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अल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर की याचिका पर सुनवाई से खंडपीठ ने खुद को अलग किया

याचिका न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ में नामित थी. याचिका दूसरी पीठ को देने के लिए संदर्भित की गयी.

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अल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 15 hours ago

प्रयागराज: ऑल्ट न्यूज के पत्रकार और तथ्य-जांचकर्ता मोहम्मद जुबैर की याचिका पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. याचिका न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ में नामित थी. इसमें गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद के समर्थकों द्वारा दायर मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग की गई थी.

खंडपीठ ने याचिका को किसी अन्य पीठ के समक्ष नामित करने के लिए मुख्य न्यायधीश को संदर्भित कर दिया है. पिछली सुनवाई के दौरान मामले की जांच कर रहे अधिकारी ने कोर्ट को बताया था कि जुबैर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 के तहत भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने का अपराध शामिल किया गया है.

यह एफआईआर गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद के समर्थकों द्वारा जुबैर द्वारा एक्स पर पोस्ट किए गए ट्वीट को लेकर दर्ज की गई शिकायत के कारण दर्ज की गई थी. 29 सितंबर को नरसिंहानंद, जिन पर पहले भी नफरत फैलाने वाले भाषण देने का आरोप लगाया जा चुका है, उन्होंने एक सार्वजनिक भाषण दिया जिसमें उन्होंने कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी की थी. जुबैर ने एक्स पर ट्वीट पोस्ट किया जिसमें इस भाषण को "अपमानजनक और घृणास्पद" बताया गया.

इसके बाद उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में नरसिंहानंद के खिलाफ सांप्रदायिक नफरत भड़काने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में कई प्राथमिकी दर्ज की गईं. उनके सहयोगियों का दावा है कि पुलिस उन्हें अपने साथ ले गई, जबकि गाजियाबाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने से इनकार किया है. इसके बाद डासना देवी मंदिर में विरोध प्रदर्शन हुए.

जुबैर के खिलाफ एफआईआर यति नरसिंहानंद सरस्वती फाउंडेशन की महासचिव उदिता त्यागी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर आधारित है. त्यागी ने आरोप लगाया कि 3 अक्टूबर को जुबैर ने नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा भड़काने के इरादे से उनका एक पुराना वीडियो क्लिप साझा किया. त्यागी की ओर से डासना देवी मंडी में हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए जुबैर, अरशद मदनी और असदुद्दीन ओवैसी को जिम्मेदार ठहराते हुए शिकायत दर्ज कराई गई थी.

इसके बाद गाजियाबाद पुलिस ने जुबैर के खिलाफ बीएनएस की धारा 196 (धार्मिक आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना) , 228 (झूठे साक्ष्य गढ़ना), 299 (धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 356 (3) (मानहानि) और 351 (2) (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप लगाए. इसके बाद, बीएनएस की धारा 152 के तहत अपराध भी जोड़ा गया. इस घटना के बाद जुबैर ने एफआईआर के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग की.

ये भी पढ़ें- श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस: हाईकोर्ट ने मीडिया को संयम बरतने का निर्देश दिया, कहा- गलत रिपोर्टिंग कोर्ट की अवमानना

प्रयागराज: ऑल्ट न्यूज के पत्रकार और तथ्य-जांचकर्ता मोहम्मद जुबैर की याचिका पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. याचिका न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ में नामित थी. इसमें गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद के समर्थकों द्वारा दायर मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग की गई थी.

खंडपीठ ने याचिका को किसी अन्य पीठ के समक्ष नामित करने के लिए मुख्य न्यायधीश को संदर्भित कर दिया है. पिछली सुनवाई के दौरान मामले की जांच कर रहे अधिकारी ने कोर्ट को बताया था कि जुबैर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 के तहत भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने का अपराध शामिल किया गया है.

यह एफआईआर गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद के समर्थकों द्वारा जुबैर द्वारा एक्स पर पोस्ट किए गए ट्वीट को लेकर दर्ज की गई शिकायत के कारण दर्ज की गई थी. 29 सितंबर को नरसिंहानंद, जिन पर पहले भी नफरत फैलाने वाले भाषण देने का आरोप लगाया जा चुका है, उन्होंने एक सार्वजनिक भाषण दिया जिसमें उन्होंने कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी की थी. जुबैर ने एक्स पर ट्वीट पोस्ट किया जिसमें इस भाषण को "अपमानजनक और घृणास्पद" बताया गया.

इसके बाद उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में नरसिंहानंद के खिलाफ सांप्रदायिक नफरत भड़काने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में कई प्राथमिकी दर्ज की गईं. उनके सहयोगियों का दावा है कि पुलिस उन्हें अपने साथ ले गई, जबकि गाजियाबाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने से इनकार किया है. इसके बाद डासना देवी मंदिर में विरोध प्रदर्शन हुए.

जुबैर के खिलाफ एफआईआर यति नरसिंहानंद सरस्वती फाउंडेशन की महासचिव उदिता त्यागी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर आधारित है. त्यागी ने आरोप लगाया कि 3 अक्टूबर को जुबैर ने नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा भड़काने के इरादे से उनका एक पुराना वीडियो क्लिप साझा किया. त्यागी की ओर से डासना देवी मंडी में हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए जुबैर, अरशद मदनी और असदुद्दीन ओवैसी को जिम्मेदार ठहराते हुए शिकायत दर्ज कराई गई थी.

इसके बाद गाजियाबाद पुलिस ने जुबैर के खिलाफ बीएनएस की धारा 196 (धार्मिक आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना) , 228 (झूठे साक्ष्य गढ़ना), 299 (धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 356 (3) (मानहानि) और 351 (2) (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप लगाए. इसके बाद, बीएनएस की धारा 152 के तहत अपराध भी जोड़ा गया. इस घटना के बाद जुबैर ने एफआईआर के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग की.

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