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ईरान-इजरायल संघर्ष भारत के लिए मुसीबत! कैसे होगा बड़ा नुकसान? - ex diplomat on Iran Israel Conflic

Iran Israel conflict: ईरान-इजरायल संघर्ष ने पूरी दुनिया में टेंशन बढ़ा दी है. इससे दुनिया में जियो पॉलिटिक्स का खतरा एक बार फिर से मंडराने लगा है. इस विषय पर पूर्व राजनयिक का कहना है कि अगर ईरान और इजरायल संघर्ष क्षेत्रीय संघर्ष में बदल जाता है तो इसका बड़ा नुकसान भारत को उठाना पड़ सकता है. इस महत्वपूर्ण विषय पर ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी ने भारत के पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहार से खास बातचीत की.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 16, 2024, 7:10 PM IST

Updated : Apr 16, 2024, 9:14 PM IST

नई दिल्ली: ईरान और इजरायल संघर्ष (Iran Israel conflict) काफी गहराता जा रहा है. भारत इस स्थिति से निपटने के लिए प्रयासरत है. दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने और चौतरफा जंग के जोखिमों के बाद भी भारत ने दोनों तटस्थता का रूख अपनाया है. वह इसलिए क्योंकि भारत ईरान और इजरायल से अच्छे संबंधों को काफी महत्व देता है. अब नई दिल्ली इस संकट की घड़ी में क्या रूख अख्तियार करता है, यह सबसे महत्वपूर्ण है. अब सवाल है कि, क्या इलाके में चल रहे संघर्ष का असर भारत की आर्थिक और रणनीतिक जरूरतों पर पड़ेगा? भारत के पूर्व राजनियक अशोक सज्जनहार ने बताया कि, ईरान और इजरायल इस समय भारत के लिए बेहद चिंता का विषय बना हुआ है. हालांकि, नई दिल्ली इस पूरे मसले पर फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है. भारत का ईरान और इजरायल के साथ अच्छे संबंध हैं. ईरान के साथ तो भारत का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध रहे हैं. जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से तेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था तो उस वक्त दोनों देशों के बीच ऊर्जा साझेदारी में अस्थायी ठहराव के बाद भी ईरान भारत के लिए रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है. वहीं, दूसरी तरफ, ईरान-इजरायल संघर्ष के कारण मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मंगलवार को एयरलाइंस से अंतरराष्ट्रीय उड़ान संचालन पर अपना जोखिम मूल्यांकन करने के लिए कहा.

ईरान-इजरायल संघर्ष और भारत
ईरान में चाबहार बंदरगाह और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा अफ्गानिस्तान, मध्य एशिया, रूस औक काकेशस इलाके के अन्य देशों के लिए आवश्यक एंट्री प्वाइंट है. भारत अलग-अलग आयामों पर ईरान के महत्व को पहचानता है. सज्जनहार बताते हैं, इसी तरह इजरायल और भारत के बीच भी काफी अच्छे संबंध हैं. उन्होंने आगे कहा कि, 'भारत ने 1992 में इज़राइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए और तब से, दोनों देशों ने व्यापार, सुरक्षा, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, विनिर्माण, कृषि और नई प्रौद्योगिकी में अपने संबंधों का विस्तार किया है. रक्षा द्विपक्षीय संबंधों का एक अनिवार्य तत्व है, जो ईरान और इज़राइल दोनों को भारत के लिए महत्वपूर्ण बनाता है. नई दिल्ली की सर्वोच्च प्राथमिकता दोनों देशों के बीच संबंधों में और गिरावट को रोकना और संघर्ष को बढ़ने से रोकना होगा. सज्जनहार ने यह भी चेतावनी दी कि यदि युद्ध छिड़ता है, तो संघर्ष क्षेत्र से भारतीय नागरिकों को निकालने की प्रक्रिया में अधिक समस्या खड़ी हो सकती है. वैसे भारत को अब भी उम्मीद है कि स्थिति कूटनीतिक तरीके से सुलझ जाएगी और क्षेत्र में शांति कायम रहेगी.

दुनिया की इजरायल और ईरान पर नजर
वहीं विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 18 हजार से अधिक भारतीय कामगार इजरायल में काम कर रहे हैं. कई लोग पहले ही दोनों देशों के बीच फिलिस्तीनियों को उनके स्थान पर श्रमिकों को भेजने के लिए हस्ताक्षरित समझौते के तहत इज़राइल के लिए रवाना हो चुके हैं. वहीं, ईरान में 4000 से अधिक भारतीय रहते हैं. पूर्व राजनयिक सज्जनहार ने आगे बताया कि, हालांकि ईरान हमास, हूती और हिजबुल्लाह जैसे प्रतिनिधियों के माध्यम से इजरायल के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं. हालांकि, यह पहली बार है कि, ईरान ने पहली बार इजरायल पर हमला किया है. जिसके कारण दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई है. ईरान-इजरायल संघर्ष ने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जॉर्डन सहित कई देशों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. ये सभी देश इजरायल के पक्ष में खड़े होकर उनका बचाव कर रही है. इतना ही नहीं सऊदी अरब और यूएई ने हाल में ही ईरानी हमले के बारे में खुफिया जानकारी साझा की है. इसलिए यह स्पष्ट है कि इनमें से कोई भी देश जंग नहीं चाहता है, जिसकी वकालत लंबे समय से ईरान करता आ रहा है.

भारत ने जारी की एडवायजरी
वहीं दोनों देशों के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच भारत ने अपने नागरिकों से ईरान और इजरायल की यात्रा से बचने की सलाह दी है. साथ ही दोनों देशों में पहले से रह रहे अपने नागरिकों से संघर्ष के समय खुद की सुरक्षा और भारतीय दूतावासों के संपर्क में रहने का निर्देश दिया है. हालांकि एडवायजरी जारी होने के एक दिन बाद, ईरान के वाणिज्य दूतावास पर इजरायल द्वारा किए गए हमले का जवाब देते हुए ईरान ने इजरायल पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला कर दिया. भारत ने दोनों देशों के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच तत्काल हिंसा पर रोक लाने, संयम बरतने और कूटनीति के माध्यम से समस्या का हल करने की सलाह दी है. वहीं दोनों देशों में स्थित भारतीय दूतावास संघर्ष की पल पल की खबरों पर बड़ी बारीकी से नजर बनाए हुए है. साथ ही दूतावास भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर काफी सतर्क है और लोगों के संपर्क में है.

ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच एयरलाइंस की स्थिति
वहीं, ईरान-इजरायल संघर्ष के कारण मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मंगलवार को एयरलाइंस से अंतरराष्ट्रीय उड़ान संचालन पर अपना जोखिम मूल्यांकन करने के लिए कहा. पिछले कुछ दिनों से, एयर इंडिया, इंडिगो, विस्तारा जैसी भारतीय एयरलाइंस के साथ-साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस ईरानी हवाई क्षेत्र से बच रही हैं और वैकल्पिक मार्गों का विकल्प चुन रही हैं. नागरिक उड्डयन सचिव वुमलुनमंग वुअलनाम ने मंगलवार को समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि एयरलाइंस को अपने उड़ान संचालन के संबंध में अपना जोखिम मूल्यांकन करने के लिए कहा गया है. उन्होंने यह भी कहा कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) एयरलाइंस के साथ सहयोग और बातचीत कर रहा है और विदेश मंत्रालय के साथ भी संपर्क में है. टाटा के स्वामित्व वाली एयर इंडिया अपनी कुछ अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भारत से आने-जाने के लिए वैकल्पिक उड़ान मार्गों पर संचालित कर रही है. मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के कारण विस्तारा ने अपनी कुछ उड़ानों के उड़ान पथ में भी बदलाव किया है. इसके अलावा, एयर इंडिया ने तेल अवीव के लिए अपनी उड़ानें अस्थायी रूप से निलंबित कर दी हैं. वहीं, वैकल्पिक उड़ान मार्गों ने कुछ अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की अवधि लगभग आधे घंटे तक बढ़ा दी है.

ईरान-इजरायल संघर्ष से भारत हो सकता है प्रभावित
अब सवाल है कि दोनों देशों के बीच बढ़ते संघर्ष भारत की आर्थिक और रणनीतिक जरूरतों को कैसे प्रभावित कर सकता है? इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहार ने कहा कि, अगर संघर्ष 'क्षेत्रीय संघर्ष' में बदल जाता है, तो यह न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया, खासकर विकासशील देशों के लिए एक बड़ी समस्या होगी. पश्चिम एशिया में लगभग 80-90 लाख भारतीय काम करते हैं, और क्षेत्र में युद्ध होने पर भारत के लिए अपने नागरिकों को निकालना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. उन्होंने आगे कहा कि, भारत अपनी ऊर्जा आपूर्ति के लिए इस क्षेत्र पर बहुत अधिक निर्भर है, इसकी 83-85 फीसदी ऊर्जा ज़रूरतें पश्चिम एशिया से आयात की जाती हैं. इसके अतिरिक्त, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे देशों के साथ व्यापार संबंध प्रभावित हो सकते हैं'. सज्जनहार ने आगे कहा कि, यदि दोनों देशों में संघर्ष और अधिक बढ़ गया तो भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी), क्षेत्र के साथ एक आर्थिक, रक्षा और रणनीतिक साझेदारी भी प्रभावित हो सकती है. भारत इस क्षेत्र के साथ अपनी आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी का विस्तार कर रहा है, जिसमें भारत-यूएई एफटीए और I2U2 जैसी अन्य महत्वपूर्ण पहल शामिल हैं. पूर्व राजनयिक ने बताया कि भारत ओमान के साथ एक एफटीए पर हस्ताक्षर करने के लिए भी तैयार है. उन्होंने कहा कि, यह ध्यान देने वाली बात होगी कि, पश्चिमी एशिया भारतीय प्रवासियों से रेमिंटास का सबसे बड़ा श्रोत है, जो भारत को हर साल मिलने वाले कुल 100 बिलियन डॉलर का 40 फीसदी है. जिसका उपयोग बजट वित्तपोषण के लिए किया जाता है.

17 भारतीयों के बारे में भारत चिंतित
भारत इस समय होर्मुज जलडमरूमध्य के पास ईरान द्वारा पकड़े गए इजरायली-संबंधी एक कंटेनर जहाज एमएससी एरीज़ पर सवार 17 भारतीय चालक दल के सदस्यों के बारे में चिंतित है. भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से बातचीत के बाद ईरानी विदेश मंत्री ने आश्वासन दिया है कि भारतीय राजनयिकों को जल्द ही भारतीय चालक दल के सदस्यों से मिलने की अनुमति दी जाएगी. डॉ जयशंकर ने सोमवार को ईरानी एफएम होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से बात की और 17 भारतीय चालक दल के सदस्यों का मामला उठाया.उन्होंने क्षेत्र की मौजूदा स्थिति पर भी चर्चा की. डॉ. जयशंकर ने तनाव बढ़ने से बचने, संयम बरतने और कूटनीति के माध्यम से समस्या सुलझाए जाने के महत्व पर भी विशेष जोर दिया.

ये भी पढ़ें: ईरान के राष्ट्रपति रायसी 22 अप्रैल को पाकिस्तान का दौरा करेंगे

नई दिल्ली: ईरान और इजरायल संघर्ष (Iran Israel conflict) काफी गहराता जा रहा है. भारत इस स्थिति से निपटने के लिए प्रयासरत है. दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने और चौतरफा जंग के जोखिमों के बाद भी भारत ने दोनों तटस्थता का रूख अपनाया है. वह इसलिए क्योंकि भारत ईरान और इजरायल से अच्छे संबंधों को काफी महत्व देता है. अब नई दिल्ली इस संकट की घड़ी में क्या रूख अख्तियार करता है, यह सबसे महत्वपूर्ण है. अब सवाल है कि, क्या इलाके में चल रहे संघर्ष का असर भारत की आर्थिक और रणनीतिक जरूरतों पर पड़ेगा? भारत के पूर्व राजनियक अशोक सज्जनहार ने बताया कि, ईरान और इजरायल इस समय भारत के लिए बेहद चिंता का विषय बना हुआ है. हालांकि, नई दिल्ली इस पूरे मसले पर फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है. भारत का ईरान और इजरायल के साथ अच्छे संबंध हैं. ईरान के साथ तो भारत का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध रहे हैं. जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से तेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था तो उस वक्त दोनों देशों के बीच ऊर्जा साझेदारी में अस्थायी ठहराव के बाद भी ईरान भारत के लिए रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है. वहीं, दूसरी तरफ, ईरान-इजरायल संघर्ष के कारण मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मंगलवार को एयरलाइंस से अंतरराष्ट्रीय उड़ान संचालन पर अपना जोखिम मूल्यांकन करने के लिए कहा.

ईरान-इजरायल संघर्ष और भारत
ईरान में चाबहार बंदरगाह और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा अफ्गानिस्तान, मध्य एशिया, रूस औक काकेशस इलाके के अन्य देशों के लिए आवश्यक एंट्री प्वाइंट है. भारत अलग-अलग आयामों पर ईरान के महत्व को पहचानता है. सज्जनहार बताते हैं, इसी तरह इजरायल और भारत के बीच भी काफी अच्छे संबंध हैं. उन्होंने आगे कहा कि, 'भारत ने 1992 में इज़राइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए और तब से, दोनों देशों ने व्यापार, सुरक्षा, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, विनिर्माण, कृषि और नई प्रौद्योगिकी में अपने संबंधों का विस्तार किया है. रक्षा द्विपक्षीय संबंधों का एक अनिवार्य तत्व है, जो ईरान और इज़राइल दोनों को भारत के लिए महत्वपूर्ण बनाता है. नई दिल्ली की सर्वोच्च प्राथमिकता दोनों देशों के बीच संबंधों में और गिरावट को रोकना और संघर्ष को बढ़ने से रोकना होगा. सज्जनहार ने यह भी चेतावनी दी कि यदि युद्ध छिड़ता है, तो संघर्ष क्षेत्र से भारतीय नागरिकों को निकालने की प्रक्रिया में अधिक समस्या खड़ी हो सकती है. वैसे भारत को अब भी उम्मीद है कि स्थिति कूटनीतिक तरीके से सुलझ जाएगी और क्षेत्र में शांति कायम रहेगी.

दुनिया की इजरायल और ईरान पर नजर
वहीं विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 18 हजार से अधिक भारतीय कामगार इजरायल में काम कर रहे हैं. कई लोग पहले ही दोनों देशों के बीच फिलिस्तीनियों को उनके स्थान पर श्रमिकों को भेजने के लिए हस्ताक्षरित समझौते के तहत इज़राइल के लिए रवाना हो चुके हैं. वहीं, ईरान में 4000 से अधिक भारतीय रहते हैं. पूर्व राजनयिक सज्जनहार ने आगे बताया कि, हालांकि ईरान हमास, हूती और हिजबुल्लाह जैसे प्रतिनिधियों के माध्यम से इजरायल के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं. हालांकि, यह पहली बार है कि, ईरान ने पहली बार इजरायल पर हमला किया है. जिसके कारण दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई है. ईरान-इजरायल संघर्ष ने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जॉर्डन सहित कई देशों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. ये सभी देश इजरायल के पक्ष में खड़े होकर उनका बचाव कर रही है. इतना ही नहीं सऊदी अरब और यूएई ने हाल में ही ईरानी हमले के बारे में खुफिया जानकारी साझा की है. इसलिए यह स्पष्ट है कि इनमें से कोई भी देश जंग नहीं चाहता है, जिसकी वकालत लंबे समय से ईरान करता आ रहा है.

भारत ने जारी की एडवायजरी
वहीं दोनों देशों के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच भारत ने अपने नागरिकों से ईरान और इजरायल की यात्रा से बचने की सलाह दी है. साथ ही दोनों देशों में पहले से रह रहे अपने नागरिकों से संघर्ष के समय खुद की सुरक्षा और भारतीय दूतावासों के संपर्क में रहने का निर्देश दिया है. हालांकि एडवायजरी जारी होने के एक दिन बाद, ईरान के वाणिज्य दूतावास पर इजरायल द्वारा किए गए हमले का जवाब देते हुए ईरान ने इजरायल पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला कर दिया. भारत ने दोनों देशों के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच तत्काल हिंसा पर रोक लाने, संयम बरतने और कूटनीति के माध्यम से समस्या का हल करने की सलाह दी है. वहीं दोनों देशों में स्थित भारतीय दूतावास संघर्ष की पल पल की खबरों पर बड़ी बारीकी से नजर बनाए हुए है. साथ ही दूतावास भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर काफी सतर्क है और लोगों के संपर्क में है.

ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच एयरलाइंस की स्थिति
वहीं, ईरान-इजरायल संघर्ष के कारण मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मंगलवार को एयरलाइंस से अंतरराष्ट्रीय उड़ान संचालन पर अपना जोखिम मूल्यांकन करने के लिए कहा. पिछले कुछ दिनों से, एयर इंडिया, इंडिगो, विस्तारा जैसी भारतीय एयरलाइंस के साथ-साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस ईरानी हवाई क्षेत्र से बच रही हैं और वैकल्पिक मार्गों का विकल्प चुन रही हैं. नागरिक उड्डयन सचिव वुमलुनमंग वुअलनाम ने मंगलवार को समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि एयरलाइंस को अपने उड़ान संचालन के संबंध में अपना जोखिम मूल्यांकन करने के लिए कहा गया है. उन्होंने यह भी कहा कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) एयरलाइंस के साथ सहयोग और बातचीत कर रहा है और विदेश मंत्रालय के साथ भी संपर्क में है. टाटा के स्वामित्व वाली एयर इंडिया अपनी कुछ अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भारत से आने-जाने के लिए वैकल्पिक उड़ान मार्गों पर संचालित कर रही है. मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के कारण विस्तारा ने अपनी कुछ उड़ानों के उड़ान पथ में भी बदलाव किया है. इसके अलावा, एयर इंडिया ने तेल अवीव के लिए अपनी उड़ानें अस्थायी रूप से निलंबित कर दी हैं. वहीं, वैकल्पिक उड़ान मार्गों ने कुछ अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की अवधि लगभग आधे घंटे तक बढ़ा दी है.

ईरान-इजरायल संघर्ष से भारत हो सकता है प्रभावित
अब सवाल है कि दोनों देशों के बीच बढ़ते संघर्ष भारत की आर्थिक और रणनीतिक जरूरतों को कैसे प्रभावित कर सकता है? इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहार ने कहा कि, अगर संघर्ष 'क्षेत्रीय संघर्ष' में बदल जाता है, तो यह न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया, खासकर विकासशील देशों के लिए एक बड़ी समस्या होगी. पश्चिम एशिया में लगभग 80-90 लाख भारतीय काम करते हैं, और क्षेत्र में युद्ध होने पर भारत के लिए अपने नागरिकों को निकालना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. उन्होंने आगे कहा कि, भारत अपनी ऊर्जा आपूर्ति के लिए इस क्षेत्र पर बहुत अधिक निर्भर है, इसकी 83-85 फीसदी ऊर्जा ज़रूरतें पश्चिम एशिया से आयात की जाती हैं. इसके अतिरिक्त, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे देशों के साथ व्यापार संबंध प्रभावित हो सकते हैं'. सज्जनहार ने आगे कहा कि, यदि दोनों देशों में संघर्ष और अधिक बढ़ गया तो भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी), क्षेत्र के साथ एक आर्थिक, रक्षा और रणनीतिक साझेदारी भी प्रभावित हो सकती है. भारत इस क्षेत्र के साथ अपनी आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी का विस्तार कर रहा है, जिसमें भारत-यूएई एफटीए और I2U2 जैसी अन्य महत्वपूर्ण पहल शामिल हैं. पूर्व राजनयिक ने बताया कि भारत ओमान के साथ एक एफटीए पर हस्ताक्षर करने के लिए भी तैयार है. उन्होंने कहा कि, यह ध्यान देने वाली बात होगी कि, पश्चिमी एशिया भारतीय प्रवासियों से रेमिंटास का सबसे बड़ा श्रोत है, जो भारत को हर साल मिलने वाले कुल 100 बिलियन डॉलर का 40 फीसदी है. जिसका उपयोग बजट वित्तपोषण के लिए किया जाता है.

17 भारतीयों के बारे में भारत चिंतित
भारत इस समय होर्मुज जलडमरूमध्य के पास ईरान द्वारा पकड़े गए इजरायली-संबंधी एक कंटेनर जहाज एमएससी एरीज़ पर सवार 17 भारतीय चालक दल के सदस्यों के बारे में चिंतित है. भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से बातचीत के बाद ईरानी विदेश मंत्री ने आश्वासन दिया है कि भारतीय राजनयिकों को जल्द ही भारतीय चालक दल के सदस्यों से मिलने की अनुमति दी जाएगी. डॉ जयशंकर ने सोमवार को ईरानी एफएम होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से बात की और 17 भारतीय चालक दल के सदस्यों का मामला उठाया.उन्होंने क्षेत्र की मौजूदा स्थिति पर भी चर्चा की. डॉ. जयशंकर ने तनाव बढ़ने से बचने, संयम बरतने और कूटनीति के माध्यम से समस्या सुलझाए जाने के महत्व पर भी विशेष जोर दिया.

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Last Updated : Apr 16, 2024, 9:14 PM IST
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