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भारतीय राजनीति में खास है हरिद्वार लोकसभा सीट, मायावती से लेकर पासवान लड़ चुके चुनाव, कई नेता केंद्र में बने मंत्री - Haridwar Lok Sabha seat history

Haridwar Lok Sabha seat, Mayawati Haridwar connection हरिद्वार लोकसभा सीट अपने आप में खास है. इस वीवीआईपी सीट का चुनावी इतिहास काफी रोचक है. हरिद्वार लोकसभा सीट से रामविलास पासवान, मायावती जैसे दिग्गज नेताओं ने चुनाव लड़ा. इसके बाद भारतीय राजनीति में इन नेताओं का कद बढ़ता चला गया. हरिद्वार से लोकसभा चुनाव लड़े कई नेता केंद्र में मंत्री भी बने.

HARIDWAR LOK SABHA SEAT HISTORY
भारतीय राजनीति में खास है हरिद्वार लोकसभा सीट,
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 31, 2024, 6:59 PM IST

Updated : Apr 1, 2024, 3:18 PM IST

देहरादून(उत्तराखंड): देशभर में इन दिनों चुनावी शोर है. पॉलिटिकल पार्टीज पूरे दमखम से चुनाव प्रचार में जुटी है. चुनावी शोर के बीच देशभर में लोकसभा हॉट सीटों को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. उत्तराखंड की हरिद्वार लोकसभा सीट भी देश की चर्चित सीट है. उत्तराखंड की हरिद्वार लोकसभा सीट ऐसी सीट है जिससे देश के दिग्गज नेताओं ने चुनाव लड़े. इन नेताओं ने न सिर्फ चुनाव लड़े बल्कि इसके बाद उन्हें बड़ी जिम्मेदारी भी मिली.

हरिद्वार लोकसभा सीट के बारे में कहा जाता है कि यहां से दूसरे राज्य नेताओं ने चुनाव लड़कर अपनी अलग पहचान बनाई. देश के बड़े नेता रामविलास पासवान, बसपा सुप्रीमो मायावती जैसे दिग्गजों ने हरिद्वार की लोकसभा सीट से किस्मत आजमाई है. वह बात अलग है कि वो यहां पर चुनाव नहीं जीते, लेकिन, हरिद्वार से चुनाव लड़ने के बाद उनकी राजनीतिक दशा और दिशा बदली. इतना ही नहीं हरीश रावत, रमेश पोखरियाल निशंक, महावीर जैन, जगदीश मुनि,वीरेंद्र सिंह जैसे नेता भी हरिद्वार से विधानसभा और लोकसभा का चुनाव जीतकर बड़े पदों पर पहुंचे.

HARIDWAR LOK SABHA SEAT HISTORY
उत्तराखंड में 19 अप्रैल को वोटिंग

बिहार से चुनाव लड़ने पहुंचे रामविलास पासवान: राजनीति के मौसम वैज्ञानिक कहे जाने वाले बिहार के जाने माने नेता रामविलास पासवान ने हरिद्वार से चुनाव लड़ा. जनता पार्टी ने 1985 में रामविलास पासवान को उपचुनाव लड़ने के लिए चंद्रशेखर ने बिहार से सीधा हरिद्वार भेजा. बताया जाता है कि रामविलास पासवान की इच्छा थी कि वह हरिद्वार को बड़े प्लेटफार्म पर लेकर आए. रामविलास पासवान उस वक्त इतने बड़े नेता नहीं थे. वह बात अलग है कि वह इससे पहले विधानसभा का एक चुनाव जीते थे.

साइकिल, मोटर साइकिल पर पर घूमते थे दिग्गज: राजनीतिक जानकार सुनील पांडे बताते हैं कि उसे दौर में चंद्रशेखर जनता पार्टी के अध्यक्ष हुआ करते थे. उस दौर में उनका नाम बहुत बड़ा था. रामविलास पासवान को जैसे ही उन्होंने हरिद्वार में चुनाव लड़ने के लिए भेजा वैसे ही बीएसपी ने मायावती का नाम हरिद्वार में होने जा रहे उपचुनाव के लिए घोषित कर दिया. सुनील पांडे बताते हैं उस दौर में चुनाव लड़ने के लिए आए दोनों नेताओं को हमने हरिद्वार में स्कूटर और मोटरसाइकिल के साथ-साथ साइकिल पर घूमते हुए देखा है. मायावती का रुतबा भले ही उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने के बाद बढ़ा हो, लेकिन उस लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने अपनी पहचान दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हरिद्वार लोकसभा सीट से हो रहे इस चुनाव में मायावती का साथ देने के लिए न केवल महिलाएं बड़ी संख्या में आई, बल्कि सहारनपुर बिजनौर तक से लोग उन्हें चुनाव जिताने के लिए हरिद्वार पहुंचे.

HARIDWAR LOK SABHA SEAT HISTORY
तैयार है 2024 का रण

जोरदार थे रामविलास पासवान के भाषण: रामविलास पासवान की भाषा शैली और उनके भाषणों का अंदाज उस वक्त बताता था कि हरिद्वार की जनता उन्हें बेहद पसंद कर रही है. यह दोनों ही बड़े नेता उस वक्त हरिद्वार में नुक्कड़ चौक चौराहों पर छोटी-छोटी रैलियां करते थे. ऐसा नहीं है कि इस चुनाव में सिर्फ यह दो बड़े नेता ही थे बल्कि राम सिंह मांडेबांस भी इसी साल चुनावी मैदान में थे.

हरिद्वार में चंद्रशेखर ने डाला डेरा: सुनील पांडे बताते हैं चंद्रशेखर ने बिहार से बड़े नेताओं की फौज हरिद्वार भेजी. उन्होंने यहां रैलियां की. रामविलास पासवान के लिए लगभग 20 दिनों तक चंद्रशेखर हरिद्वार में रहकर रैलियां करते रहे. हर की पैड़ी के पास रामसेतु पर उनकी रैली का भाषण बहुत चर्चाओं में रहा. इसके बाद सबको लगने लगा था कि रामविलास पासवान हरिद्वार से लोकसभा के सांसद बन जाएंगे, लेकिन जब नतीजे आए तो सब हैरान थे. रामविलास पासवान मायावती और राम सिंह के बीच हो रही टक्कर में राम सिंह मांडेबांस चुनाव जीत गये. राम सिंह को 1,49,377 वोट मिले थे. मायावती को 1,25,399 वोट मिले. हरिद्वार से लोकसभा चुनाव हारने के तुरंत बाद रामविलास पासवान अपने राज्य वापस निकल गये. हरिद्वार चुनाव में उन्हें महज 34,225 वोट मिले. चुनाव हारने के बाद मायावती और रामविलास पासवान ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.

HARIDWAR LOK SABHA SEAT HISTORY
रामविलास पासवान

हरिद्वार से हारने के बाद राजनीति में मजबूत हुए नेता: वहीं, हरिद्वार से चुनाव हारने के बाद मायावती ने उन्हें क्षेत्र में पकड़ बनाने का मौका दिया. लोकसभा चुनाव के बाद मायावती ने यहां से अपने उम्मीदवार उतारने शुरू किये. जिसके बाद उनके कई विधायक यहां से विधानसभा पहुंचे. जिसके बाद मायावती यूपी की मुख्यमंत्री बनी. वहीं, रामविलास पासवान भी इस चुनाव के बाद अपनी पार्टी के अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री और अन्य बड़े पदों पर रहे. रामविलास पासवान और मायावती को हराने वाले राम सिंह की लॉटरी लगी. राम सिंह भी प्रदेश के गृहमंत्री से लेकर संसद और उसके बाद सक्रिय राजनीति में आकर वह कई बड़े पदों पर रहे. इस जीत से पहले भी वह कई बार विधानसभा पहुंच चुके थे. राम सिंह, मायावती और रामविलास पासवान तीनों ही नेता हरिद्वार के ना तो वोटर थे, न ही वे यहां के निवासी थे. राम सिंह, सहारनपुर के रहने वाले थे. पहले हरिद्वार लोकसभा सीट सहारनपुर के अंतर्गत ही आती थी.

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बसपा सुप्रीमो मायावती

हरिद्वार में बाहर से आये नेताओं की किस्मत चमकी: सुनील पांडे कहते हैं कि हरिद्वार में अमूमन बाहर या यह कहे दूसरे जनपद के नेता ही बड़े पदों पर पहुंचे हैं. जब से मदन कौशिक ने हरिद्वार में जीत का सिलसिला शुरू किया है तब से यह दौर खत्म हुआ है. आज भी अगर लोकसभा की बात करें तो हर साल ऐसा ही हो रहा है. सुनील दत्त पांडे बताते हैं सहारनपुर से महावीर राणा चुनाव लड़ने आए. वे यहां से जीत गए. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से आए कामरेड आरके गर्ग भी हरिद्वार से जीते. मायावती और रामविलास पासवान को हराने वाले राम सिंह भी सहारनपुर के थे. सहारनपुर के रहने वाले अजीत प्रसाद जैन, बिजनौर के रहने वाले सुंदरलाल, देहरादून के महावीर त्यागी, ऋषिकेश के शांतिप्रपन शर्मा, सहारनपुर के जगपाल सिंह ने हरिद्वार से चुनाव लड़ा. बिजनौर निवासी वीरेंद्र सिंह, हरियाणा के जगदीश मुनि को हरिद्वार की जनता ने खूब प्यार दिया. मौजूदा समय में रमेश पोखरियाल निशंक और हरीश रावत भी यहां से सांसद बने. ये दोनों ही नेता हरिद्वार के मूल निवासी नहीं हैं.

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हरीश रावत


हरदा और निशंक को केंद्र में मिली बड़ी जिम्मेदारी: हरीश रावत लंबे समय तक संसद में रहे. जैसे ही उन्होंने हरिद्वार से लोकसभा चुनाव जीता वैसे ही वह केंद्र में मंत्री बने. उसके बाद लंबे समय से मुख्यमंत्री बनने की हसरत पाले रहे . उनकी ये हसरत 2014 में पूरी हुई. वहीं, रमेश पोखरियाल निशंक उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायक मंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रहे. केंद्र में उन्हें हरिद्वार लोकसभा से जीत मिलने के बाद मिली. निशंक को मोदी सरकार में शिक्षा मंत्री का पद मिला.

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रमेश पोखरियाल निशंक

पढे़ं-चुनावी किस्सा: हरिद्वार की गलियों का सियासी 'स्कूटर', 6 बार जमानत जब्त करा चुके हैं कुरैशी, इस बार नहीं भर पाए पर्चा

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पढ़ें- त्रिवेंद्र रावत के पॉलिटिकल खाते में दर्ज हैं तीन जीत, दो हार, पोर्टफोलियो में सीएम, कैबिनेट मंत्री का अनुभव भी शामिल

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देहरादून(उत्तराखंड): देशभर में इन दिनों चुनावी शोर है. पॉलिटिकल पार्टीज पूरे दमखम से चुनाव प्रचार में जुटी है. चुनावी शोर के बीच देशभर में लोकसभा हॉट सीटों को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. उत्तराखंड की हरिद्वार लोकसभा सीट भी देश की चर्चित सीट है. उत्तराखंड की हरिद्वार लोकसभा सीट ऐसी सीट है जिससे देश के दिग्गज नेताओं ने चुनाव लड़े. इन नेताओं ने न सिर्फ चुनाव लड़े बल्कि इसके बाद उन्हें बड़ी जिम्मेदारी भी मिली.

हरिद्वार लोकसभा सीट के बारे में कहा जाता है कि यहां से दूसरे राज्य नेताओं ने चुनाव लड़कर अपनी अलग पहचान बनाई. देश के बड़े नेता रामविलास पासवान, बसपा सुप्रीमो मायावती जैसे दिग्गजों ने हरिद्वार की लोकसभा सीट से किस्मत आजमाई है. वह बात अलग है कि वो यहां पर चुनाव नहीं जीते, लेकिन, हरिद्वार से चुनाव लड़ने के बाद उनकी राजनीतिक दशा और दिशा बदली. इतना ही नहीं हरीश रावत, रमेश पोखरियाल निशंक, महावीर जैन, जगदीश मुनि,वीरेंद्र सिंह जैसे नेता भी हरिद्वार से विधानसभा और लोकसभा का चुनाव जीतकर बड़े पदों पर पहुंचे.

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उत्तराखंड में 19 अप्रैल को वोटिंग

बिहार से चुनाव लड़ने पहुंचे रामविलास पासवान: राजनीति के मौसम वैज्ञानिक कहे जाने वाले बिहार के जाने माने नेता रामविलास पासवान ने हरिद्वार से चुनाव लड़ा. जनता पार्टी ने 1985 में रामविलास पासवान को उपचुनाव लड़ने के लिए चंद्रशेखर ने बिहार से सीधा हरिद्वार भेजा. बताया जाता है कि रामविलास पासवान की इच्छा थी कि वह हरिद्वार को बड़े प्लेटफार्म पर लेकर आए. रामविलास पासवान उस वक्त इतने बड़े नेता नहीं थे. वह बात अलग है कि वह इससे पहले विधानसभा का एक चुनाव जीते थे.

साइकिल, मोटर साइकिल पर पर घूमते थे दिग्गज: राजनीतिक जानकार सुनील पांडे बताते हैं कि उसे दौर में चंद्रशेखर जनता पार्टी के अध्यक्ष हुआ करते थे. उस दौर में उनका नाम बहुत बड़ा था. रामविलास पासवान को जैसे ही उन्होंने हरिद्वार में चुनाव लड़ने के लिए भेजा वैसे ही बीएसपी ने मायावती का नाम हरिद्वार में होने जा रहे उपचुनाव के लिए घोषित कर दिया. सुनील पांडे बताते हैं उस दौर में चुनाव लड़ने के लिए आए दोनों नेताओं को हमने हरिद्वार में स्कूटर और मोटरसाइकिल के साथ-साथ साइकिल पर घूमते हुए देखा है. मायावती का रुतबा भले ही उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने के बाद बढ़ा हो, लेकिन उस लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने अपनी पहचान दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हरिद्वार लोकसभा सीट से हो रहे इस चुनाव में मायावती का साथ देने के लिए न केवल महिलाएं बड़ी संख्या में आई, बल्कि सहारनपुर बिजनौर तक से लोग उन्हें चुनाव जिताने के लिए हरिद्वार पहुंचे.

HARIDWAR LOK SABHA SEAT HISTORY
तैयार है 2024 का रण

जोरदार थे रामविलास पासवान के भाषण: रामविलास पासवान की भाषा शैली और उनके भाषणों का अंदाज उस वक्त बताता था कि हरिद्वार की जनता उन्हें बेहद पसंद कर रही है. यह दोनों ही बड़े नेता उस वक्त हरिद्वार में नुक्कड़ चौक चौराहों पर छोटी-छोटी रैलियां करते थे. ऐसा नहीं है कि इस चुनाव में सिर्फ यह दो बड़े नेता ही थे बल्कि राम सिंह मांडेबांस भी इसी साल चुनावी मैदान में थे.

हरिद्वार में चंद्रशेखर ने डाला डेरा: सुनील पांडे बताते हैं चंद्रशेखर ने बिहार से बड़े नेताओं की फौज हरिद्वार भेजी. उन्होंने यहां रैलियां की. रामविलास पासवान के लिए लगभग 20 दिनों तक चंद्रशेखर हरिद्वार में रहकर रैलियां करते रहे. हर की पैड़ी के पास रामसेतु पर उनकी रैली का भाषण बहुत चर्चाओं में रहा. इसके बाद सबको लगने लगा था कि रामविलास पासवान हरिद्वार से लोकसभा के सांसद बन जाएंगे, लेकिन जब नतीजे आए तो सब हैरान थे. रामविलास पासवान मायावती और राम सिंह के बीच हो रही टक्कर में राम सिंह मांडेबांस चुनाव जीत गये. राम सिंह को 1,49,377 वोट मिले थे. मायावती को 1,25,399 वोट मिले. हरिद्वार से लोकसभा चुनाव हारने के तुरंत बाद रामविलास पासवान अपने राज्य वापस निकल गये. हरिद्वार चुनाव में उन्हें महज 34,225 वोट मिले. चुनाव हारने के बाद मायावती और रामविलास पासवान ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.

HARIDWAR LOK SABHA SEAT HISTORY
रामविलास पासवान

हरिद्वार से हारने के बाद राजनीति में मजबूत हुए नेता: वहीं, हरिद्वार से चुनाव हारने के बाद मायावती ने उन्हें क्षेत्र में पकड़ बनाने का मौका दिया. लोकसभा चुनाव के बाद मायावती ने यहां से अपने उम्मीदवार उतारने शुरू किये. जिसके बाद उनके कई विधायक यहां से विधानसभा पहुंचे. जिसके बाद मायावती यूपी की मुख्यमंत्री बनी. वहीं, रामविलास पासवान भी इस चुनाव के बाद अपनी पार्टी के अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री और अन्य बड़े पदों पर रहे. रामविलास पासवान और मायावती को हराने वाले राम सिंह की लॉटरी लगी. राम सिंह भी प्रदेश के गृहमंत्री से लेकर संसद और उसके बाद सक्रिय राजनीति में आकर वह कई बड़े पदों पर रहे. इस जीत से पहले भी वह कई बार विधानसभा पहुंच चुके थे. राम सिंह, मायावती और रामविलास पासवान तीनों ही नेता हरिद्वार के ना तो वोटर थे, न ही वे यहां के निवासी थे. राम सिंह, सहारनपुर के रहने वाले थे. पहले हरिद्वार लोकसभा सीट सहारनपुर के अंतर्गत ही आती थी.

HARIDWAR LOK SABHA SEAT HISTORY
बसपा सुप्रीमो मायावती

हरिद्वार में बाहर से आये नेताओं की किस्मत चमकी: सुनील पांडे कहते हैं कि हरिद्वार में अमूमन बाहर या यह कहे दूसरे जनपद के नेता ही बड़े पदों पर पहुंचे हैं. जब से मदन कौशिक ने हरिद्वार में जीत का सिलसिला शुरू किया है तब से यह दौर खत्म हुआ है. आज भी अगर लोकसभा की बात करें तो हर साल ऐसा ही हो रहा है. सुनील दत्त पांडे बताते हैं सहारनपुर से महावीर राणा चुनाव लड़ने आए. वे यहां से जीत गए. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से आए कामरेड आरके गर्ग भी हरिद्वार से जीते. मायावती और रामविलास पासवान को हराने वाले राम सिंह भी सहारनपुर के थे. सहारनपुर के रहने वाले अजीत प्रसाद जैन, बिजनौर के रहने वाले सुंदरलाल, देहरादून के महावीर त्यागी, ऋषिकेश के शांतिप्रपन शर्मा, सहारनपुर के जगपाल सिंह ने हरिद्वार से चुनाव लड़ा. बिजनौर निवासी वीरेंद्र सिंह, हरियाणा के जगदीश मुनि को हरिद्वार की जनता ने खूब प्यार दिया. मौजूदा समय में रमेश पोखरियाल निशंक और हरीश रावत भी यहां से सांसद बने. ये दोनों ही नेता हरिद्वार के मूल निवासी नहीं हैं.

HARIDWAR LOK SABHA SEAT HISTORY
हरीश रावत


हरदा और निशंक को केंद्र में मिली बड़ी जिम्मेदारी: हरीश रावत लंबे समय तक संसद में रहे. जैसे ही उन्होंने हरिद्वार से लोकसभा चुनाव जीता वैसे ही वह केंद्र में मंत्री बने. उसके बाद लंबे समय से मुख्यमंत्री बनने की हसरत पाले रहे . उनकी ये हसरत 2014 में पूरी हुई. वहीं, रमेश पोखरियाल निशंक उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायक मंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रहे. केंद्र में उन्हें हरिद्वार लोकसभा से जीत मिलने के बाद मिली. निशंक को मोदी सरकार में शिक्षा मंत्री का पद मिला.

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Last Updated : Apr 1, 2024, 3:18 PM IST
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