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11 साल बाद बिछड़े बच्चे का परिवार से ऐसा मिलन, रो पड़ा हर कोई, 9 साल की उम्र में हुआ था लापता - Missing Child Reunited With Family

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 2 hours ago

हरियाणा पुलिस ने 11 साल से लापता एक बच्चे को उसके बिछड़े परिवार से मिला दिया. अपने लाडले से मिलकर परिवार वालों के आंसू निकल आये. कानूनी प्रक्रिया पूरी करके बच्चे को उसके परिवार को सौंप दिया गया.

MISSING CHILD REUNITED WITH FAMILY
11 साल बाद परिवार से मिला बच्चा. (Photo- ETV Bharat)

पंचकूला: किसी परिवार का मासूम बच्चा गुम हो जाए तो ऐसे दर्द को शब्दों में बयान करना मुश्किल होता है. लेकिन एक दशक बाद जब बच्चा अचानक अपने परिवार के सामने आ जाए तो उस खुशी की भी कोई सीमा नहीं होती. ऐसा ही एक वाक्या हरियाणा के जिला पंचकूला पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) के प्रयासों से सामने आ सका है. एएचटीयू टीम ने 11 साल पहले गुमशुदा हुए एक बच्चे को उसके बिछड़े परिवार से मिलवाने में सफलता हासिल की है.

करनाल के तरावड़ी से बिछड़ा

सतबीर उर्फ टार्जन वर्ष 2013 में हरियाणा के जिला करनाल के तरावड़ी में अपने परिवार से बिछड़ गया था. सतबीर की उम्र उस समय करीब 9 साल थी. वो आज 20 वर्ष का हो गया है. सतबीर को राज्य अपराध शाखा की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) ममता सिंह की उपस्थिति में उसके बिछड़े परिवार से मिलवाया गया. बेटे के मिलने की खुशी में परिजन हरियाणा पुलिस का धन्यवाद करते नहीं थक रहे हैं. एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की इस उपलब्धि पर डीजीपी हरियाणा शत्रुजीत कपूर ने पूरी टीम को शुभकामनाएं देते हुए उन्हें भविष्य में इसी प्रकार उत्कृष्ट प्रदर्शन को प्रेरित किया.

यह था मामला

सतबीर उर्फ टार्जन नामक गुमशुदा बच्चा 11 साल पहले करनाल से लापता हो गया था. सितंबर 2013 में जिला करनाल के तरावड़ी पुलिस थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की गई. सतबीर को खोजने के लिए 5 हजार रुपए का इनाम भी रखा गया था. एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को गुमशुदा सतबीर को तलाशने संबंधी फाइल सौंपी गई. जांच टीम ने सतबीर की माता से संपर्क किया, जिन्होंने बताया कि उनके बेटे के हाथ पर कुत्ते के काटने का निशान और बाएं हाथ पर बंदर के काटने का निशान है. उन्होंने बताया कि सतबीर के पिता का स्वर्गवास हो चुका है. वो अपने बेटे का वर्षों से इंतजार कर रही हैं. इसके बाद एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने अथक प्रयास करते हुए गुमशुदा सतबीर की तलाश शुरू की.

चाइल्ड केयर संस्थानों में पोस्टर लगवाए

एएचटीयू के एएसआई राजेश कुमार ने सतबीर के पोस्टर तैयार करवाए और उसे दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, मुंबई, कानपुर, शिमला, लखनऊ के चाइल्ड केयर संस्थानों में लगवा कर उसकी तलाश शुरू की. इस कड़ी में एक दिन लखनऊ से राजकीय देखरेख संगठन के प्रतिनिधियों ने हरियाणा की एएचटीयू टीम से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि यह पोस्टर उनके यहां रहे सतबीर नामक युवक से मेल खाता है और वो उनके पास मेरठ चाइल्ड केयर संस्थान से आया है. उससे पहले वो चाइल्ड लाइन गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर लावारिस घूमता हुआ मिला था.

सतबीर और परिवार ने एक-दूसरे को पहचाना

एएचटीयू टीम सतबीर से पूछताछ करते हुए तथ्यों की जांच-पड़ताल करते हुए उसे वापस हरियाणा लाई. सतबीर को उनके भाई और माता आदि को दिखाया गया और पुष्टि करते हुए सतबीर को 26 सितंबर को उसके परिजनों को सौंपा गया. 11 साल बाद बिछड़े बच्चे का परिवार से मिलन इतना भावुक करने देने वाला था, कि जिसने भी देखा वो रो पड़ा.

परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं

सतबीर को 11 साल बाद अपने बीच पाकर परिवार के सदस्यों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. पूरा परिवार खुशी के इस मौके पर हरियाणा पुलिस का आभार जताते नजर आया. सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद सतबीर को उसके परिजनों को सौंप दिया गया.

ये भी पढ़ें- हरियाणा पुलिस का ऑपरेशन स्माइल, देशभर से तलाश कर 87 बच्चों समेत 227 गुमशुदा को परिवार से मिलाया

ये भी पढ़ें- 'ऑपरेशन स्माइल' : 3600 गुमशुदा बच्चों को ढूंढ परिवारों से मिलाया

पंचकूला: किसी परिवार का मासूम बच्चा गुम हो जाए तो ऐसे दर्द को शब्दों में बयान करना मुश्किल होता है. लेकिन एक दशक बाद जब बच्चा अचानक अपने परिवार के सामने आ जाए तो उस खुशी की भी कोई सीमा नहीं होती. ऐसा ही एक वाक्या हरियाणा के जिला पंचकूला पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) के प्रयासों से सामने आ सका है. एएचटीयू टीम ने 11 साल पहले गुमशुदा हुए एक बच्चे को उसके बिछड़े परिवार से मिलवाने में सफलता हासिल की है.

करनाल के तरावड़ी से बिछड़ा

सतबीर उर्फ टार्जन वर्ष 2013 में हरियाणा के जिला करनाल के तरावड़ी में अपने परिवार से बिछड़ गया था. सतबीर की उम्र उस समय करीब 9 साल थी. वो आज 20 वर्ष का हो गया है. सतबीर को राज्य अपराध शाखा की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) ममता सिंह की उपस्थिति में उसके बिछड़े परिवार से मिलवाया गया. बेटे के मिलने की खुशी में परिजन हरियाणा पुलिस का धन्यवाद करते नहीं थक रहे हैं. एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की इस उपलब्धि पर डीजीपी हरियाणा शत्रुजीत कपूर ने पूरी टीम को शुभकामनाएं देते हुए उन्हें भविष्य में इसी प्रकार उत्कृष्ट प्रदर्शन को प्रेरित किया.

यह था मामला

सतबीर उर्फ टार्जन नामक गुमशुदा बच्चा 11 साल पहले करनाल से लापता हो गया था. सितंबर 2013 में जिला करनाल के तरावड़ी पुलिस थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की गई. सतबीर को खोजने के लिए 5 हजार रुपए का इनाम भी रखा गया था. एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को गुमशुदा सतबीर को तलाशने संबंधी फाइल सौंपी गई. जांच टीम ने सतबीर की माता से संपर्क किया, जिन्होंने बताया कि उनके बेटे के हाथ पर कुत्ते के काटने का निशान और बाएं हाथ पर बंदर के काटने का निशान है. उन्होंने बताया कि सतबीर के पिता का स्वर्गवास हो चुका है. वो अपने बेटे का वर्षों से इंतजार कर रही हैं. इसके बाद एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने अथक प्रयास करते हुए गुमशुदा सतबीर की तलाश शुरू की.

चाइल्ड केयर संस्थानों में पोस्टर लगवाए

एएचटीयू के एएसआई राजेश कुमार ने सतबीर के पोस्टर तैयार करवाए और उसे दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, मुंबई, कानपुर, शिमला, लखनऊ के चाइल्ड केयर संस्थानों में लगवा कर उसकी तलाश शुरू की. इस कड़ी में एक दिन लखनऊ से राजकीय देखरेख संगठन के प्रतिनिधियों ने हरियाणा की एएचटीयू टीम से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि यह पोस्टर उनके यहां रहे सतबीर नामक युवक से मेल खाता है और वो उनके पास मेरठ चाइल्ड केयर संस्थान से आया है. उससे पहले वो चाइल्ड लाइन गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर लावारिस घूमता हुआ मिला था.

सतबीर और परिवार ने एक-दूसरे को पहचाना

एएचटीयू टीम सतबीर से पूछताछ करते हुए तथ्यों की जांच-पड़ताल करते हुए उसे वापस हरियाणा लाई. सतबीर को उनके भाई और माता आदि को दिखाया गया और पुष्टि करते हुए सतबीर को 26 सितंबर को उसके परिजनों को सौंपा गया. 11 साल बाद बिछड़े बच्चे का परिवार से मिलन इतना भावुक करने देने वाला था, कि जिसने भी देखा वो रो पड़ा.

परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं

सतबीर को 11 साल बाद अपने बीच पाकर परिवार के सदस्यों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. पूरा परिवार खुशी के इस मौके पर हरियाणा पुलिस का आभार जताते नजर आया. सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद सतबीर को उसके परिजनों को सौंप दिया गया.

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