वाराणसी : ज्ञानवापी मामले में 1991 के मूल वाद लॉर्ड विश्वेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामियां के मामले में शुक्रवार को सुनवाई हुई. दोनों पक्षों की बहस के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 21 फरवरी की तिथि मुकर्रर की है. वहीं कोर्ट की तरफ से वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन पर 1000 रुपये का हर्जाना भी लगाया गया है. सीनियर जस्ट सिविल डिवीजन की अदालत में चल रहे मुकदमे के वादी हरिहर पांडेय के बेटों ने इस मामले में वादी बनने के लिए एक एप्लीकेशन दी है, जिसमें अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन उनके वकील हैं, लेकिन आज भी सुनवाई में विष्णु शंकर जैन मौजूद नहीं थे. जिसके बाद कोर्ट ने विष्णु शंकर जैन पर 1000 रुपये का हर्जाना लगाया है.
वाराणसी ज्ञानवापी परिसर में उन जगहों के सर्वे करने की याचिका दाखिल की गई है, जिसमें अभी तक सर्वे कार्रवाई नहीं हो सकी है. इस याचिका में एडवोकेट कमीशन के दौरान वजूखाने में मिले गठित शिवलिंग नुमा आकृति के स्थल की एएसआई जांच कराए जाने के साथ ही अन्य कई जगहों के सर्वे की मांग की गई है. पीठासीन अधिकारी छुट्टी पर थे जिसकी वजह से पिछली तिथि पर सुनवाई नहीं हो सकी थी.
मुख्य मुकदमे में लॉर्ड विश्वेश्वर पक्ष से वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन प्रशांत कुमार सिंह की अदालत में याचिका दायर की थी. जिसमें आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया से उन जगहों की जांच की अपील की गई थी. जहां जांच अभी नहीं हो पाई है एएसआई ने परिसर में सर्व स्थलों की रिपोर्ट दाखिल की थी. जिसके बाद इस रिपोर्ट को आधार बनाकर यह अपील की गई थी. वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट में याचिका दायर करते हुए मूलवाद का हवाला दिया गया है और विजय शंकर रस्तोगी ने यह तर्क दिया था कि एएसआई सर्वेक्षण के दौरान जमीन खोदकर रडार निर्णायक परिणाम देने में सफल नहीं है. इसलिए जांच में तमाम हिस्सों को शामिल किया जाना चाहिए जो महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं 12 फरवरी को कोर्ट ने इस मामले में आपत्तियां दर्ज करने के लिए निर्देश दिए थे, लेकिन इसके बाद सुनवाई नहीं हो पाई थी. आज कोर्ट इस मामले में सुनवाई.
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