गौरव गरिमा का साक्ष्य प्रमाणित कर रहा है. नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष जिनमें एक बड़ी संख्या बौद्ध चौत्यों और पूजन गृहों की है. साथ ही पर्यटन की दृष्टि से विशेष महत्व रखता है. संपूर्ण क्षेत्र लगभग 14 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है.
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