रुड़की (उत्तराखंड): भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी) के शोधकर्ताओं ने खाद्य पुआल (स्ट्रॉ) बनाए हैं. जो प्लास्टिक और कागज के न होकर बार्नयार्ड बाजरा से तैयार किए गए हैं. प्लास्टिक के स्ट्रॉ से पानी या जूस आदि पीने से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है, लेकिन बाजरे का स्ट्रॉ स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक होने के साथ ही ज्यादा टिकाऊ भी है.
आईआईटी रुड़की ने खोजा प्लास्टिक और कागज का विकल्प: दरअसल, आईआईटी रुड़की के फंक्शनल फूड पैकेजिंग लैब, पेपर टेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर कीर्तिराज के गायकवाड़ के मार्गदर्शन में शोध छात्रा तेजस्विनी धनजी पाटिल के नेतृत्व में इसे इनोवेट किया गया है. ताकि, प्लास्टिक कचरे को कम किया जा सके. साथ ही टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल विकल्प भी ढूंढा जा सके. क्योंकि, इस समय प्लास्टिक के बाद कागज के स्ट्रॉ काफी प्रचलन में है. हाल के अध्ययनों से पता चला है कि कागज के स्ट्रॉ में पीएफएएस या 'फॉरएवर केमिकल्स' नामक हानिकारक रसायन हो सकते हैं.
खास हैं बाजरा के स्ट्रॉ : इन पदार्थों का इस्तेमाल पेपर स्ट्रॉ को वाटरप्रूफ बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन ये पर्यावरण में बने रह सकते हैं यानी इनके नष्ट होने में समय लगता है. जो स्वास्थ्य के लिए खतरा भी पैदा कर सकते हैं. जबकि, आईआईटी रुड़की के बाजरा से बनाए स्ट्रॉ पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल, केमिकल फ्री और खाद्य से बना है. जो सिंगल यूज प्लास्टिक वेस्ट के खिलाफ लड़ाई में एक अहम इनोवेशन है.
![Barnyard Pearl millet Food Straws](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-12-2024/uk-har-01-researchers-of-iit-roorkee-made-a-unique-discovery-uk10028_13122024183239_1312f_1734094959_894.jpg)
केमिकल फ्री हैं बाजरा के स्ट्रॉ: वहीं. प्रोफेसर कीर्तिराज के गायकवाड़ ने बताते हैं कि बाजरा के भूसे प्राकृतिक रूप से नष्ट हो जाते हैं. बाजरे से बने स्ट्रॉ पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं है. यह पूरी तरह से रसायन मुक्त यानी केमिकल फ्री है. जो उपभोक्ताओं की स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित करती है. आईआईटी रुड़की की ओर से विकसित बाजरा आधारित स्ट्रॉ इको फ्रेंडली है. जो किसी भी तरह का हानिकारक अवशेष नहीं छोड़ते हैं, जिससे वातावरण स्वच्छ बना रहता है.
उनका कहना है कि बाजरे के स्ट्रॉ एकदम प्लास्टिक और कागज के स्ट्रॉ की तरह ही नजर आता है. अगर इससे कोई तरल पदार्थ पीते हैं तो उसमें बाजरे के गुण भी समा जाते हैं. बार्नयार्ड बाजरा से शरीर के पोषण में काफी अहम भूमिका निभाता है. इसलिए इसका कोई नुकसान नहीं, बल्कि फायदा ही है. खास बात ये है कि यह काफी टिकाऊ भी है. जो सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे को कम करने में गेम चेंजर साबित हो सकता है.
![Barnyard Pearl millet Food Straws](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-12-2024/uk-har-01-researchers-of-iit-roorkee-made-a-unique-discovery-uk10028_13122024183239_1312f_1734094959_700.jpg)
वहीं, शोध छात्रा तेजस्विनी पाटिल ने बताया कि बाजरा से एक ऐसा उत्पाद तैयार किया है, जो टिकाऊ होने के साथ पोषण के लिहाज से अहम है. इसलिए बार्नयार्ड बाजरे से स्ट्रॉ बनाया है. वहीं, आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर कमल किशोर पंत ने कहा कि संस्थान के शोधकर्ताओं ने बाजरा आधारित स्ट्रॉ बनाया है. जो बताता है कि आईआईटी रुड़की इनोवेशन के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है. बाजरे से बना पुआल यानी स्ट्रॉ सिर्फ एक उत्पाद नहीं है. बल्कि, इस बात का प्रमाण है कि कैसे नई सोच बेहतर कल के लिए सार्थक प्रयास कर रहा है.
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