नई दिल्ली: कथित मानव तस्करी रैकेट मामले में विभिन्न स्थानों पर तलाशी अभियान चल रहा है. इस रैकेट के अंतर्गत देश भर में भोले-भाले भारतीय युवाओं को आकर्षक नौकरी, रियायती शुल्क और रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में भेजने के लिए मुफ्त वीजा विस्तार की पेशकश के बहाने निशाना बनाया रहा था.
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि 'मानव तस्करी मामले में अभी भी विभिन्न स्थानों पर तलाशी अभियान जारी है.' ये छापे दिल्ली, तिरुवनंतपुरम, मुंबई, अंबाला, चंडीगढ़, मदुरै और चेन्नई में विभिन्न स्थानों पर मारे गए.
सीबीआई ने अपनी एफआईआर में कहा है कि ये तस्कर भारतीय छात्रों और नागरिकों को रूस में संदिग्ध निजी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए मुफ्त रियायती वीजा विस्तार, मुफ्त संरचना और उन्हें रूस भेजने की पेशकश करके धोखा दे रहे थे. इसके बाद, उन्हें वीज़ा एजेंटों और कॉलेज अधिकारियों की दया पर छोड़ दिया गया.
गौरतलब है कि रूस पहुंचने पर इन एजेंटों ने भारतीय नागरिकों के पासपोर्ट छीन लिए थे. इसके बाद उन्हें लड़ाकू भूमिकाओं में प्रशिक्षित किया जा रहा था, जैसा कि एफआईआर में उल्लेख किया गया है, इन भारतीयों को उनकी इच्छा के विरुद्ध रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में अग्रिम ठिकानों पर जबरदस्ती तैनात किया गया था.
एफआईआर में आगे कहा गया कि भारतीय नागरिकों को रूस भेजने के लिए कथित मानव तस्करी रैकेट की जांच के संबंध में 6 मार्च को उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर में सीबीआई द्वारा निजी वीजा परामर्श फर्मों और एजेंटों में एक रूसी महिला और दो भारतीयों का नाम शामिल किया गया था.
सीबीआई ने गुरुवार को दावा किया कि छापेमारी के दौरान 50 लाख रुपये से अधिक नकद, आपत्तिजनक दस्तावेज और लैपटॉप, मोबाइल, डेस्कटॉप और सीसीटीवी फुटेज सहित इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड जब्त किए गए और विभिन्न स्थानों पर पूछताछ के लिए कुछ संदिग्धों को भी हिरासत में लिया गया. सीबीआई ने आगे बताया कि विदेश भेजे गए पीड़ितों के लगभग 35 मामले स्थापित किए गए हैं और अधिक पीड़ितों की पहचान भी स्थापित की जा रही है. मामले की जांच चल रही है.
रूस में फंसे भारतीयों को वापस लाने का प्रयास: रूस-यूक्रेन युद्ध में जबरन भेजे गए भारतीयों को वापस लाने को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने शुक्रवार को कहा कि 'लगभग 20 लोगों ने हमसे संपर्क किया है और हम उनका पता लगाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. हम रूसी अधिकारियों के संपर्क में भी हैं.'
उन्होंने आगे कहा कि 'कई भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में काम करने के लिए धोखा दिया गया है. हमने ऐसे भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई के मामले को दृढ़ता से उठाया है. झूठे बहाने बनाकर भर्ती करने वाले एजेंटों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की गई है. हम रूसी सेना में सहायक स्टाफ के रूप में काम कर रहे अपने नागरिकों की शीघ्र रिहाई और फिर अंततः घर लौटने के लिए प्रतिबद्ध हैं.'