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दिल्ली हाईकोर्ट ने आईएस के संदिग्ध को जमानत दी, कहा- मोबाइल पर कंटेंट देखना अपराध नहीं - Bail to a IS supporter in UAPA case

High Court granted bail to IS suspect: दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कि मोबाइल पर कंटेंट देखना अपराध नहीं कहा है, आईएस के एक संदिग्ध को जमानत दे दी.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 6, 2024, 11:01 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने यूएपीए के मामले में आईएस के एक कथित समर्थक को जमानत दे दी है. जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने कहा कि आरोपी अगर आईएस की विचारधारा में विश्वास करता है और उसका वेबसाइट देखता है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वह आईएस का सदस्य है. हाईकोर्ट ने 30 वर्षीय अम्मार अब्दुल रहिमान को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.

कोर्ट ने कहा कि कोई भी उत्सुक व्यक्ति इंटरनेट पर मोबाइल में कंटेंट देखता है और डाउनलोड करता है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने मोबाइल पर कंटेंट देखने के अलावा आईएस के प्रचार-प्रसार में कोई भूमिका नहीं निभाई. ऐसे में केवल मोबाइल पर कंटेंट देखना कोई अपराध नहीं है. कोर्ट ने कहा कि किसी के मोबाइल फोन पर ओसामा बिन लादेन का फोटो होना, आपत्तिजनक सामग्री होना अपराध नहीं है.

ये भी पढ़ें: हाईकोर्ट ने जामिया से आवासीय कोचिंग अकादमी में ओबीसी, ईडब्ल्यूएस को प्रवेश देने के मामले पर निर्णय लेने को कहा

आज के इलेक्ट्रॉनिक दौर में जब वर्ल्ड वाइड वेब (www) मुफ्त में उपलब्ध है तो कोई भी कुछ भी डाउनलोड कर सकता है. इसके लिए उसे आईएस से नजदीकी होना नहीं माना जा सकता है. ऐसा करना यूएपीए की धारा 38 और 39 के प्रावधानों के तहत अपराध नहीं है. यूएपीए की धारा 38 और 39 के तहत आतंकी संगठनों का सदस्य और उसको समर्थन देने का आरोप है.

एनआईए के मुताबिक आरोपी को अगस्त 2021 में गिरफ्तार किया गया था. वह जम्मू और कश्मीर में आईएस के सदस्यों के साथ हिजरा में शामिल हुआ था ताकि भारत में आईएस की गतिविधियों को संचालित किया जा सके. वह आईएस के इंस्टाग्राम अकाउंट को फॉलो करता था और उसके मोबाइल में ओसामा बिन लादेन, आईए के झंडे पाए गए थे.

ये भी पढ़ें: 2018 से 2020 के बीच 71 हजार KG हेरोइन गायब होने पर गृह मंत्रालय से जवाब तलब

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने यूएपीए के मामले में आईएस के एक कथित समर्थक को जमानत दे दी है. जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने कहा कि आरोपी अगर आईएस की विचारधारा में विश्वास करता है और उसका वेबसाइट देखता है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वह आईएस का सदस्य है. हाईकोर्ट ने 30 वर्षीय अम्मार अब्दुल रहिमान को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.

कोर्ट ने कहा कि कोई भी उत्सुक व्यक्ति इंटरनेट पर मोबाइल में कंटेंट देखता है और डाउनलोड करता है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने मोबाइल पर कंटेंट देखने के अलावा आईएस के प्रचार-प्रसार में कोई भूमिका नहीं निभाई. ऐसे में केवल मोबाइल पर कंटेंट देखना कोई अपराध नहीं है. कोर्ट ने कहा कि किसी के मोबाइल फोन पर ओसामा बिन लादेन का फोटो होना, आपत्तिजनक सामग्री होना अपराध नहीं है.

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आज के इलेक्ट्रॉनिक दौर में जब वर्ल्ड वाइड वेब (www) मुफ्त में उपलब्ध है तो कोई भी कुछ भी डाउनलोड कर सकता है. इसके लिए उसे आईएस से नजदीकी होना नहीं माना जा सकता है. ऐसा करना यूएपीए की धारा 38 और 39 के प्रावधानों के तहत अपराध नहीं है. यूएपीए की धारा 38 और 39 के तहत आतंकी संगठनों का सदस्य और उसको समर्थन देने का आरोप है.

एनआईए के मुताबिक आरोपी को अगस्त 2021 में गिरफ्तार किया गया था. वह जम्मू और कश्मीर में आईएस के सदस्यों के साथ हिजरा में शामिल हुआ था ताकि भारत में आईएस की गतिविधियों को संचालित किया जा सके. वह आईएस के इंस्टाग्राम अकाउंट को फॉलो करता था और उसके मोबाइल में ओसामा बिन लादेन, आईए के झंडे पाए गए थे.

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