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निजी कंपनियों में स्थानीय को 75% आरक्षण देने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक - PRIVATE COMPANY RESERVATION ISSUE

हाईकोर्ट ने निजी कंपनियों में स्थानीय को 75% आरक्षण मामले में सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा, जिस पर सुनवाई 20 मार्च को होगी.

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झारखंड हाईकोर्ट (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 12, 2024, 9:21 AM IST

रांची: झारखंड सरकार को हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाई कोर्ट ने निजी कंपनियों में 75% पद स्थानीय लोगों को देने के सरकार के कानून पर रोक लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश दीपक रोशन की खंडपीठ ने झारखंड स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई के बाद बुधवार को फैसला सुनाते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी.

झारखंड स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता अमित कुमार दास, शिवम उत्कर्ष सहाय और संकल्प गोस्वामी ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने झारखंड स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट इन प्राइवेट सेक्टर कंपनी एक्ट, 2021 बनाया है. इसके तहत 75% पदों पर स्थानीय लोगों को नौकरी देना है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने बताया कि यह कानून भेदभाव, समानता के अधिकार और व्यवसाय करने की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है. यह संवैधानिक भी नहीं है. इसलिए इस कानून को निरस्त किया जाना चाहिए. कोर्ट को बताया गया कि हरियाणा सरकार ने भी इसी तरह का कानून लागू किया था, जिसे पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है.

याचिकाकर्ता की दलील सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि इसी तरह के मामले में पंजाब और हरियाणा कोर्ट से फैसला आ चुका है. लिहाजा, राज्य सरकार द्वारा निजी क्षेत्र की कंपनियों में स्थानीय को 75% आरक्षण के लिए बनाए गए कानून को लागू करने पर रोक लगाई जा रही है. दरअसल, राज्य में यह कानून 2021 से लागू है. इसके तहत प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों में 40,000 रुपए तक के वेतनमान वाले 75% पदों पर स्थानीय लोगों को नियुक्त करना अनिवार्य है.

रांची: झारखंड सरकार को हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाई कोर्ट ने निजी कंपनियों में 75% पद स्थानीय लोगों को देने के सरकार के कानून पर रोक लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश दीपक रोशन की खंडपीठ ने झारखंड स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई के बाद बुधवार को फैसला सुनाते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी.

झारखंड स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता अमित कुमार दास, शिवम उत्कर्ष सहाय और संकल्प गोस्वामी ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने झारखंड स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट इन प्राइवेट सेक्टर कंपनी एक्ट, 2021 बनाया है. इसके तहत 75% पदों पर स्थानीय लोगों को नौकरी देना है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने बताया कि यह कानून भेदभाव, समानता के अधिकार और व्यवसाय करने की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है. यह संवैधानिक भी नहीं है. इसलिए इस कानून को निरस्त किया जाना चाहिए. कोर्ट को बताया गया कि हरियाणा सरकार ने भी इसी तरह का कानून लागू किया था, जिसे पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है.

याचिकाकर्ता की दलील सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि इसी तरह के मामले में पंजाब और हरियाणा कोर्ट से फैसला आ चुका है. लिहाजा, राज्य सरकार द्वारा निजी क्षेत्र की कंपनियों में स्थानीय को 75% आरक्षण के लिए बनाए गए कानून को लागू करने पर रोक लगाई जा रही है. दरअसल, राज्य में यह कानून 2021 से लागू है. इसके तहत प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों में 40,000 रुपए तक के वेतनमान वाले 75% पदों पर स्थानीय लोगों को नियुक्त करना अनिवार्य है.

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