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हाथरस घटना ने हरिद्वार भगदड़ की घटनाओं की याद को किया ताजा, दो बार धार्मिक आयोजन में हुए थे बड़े हादसे - stampede incident in uttarakhand - STAMPEDE INCIDENT IN UTTARAKHAND

Uttar Pradesh Hathras Stampede Incident उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ की घटना में कई लोगों की जान चली गई है. इस घटना ने उत्तराखंड में हुई भगदड़ की घटनाओं की याद को ताजा कर दिया है. जिसमें कई लोगों को जान गंवानी पड़ी थी और कई लोग घायल हो गए थे.

Haridwar Stampede Incidents
हरिद्वार भगदड़ घटनाएं (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 2, 2024, 7:10 PM IST

Updated : Jul 3, 2024, 12:46 PM IST

देहरादून (उत्तराखंड): उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक धार्मिक आयोजन में भगदड़ मचने से कई लोगों की मौत हो गई है. वहीं हाथरस की घटना ने धर्मनगरी हरिद्वार के भी दो बड़े हादसों की यादों को ताजा कर दिया है. जिसमें कई लोगों को जान गंवाना पड़ा था और कई लोग घायल हो गए थे. इन घटनाओं के बाद सरकार और प्रशासन को व्यवस्था को और सुदृढ़ करने पर मजबूर कर दिया था. वहीं लोगों के जेहन में आज भी हरिद्वार में घटित हुई इन घटनाओं की याद ताजा है.

कुंभ मेले में मची थी भगदड़: उत्तराखंड में साल 2010 का कुंभ बड़ी भव्यता के साथ हरिद्वार में आयोजित हुआ. देश और दुनिया के तमाम लोग इस आयोजन में शिरकत कर रहे थे, सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था. चारों तरफ कुंभ की छटा देखते ही बन रही थी, लेकिन एक हादसे ने कुंभ को कड़वी यादों से जोड़ दिया.शाही स्नान के दौरान जूना अखाड़ा की पेशवाई हरिद्वार के ललतारा पुल से हर की पैड़ी की तरफ जा रही थी, तभी बिरला घाट पर अचानक से भीड़ बढ़ गई और भगदड़ मच गई.शाही स्नान के दौरान हुई इस भगदड़ में लगभग सात लोगों की मौत मौके पर ही हो गई, जबकि 15 से ज्यादा लोग घायल हो गए.भगदड़ की खबर से सरकार और प्रशासन में हड़कंप मच था. उस समय मुख्यमंत्री पद पर रमेश पोखरियाल निशंक आसीन थे, जो खुद तमाम शाही स्नान में हरिद्वार में रहकर साधु संतों की व्यवस्था को देख रहे थे. वहीं आंकड़े के मुताबिक हरिद्वार में इस शाही स्नान के दौरान लगभग 70 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ मौजूद थी.

एक साल बाद ही हुआ था ये बड़ा हादसा: साल 2011 में लगे शांतिकुंज के कुंभ के दौरान भी भगदड़ मची थी. दरअसल, शांतिकुंज में गायत्री परिवार के संस्थापक श्रीराम शर्मा का जन्म शताब्दी उत्सव मनाया जा रहा था. पूरे हरिद्वार को कुंभ की तरह ही सजाया गया था. बताया जाता है कि इस कुंभ में लगभग 80 से अधिक देशों के लोगों को बुलाया गया था. 6 नवंबर से लेकर 16 नवंबर तक चलने वाले इस शांतिकुंज के कुंभ में एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया था. जब यह यज्ञ चल रहा था, तब आने और जाने का रास्ता एक ही बनाया गया था. पंडाल में अत्यधिक धुआं होने की वजह से सामने से आने वाले लोगों को एक दूसरे के चेहरे दिखाई नहीं दे रहे थे और देखते ही देखते यहां पर भी भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई थी. इस हादसे में 20 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 50 लोगों से अधिक लोग घायल हो गए थे.

गुजर रहा था तत्कालीन हिमाचल सीएम का काफिला: बताया यह भी जाता है कि जिस व्यक्ति यह हादसा हुआ उसे वक्त हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का काफिला भी ठीक उसी जगह से गुजर रहा था, जिस जगह यज्ञ का आयोजन किया गया था. हालांकि उसके बाद हरिद्वार प्रशासन ने शांतिकुंज को इस तरह के बड़े आयोजन करवाने से साफ इनकार कर दिया था और अब तमाम बड़े आयोजन शांतिकुंज के ही प्रांगण में आयोजित होते हैं.

उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों पर उमड़ते हैं रोजाना लाखों श्रद्धालु: हरिद्वार के चंडी देवी और मनसा देवी के साथ-साथ अन्य धार्मिक स्थलों पर भी साल में कई बार लाखों श्रद्धालु रोजाना दर्शन करने आते हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं की भीड़ कई बार मुसीबत का सबब भी बन जाती है. हरिद्वार प्रशासन ने इन दो बड़े हादसों के बाद सबक लेते हुए अब मंदिरों की व्यवस्थाओं को सुधारा है. जहां एक तरफ से श्रद्धालुओं को अंदर दाखिल किया जाता है, वहीं दूसरे रास्ते से अब जाने की व्यवस्था की गई है.हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि हाथरस में घटित हुई घटना के बाद एक बार फिर से इस तरह के धार्मिक आयोजनों में होने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए न केवल हरिद्वार बल्कि देश के अन्य इलाकों में प्रशासन और सरकार को पुख्ता इंतजाम करने की जरूरत है.

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देहरादून (उत्तराखंड): उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक धार्मिक आयोजन में भगदड़ मचने से कई लोगों की मौत हो गई है. वहीं हाथरस की घटना ने धर्मनगरी हरिद्वार के भी दो बड़े हादसों की यादों को ताजा कर दिया है. जिसमें कई लोगों को जान गंवाना पड़ा था और कई लोग घायल हो गए थे. इन घटनाओं के बाद सरकार और प्रशासन को व्यवस्था को और सुदृढ़ करने पर मजबूर कर दिया था. वहीं लोगों के जेहन में आज भी हरिद्वार में घटित हुई इन घटनाओं की याद ताजा है.

कुंभ मेले में मची थी भगदड़: उत्तराखंड में साल 2010 का कुंभ बड़ी भव्यता के साथ हरिद्वार में आयोजित हुआ. देश और दुनिया के तमाम लोग इस आयोजन में शिरकत कर रहे थे, सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था. चारों तरफ कुंभ की छटा देखते ही बन रही थी, लेकिन एक हादसे ने कुंभ को कड़वी यादों से जोड़ दिया.शाही स्नान के दौरान जूना अखाड़ा की पेशवाई हरिद्वार के ललतारा पुल से हर की पैड़ी की तरफ जा रही थी, तभी बिरला घाट पर अचानक से भीड़ बढ़ गई और भगदड़ मच गई.शाही स्नान के दौरान हुई इस भगदड़ में लगभग सात लोगों की मौत मौके पर ही हो गई, जबकि 15 से ज्यादा लोग घायल हो गए.भगदड़ की खबर से सरकार और प्रशासन में हड़कंप मच था. उस समय मुख्यमंत्री पद पर रमेश पोखरियाल निशंक आसीन थे, जो खुद तमाम शाही स्नान में हरिद्वार में रहकर साधु संतों की व्यवस्था को देख रहे थे. वहीं आंकड़े के मुताबिक हरिद्वार में इस शाही स्नान के दौरान लगभग 70 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ मौजूद थी.

एक साल बाद ही हुआ था ये बड़ा हादसा: साल 2011 में लगे शांतिकुंज के कुंभ के दौरान भी भगदड़ मची थी. दरअसल, शांतिकुंज में गायत्री परिवार के संस्थापक श्रीराम शर्मा का जन्म शताब्दी उत्सव मनाया जा रहा था. पूरे हरिद्वार को कुंभ की तरह ही सजाया गया था. बताया जाता है कि इस कुंभ में लगभग 80 से अधिक देशों के लोगों को बुलाया गया था. 6 नवंबर से लेकर 16 नवंबर तक चलने वाले इस शांतिकुंज के कुंभ में एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया था. जब यह यज्ञ चल रहा था, तब आने और जाने का रास्ता एक ही बनाया गया था. पंडाल में अत्यधिक धुआं होने की वजह से सामने से आने वाले लोगों को एक दूसरे के चेहरे दिखाई नहीं दे रहे थे और देखते ही देखते यहां पर भी भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई थी. इस हादसे में 20 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 50 लोगों से अधिक लोग घायल हो गए थे.

गुजर रहा था तत्कालीन हिमाचल सीएम का काफिला: बताया यह भी जाता है कि जिस व्यक्ति यह हादसा हुआ उसे वक्त हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का काफिला भी ठीक उसी जगह से गुजर रहा था, जिस जगह यज्ञ का आयोजन किया गया था. हालांकि उसके बाद हरिद्वार प्रशासन ने शांतिकुंज को इस तरह के बड़े आयोजन करवाने से साफ इनकार कर दिया था और अब तमाम बड़े आयोजन शांतिकुंज के ही प्रांगण में आयोजित होते हैं.

उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों पर उमड़ते हैं रोजाना लाखों श्रद्धालु: हरिद्वार के चंडी देवी और मनसा देवी के साथ-साथ अन्य धार्मिक स्थलों पर भी साल में कई बार लाखों श्रद्धालु रोजाना दर्शन करने आते हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं की भीड़ कई बार मुसीबत का सबब भी बन जाती है. हरिद्वार प्रशासन ने इन दो बड़े हादसों के बाद सबक लेते हुए अब मंदिरों की व्यवस्थाओं को सुधारा है. जहां एक तरफ से श्रद्धालुओं को अंदर दाखिल किया जाता है, वहीं दूसरे रास्ते से अब जाने की व्यवस्था की गई है.हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि हाथरस में घटित हुई घटना के बाद एक बार फिर से इस तरह के धार्मिक आयोजनों में होने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए न केवल हरिद्वार बल्कि देश के अन्य इलाकों में प्रशासन और सरकार को पुख्ता इंतजाम करने की जरूरत है.

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Last Updated : Jul 3, 2024, 12:46 PM IST
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