सिवान: बिहार का सिवान लोकसभा सीट हॉट सीट बना हुआ है और देशभर की निगाहें सिवान लोकसभा सीट पर टिकी हैं. बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने 2024 के चुनाव में खास रणनीति बनाई है. इस बार हिना शहाब किसी पार्टी के टिकट पर लड़ने के बजाय निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रही हैं. इनकी मौजूदगी ने सिवान लोकसभा सीट की लड़ाई को बेहद दिलचस्प बना दिया है.
महागठबंधन के ऑफर को हिना शहाब ने ठुकराया: जदयू ने वर्तमान सांसद कविता सिंह को सिवान से टिकट नहीं दिया है. उनकी जगह कुशवाहा जाति से आने वाली विजयलक्ष्मी को जदयू ने उम्मीदवार बनाया है. राष्ट्रीय जनता दल की ओर से अब तक सिवान सीट के लिए प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है. लालू प्रसाद यादव ने हिना शहाब को टिकट के लिए ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने नामंजूर कर दिया. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के ऑफर को भी है शहाबुद्दीन की पत्नी ने अस्वीकार कर दिया है.
"सिवान सीट पर हमने बहुत सोच समझ कर उम्मीदवार उतारे हैं. वर्तमान सांसद कविता सिंह का भी समर्थन विजयलक्ष्मी को मिल रहा है. वहां कोई समस्या नहीं है. बड़े मतों के अंतर से हम वहां चुनाव जीतने जा रहे हैं."- हिमराज राम, जदयू प्रवक्ता
निर्दलीय चुनाव लड़ने की संभावना: मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत के बाद पहली बार उनकी पत्नी हिना शहाब चुनाव के मैदान में हैं और इस बार हिना माय समीकरण पर भरोसा नहीं है. हिना शहाब ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया है और उन्हें उम्मीद है कि मोहम्मद शहाबुद्दीन की राजनीतिक विरासत को फिर से वह धार दे सकेंगी.
हार चुकी हैं हिना शहाब: आपको बता दें कि बाहुबली नेता दिवंगत मोहम्मद शहाबुद्दीन के रहते हुए उनकी पत्नी हिना शहाब दो बार चुनाव लड़ी लेकिन उन्हें जीत हासिल नहीं हुई. मोहम्मद शहाबुद्दीन जब तक जीवित रहे तब तक वह राष्ट्रीय जनता दल के साथ रहे और कभी भी उन्होंने दूसरे दल की ओर नहीं देखा. इसी का नतीजा था कि मोहम्मद शहाबुद्दीन जेल में थे और उनकी पत्नी को लालू प्रसाद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल से दो बार टिकट दिया. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने हिना शहाब को टिकट दिया लेकिन दोनों बार वह चुनाव हार गई.
लालू को ऑफर को ठुकराने की वजह: 2024 के लोकसभा चुनाव में हिना शहाब ने रणनीतियों में बदलाव किया है और इस बार वह सब का साथ चाहती हैं. मोहम्मद शहाबुद्दीन जब माले से लड़ाई लड़ते थे तब मोहम्मद शहाबुद्दीन को सभी वर्गों का साथ मिलता था और उसी का नतीजा था कि वह विधायक और सांसद बनते थे.हिना शहाब फिर से इस वोट बैंक को रिवाइव करना चाहती हैं. लिहाजा उन्होंने किसी भी दल के टिकट पर चुनाव लड़ने का फैसला नहीं लिया.
सभी वर्गों का साथ चाहती हैं हिना: हिना शहाब को लालू प्रसाद यादव ने टिकट के लिए ऑफर किया लेकिन उन्होंने मना कर दिया इसके बाद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से भी उन्हें ऑफर मिला था लेकिन ओवैसी की पार्टी को भी उन्होंने मना कर दिया. जाहिर तौर पर मुस्लिम यादव वोट बैंक के बजाय वह सभी वर्गों का साथ चाहती हैं.
आरजेडी ने नहीं किया उम्मीदवार का नाम घोषित: हिना शहाब के न करने के बाद राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के समक्ष धर्म संकट की स्थिति है और अब तक उन्होंने वहां से उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है. अगर राष्ट्रीय जनता दल की ओर से सिवान सीट पर उम्मीदवार घोषित कर दिया जाता है तो उसका असर सारण पाटलिपुत्र और सीमांचल इलाके के वोटिंग पर पड़ सकता है. अल्पसंख्यक राजद को झटका दे सकते हैं. वर्तमान परिस्थितियों में लालू प्रसाद यादव के समक्ष दो विकल्प हैं या तो सिवान सीट पर उम्मीदवारी सीमांचल चुनाव के वक्त घोषित करें या फिर हिना शहाब के नामांकन के बाद वह अपने पत्ते खोले.
अवध बिहारी पर दांव खेलेगी RJD? : मिल रही जानकारी के मुताबिक पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी क्षेत्र में भ्रमण कर रहे हैं और संभव है कि उन्हें ही राष्ट्रीय जनता दल की ओर से उम्मीदवार बनाया जाए. राष्ट्रीय जनता दल प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि सिवान लोकसभा सीट हम मजबूती से लड़ेंगे.
"कुछ दिनों में हमारे प्रत्याशी का ऐलान हो जाएगा. हिना शहाब ने लालू प्रसाद यादव के ऑफर को क्यों ठुकराया इसके बारे में वही बता सकेंगी. लालू प्रसाद यादव अल्पसंख्यकों के प्रति अच्छा भाव रखते हैं और कमिटमेंट भी पूरा करते हैं."- एजाज अहमद,आरजेडी प्रवक्ता
वोटिंग पर पड़ सकता है इफेक्ट : राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि सिवान लोकसभा सीट बेहद दिलचस्प होने जा रहा है. हिना शहाब की मौजूदगी ने राष्ट्रीय जनता दल और जदयू दोनों की मुश्किल बढ़ा दी हैं. लालू प्रसाद यादव को इस बात का डर है कि अगर सिवान सीट पर उम्मीदवार घोषित कर दिया जाता है तो अल्पसंख्यक नाराज हो जाएंगे और उसका असर सिवान पाटलिपुत्र और सीमांचल के वोटिंग पर पड़ सकता है.
"हिना शहाब निर्दलीय ताल ठोक रही हैं और सभी वर्गों का समर्थन भी उन्हें मिल रहा है. हिना शहाब मोहम्मद शहाबुद्दीन के राजनीतिक विरासत को मजबूत करना चाहती हैं."- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
4 बार सांसद रहे शहाबुद्दीनः सिवान लोकसभा सीट लेफ्ट का मजबूत किला माना जाता था, लेकिन बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन ने इस मिथक को तोड़ा और रॉबिन हुड छवि के बदौलत सिवान के अंदर समानांतर सरकार चलाई. 1996 से 2000 के बीच मोहम्मद शहाबुद्दीन चार बार लोकसभा के लिए चुने गए. इससे पहले जीरादेई से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विधायक भी बने थे.
सिवान का जातिगत समीकरण: सिवान लोकसभा सीट के जातिगत समीकरण को देखना भी दिलचस्प है. जिले में 3 लाख के आसपास मुस्लिम आबादी है. ढाई लाख आबादी यादव मतदाताओं की है. लगभग सवा लाख कुशवाहा वोटर भी हैं. 80 हजार के आसपास सहनी मतदाताओं की संख्या भी है. इसके अलावा सिवान जिले में चार लाख उच्च जाति के और ढाई लाख अति पिछड़ा समुदाय के मतदाता हैं.
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