शिमला: कांग्रेस के पास 40 सीट होने के बावजूद राज्यसभा की सीट भाजपा के खाते में चली गई है. हिमाचल में तेजी से बदले सियासी घटनाक्रम की कड़ी में अब एक और महत्वपूर्ण डेवलपमेंट हुई है. भाजपा के विधायक नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की अगुवाई में बुधवार सुबह-सवेरे साढ़े सात बजे राजभवन में दस्तक देंगे. भाजपा विधायक दल के सदस्य राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से मांग करेंगे कि मौजूदा सियासी परिस्थितियों में वे हस्तक्षेप करें. राज्यपाल से मांग की जाएगी कि वे विधानसभा स्पीकर को दिशा-निर्देश दें कि बुधवार को सदन में पेश होने वाले फाइनेंशियल बिल को पारित करने के लिए फ्लोर टेस्ट किया जाए. सदन में वॉयस वोट की बजाय डिविजन ऑफ वोट से बिल पारित हो.
भाजपा की राज्यपाल से मांग
भाजपा के वरिष्ठ सदस्य और श्री नैना देवी से विधायक रणधीर शर्मा ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि फाइनेंशियल बिल पारित करने के दौरान डिवीजन ऑफ वोट होना चाहिए. भाजपा इसकी मांग कर रही है. राज्यपाल से मिलकर इस मांग को दोहराया जाएगा और उनसे हस्तक्षेप की मांग की जाएगी. रणधीर शर्मा ने कहा कि वैसे तो नैतिक आधार पर सुखविंदर सिंह सुक्खू को सीएम के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, लेकिन यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो सदन में फाइनेंशियल बिल पारित होने के समय डिवीजन ऑफ वोट होना चाहिए. इस संदर्भ में भाजपा विधायक दल के सदस्य मंगलवार रात को स्पीकर के कक्ष में उनसे मिलकर ये मांग कर चुके हैं.
11 बजे होगी सदन की कार्यवाही
बताया जा रहा है कि भाजपा को अंदेशा है कि कांग्रेस सदन में फाइनेंशियल बिल पारित करते समय वॉइस वोट का सहारा ले सकती है. वैसे ये स्पीकर पर निर्भर करता है, लेकिन जिस तरह से मंगलवार को स्पीकर ने कट मोशन यानी कटौती प्रस्ताव पर वाइस वोट का सहारा लिया, उससे भाजपा सतर्क हो गई है. भाजपा ने सदन में ये कहा था कि वो स्पीकर के आसन का सम्मान करती है, लेकिन डिवीजन ऑफ वोट होना चाहिए था. स्पीकर ने मंगलवार दोपहर बाद हंगामा होने पर सदन की कार्यवाही बुधवार पूर्वाह्न 11 बजे तक स्थगित कर दी थी.
अल्पमत में आ सकती है सरकार!
खैर, उसके बाद राज्यसभा सीट के लिए चुनाव में खेला हो गया और हर्ष महाजन चुनाव जीत गए. अब भाजपा मौजूदा सियासी परिस्थितियों में कोई चूक नहीं करना चाहती. चूंकि कांग्रेस हाईकमान ने भी नाराज विधायकों को मनाने के लिए पहलकदमी शुरू कर दी है. कांग्रेस के कुछ नेता हिमाचल के नाराज विधायकों को मनाने के लिए हिमाचल आ रहे हैं. ऐसे में भाजपा कल सदन में ही फैसला करना चाहती है. ये फैसला फ्लोर टेस्ट के रूप में होगा. अगर नाराज विधायकों ने डिवीजन ऑफ वोट के समय फाइनेंशियल बिल को पारित करने में अपनी हामी नहीं भरी तो सुखविंदर सरकार अल्पमत में आ जाएगी और सरकार गिर जाएगी. ऐसे में अब सबकी नजरें कल सदन की कार्यवाही पर टिकी हैं.