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लंबे समय तक पति-पत्नी का अलग रहना तलाक का एकमात्र आधार नहीं, हाईकोर्ट की टिप्पणी - Allahabad High Court news

हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा है कि पति-पत्नी का लंबे समय तक अलग-अलग रहना तलाक का एक मात्र आधार नहीं हो सकता है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 8, 2024, 11:08 PM IST

हाईकोर्ट
हाईकोर्ट (Photo credit- Etv Bharat)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा है कि पति-पत्नी का लंबे समय तक अलग-अलग रहना तलाक का एक मात्र आधार नहीं हो सकता है. कोर्ट ने कहा कि तलाक के लिए स्वैच्छिक परित्याग के साथ-साथ अन्य परिस्थितियों को भी देखा जाना चाहिए. वैवाहिक जीवन में आने वाली परेशानियों के बाद भी पति-पत्नी के बीच संबंध बने रह सकते हैं. केवल पति और पत्नी के बीच अलगाव की अवधि को विवाह के पूरी तरह टूट जाने का आधार मानकर तलाक नहीं दिया जा सकता. न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की पीठ ने महेंद्र कुमार सिंह की अपील खारिज करते हुए यह आदेश दिया है.

वाराणसी निवासी महेंद्र कुमार सिंह की शादी 1999 में हुई थी. विवाह से उनके दो बच्चे हुए, जो वयस्क हो चुके हैं. पति-पत्नी शुरू में पति के माता-पिता के साथ वाराणसी में रहते थे. इस दौरान याची के पिता की मृत्यु के बाद, उसे मिर्जापुर में अनुकंपा नियुक्ति मिल गई और वह वहां चला गया.

वहीं, उसकी पत्नी याची की मां के साथ अंतिम समय तक रही और उनकी की देखभाल की. मां ने उसके पक्ष में वसीयत कर दी थी. इस दौरान याची ने अपनी पत्नी और उसके परिवार की ओर से उसके खिलाफ क्रूरता का आरोप लगाया और तलाक याचिका दायर की, जिसे प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय ने खारिज कर दिया था. इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.

याची के वकील का कहना था कि उसकी पत्नी ने क्रूरता की है. याची को माता-पिता से मिलने नहीं दे रही थी. साथ ही मां के अंतिम संस्कार में भी उसे शामिल नहीं होने दिया. दलील दी कि दोनों 1999 से अलग-अलग रह रहे थे. इसलिए विवाह पूरी तरह से टूट चुका है और तलाक अर्जी स्वीकारी की जानी चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि लगाए गए क्रूरता के आरोप के संबंध में किसी भी घटना की तारीख, समय और स्थान कोर्ट के समक्ष नहीं लाया गया है. कोर्ट कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सही माना है कि अपीलकर्ता नौकरी के लिए घर से बाहर चला गया था और उसकी पत्नी ने मां की देखभाल जारी रखी थी. यह विवाह के प्रति उसकी निष्ठा को दर्शाता है. सिर्फ लंबे समय तक पति-पत्नी के अलग रहने के आधार पर तलाक नहीं दिया जा सकता. कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है.

यह भी पढ़ें: UP PCS-J 2022 रिजल्ट में बदलाव से 7 चयनित अभ्यर्थी हो जाएंगे बाहर, लोक सेवा आयोग ने कोर्ट में पेश की रिपोर्ट

यह भी पढ़ें: सरकारी भवनों और निजी प्रतिष्ठानों में आग से बचाव मामले में HC ने सरकार से मांगा जवाब

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा है कि पति-पत्नी का लंबे समय तक अलग-अलग रहना तलाक का एक मात्र आधार नहीं हो सकता है. कोर्ट ने कहा कि तलाक के लिए स्वैच्छिक परित्याग के साथ-साथ अन्य परिस्थितियों को भी देखा जाना चाहिए. वैवाहिक जीवन में आने वाली परेशानियों के बाद भी पति-पत्नी के बीच संबंध बने रह सकते हैं. केवल पति और पत्नी के बीच अलगाव की अवधि को विवाह के पूरी तरह टूट जाने का आधार मानकर तलाक नहीं दिया जा सकता. न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की पीठ ने महेंद्र कुमार सिंह की अपील खारिज करते हुए यह आदेश दिया है.

वाराणसी निवासी महेंद्र कुमार सिंह की शादी 1999 में हुई थी. विवाह से उनके दो बच्चे हुए, जो वयस्क हो चुके हैं. पति-पत्नी शुरू में पति के माता-पिता के साथ वाराणसी में रहते थे. इस दौरान याची के पिता की मृत्यु के बाद, उसे मिर्जापुर में अनुकंपा नियुक्ति मिल गई और वह वहां चला गया.

वहीं, उसकी पत्नी याची की मां के साथ अंतिम समय तक रही और उनकी की देखभाल की. मां ने उसके पक्ष में वसीयत कर दी थी. इस दौरान याची ने अपनी पत्नी और उसके परिवार की ओर से उसके खिलाफ क्रूरता का आरोप लगाया और तलाक याचिका दायर की, जिसे प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय ने खारिज कर दिया था. इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.

याची के वकील का कहना था कि उसकी पत्नी ने क्रूरता की है. याची को माता-पिता से मिलने नहीं दे रही थी. साथ ही मां के अंतिम संस्कार में भी उसे शामिल नहीं होने दिया. दलील दी कि दोनों 1999 से अलग-अलग रह रहे थे. इसलिए विवाह पूरी तरह से टूट चुका है और तलाक अर्जी स्वीकारी की जानी चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि लगाए गए क्रूरता के आरोप के संबंध में किसी भी घटना की तारीख, समय और स्थान कोर्ट के समक्ष नहीं लाया गया है. कोर्ट कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सही माना है कि अपीलकर्ता नौकरी के लिए घर से बाहर चला गया था और उसकी पत्नी ने मां की देखभाल जारी रखी थी. यह विवाह के प्रति उसकी निष्ठा को दर्शाता है. सिर्फ लंबे समय तक पति-पत्नी के अलग रहने के आधार पर तलाक नहीं दिया जा सकता. कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है.

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