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लेटरल एंट्री के जरिए कुल कितने अधिकारी कर रहे काम, चीनी मिलों को कितना हुआ भुगतान, संसद में दिया गया ये जवाब - LATERA ENTRY

लेटरल एंट्री के जरिए कुल कितने अधिकारी सरकारी विभागों में काम कर रहे हैं. संसद में मिला ये जवाब.

Rajya Sabha
राज्यसभा (ANI)
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By PTI

Published : Dec 18, 2024, 5:22 PM IST

नई दिल्ली : सरकार ने बुधवार को लोकसभा को अवगत कराया कि लेटरल एंट्री के जरिये चुने गए 51 विशेषज्ञ केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में काम कर रहे हैं. केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि 2018 में लेटरल भर्ती की शुरुआत के बाद से अब तक विभिन्न सरकारी विभागों में अनुबंध/प्रतिनियुक्ति के आधार पर संयुक्त सचिव/निदेशक/उप सचिव के स्तर पर 63 नियुक्तियां की गई हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में 51 अधिकारी विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों में कार्यरत हैं." यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने अपने विभागों के कामकाज और दक्षता पर लेटरल एंट्री के प्रभाव का अध्ययन किया है, सिंह ने कहा, ‘‘समय-समय पर आंतरिक मूल्यांकन किए जाते हैं. हालांकि, ऐसा कोई अध्ययन (फिलहाल) नहीं किया गया है.’’

गौरतलब यूपीएससी लेटरल एंट्री के जरिए सीधे उन पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति करता है, जिन पदों पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की तैनाती होती है. इसमें निजी क्षेत्रों से अलग अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों को विभिन्न मंत्रालयों व विभागों में सीधे ज्वाइंट सेक्रेटरी और डायरेक्टर व डिप्टी सेक्रेटरी के पद नियुक्ति की जाती है.

चीनी मिलों ने 2024-25 सीजन के पहले 70 दिनों में किसानों को 8,126 करोड़ रुपये का भुगतान किया

केंद्र सरकार ने बुधवार को लोकसभा को बताया कि चीनी मिलों ने 2024-25 के चालू सीजन के पहले 70 दिनों में गन्ना किसानों को 8,126 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि 13 दिसंबर तक कुल देय गन्ना मूल्य 11,141 करोड़ रुपये था.

उन्होंने बताया कि 3,015 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है, जिसमें कर्नाटक में सबसे अधिक 1,405 करोड़ रुपये बकाया है, उसके बाद उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र का स्थान है. भारत में चीनी सीजन अक्टूबर से सितंबर तक चलता है. जोशी ने गन्ने के बकाये में कमी का श्रेय मौजूदा नीतिगत हस्तक्षेपों को दिया.

पिछले 2023-24 सीजन में 1,11,674 करोड़ रुपये के कुल गन्ना बकाये में से लगभग 1,10,399 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जिसके उपरांत 13 दिसंबर तक केवल 1,275 करोड़ रुपये बकाया रह गए हैं. इस प्रकार प्रभावी रूप से बकाया का 99 प्रतिशत भुगतान हो चुका है.

ये भी पढ़ें : संसद में अमित शाह ने ऐसा क्या बोला दिया जिसका बचाव करने खुद पीएम मोदी उतरे, जानें पूरा विवाद

नई दिल्ली : सरकार ने बुधवार को लोकसभा को अवगत कराया कि लेटरल एंट्री के जरिये चुने गए 51 विशेषज्ञ केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में काम कर रहे हैं. केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि 2018 में लेटरल भर्ती की शुरुआत के बाद से अब तक विभिन्न सरकारी विभागों में अनुबंध/प्रतिनियुक्ति के आधार पर संयुक्त सचिव/निदेशक/उप सचिव के स्तर पर 63 नियुक्तियां की गई हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में 51 अधिकारी विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों में कार्यरत हैं." यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने अपने विभागों के कामकाज और दक्षता पर लेटरल एंट्री के प्रभाव का अध्ययन किया है, सिंह ने कहा, ‘‘समय-समय पर आंतरिक मूल्यांकन किए जाते हैं. हालांकि, ऐसा कोई अध्ययन (फिलहाल) नहीं किया गया है.’’

गौरतलब यूपीएससी लेटरल एंट्री के जरिए सीधे उन पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति करता है, जिन पदों पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की तैनाती होती है. इसमें निजी क्षेत्रों से अलग अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों को विभिन्न मंत्रालयों व विभागों में सीधे ज्वाइंट सेक्रेटरी और डायरेक्टर व डिप्टी सेक्रेटरी के पद नियुक्ति की जाती है.

चीनी मिलों ने 2024-25 सीजन के पहले 70 दिनों में किसानों को 8,126 करोड़ रुपये का भुगतान किया

केंद्र सरकार ने बुधवार को लोकसभा को बताया कि चीनी मिलों ने 2024-25 के चालू सीजन के पहले 70 दिनों में गन्ना किसानों को 8,126 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि 13 दिसंबर तक कुल देय गन्ना मूल्य 11,141 करोड़ रुपये था.

उन्होंने बताया कि 3,015 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है, जिसमें कर्नाटक में सबसे अधिक 1,405 करोड़ रुपये बकाया है, उसके बाद उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र का स्थान है. भारत में चीनी सीजन अक्टूबर से सितंबर तक चलता है. जोशी ने गन्ने के बकाये में कमी का श्रेय मौजूदा नीतिगत हस्तक्षेपों को दिया.

पिछले 2023-24 सीजन में 1,11,674 करोड़ रुपये के कुल गन्ना बकाये में से लगभग 1,10,399 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जिसके उपरांत 13 दिसंबर तक केवल 1,275 करोड़ रुपये बकाया रह गए हैं. इस प्रकार प्रभावी रूप से बकाया का 99 प्रतिशत भुगतान हो चुका है.

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