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ज्ञानवापी ASI सर्वे रिपोर्ट की 10 प्रमुख बातें, किस आधार पर कहा गया कि मंदिर था मस्जिद नहीं - भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण

Gyanvapi ASI Survey Report: ज्ञानवापी एएसआई सर्वे की 839 पन्नों की रिपोर्ट में 15 ऐसे पन्ने हैं जो पूरी रिपोर्ट का कंक्लूजन है. आईए जानते हैं कि रिपोर्ट का सार क्या है, इसमें क्या कहा गया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 26, 2024, 6:39 AM IST

वादी अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने ASI सर्वे रिपोर्ट के बारे में विस्तार से बताया.

वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वे रिपोर्ट की कॉपी गुरुवार को पांच लोगों को मिल गई है. मुकदमे से संबंधित पक्षकारों ने गुरुवार को अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था. इसके बाद रात करीब 9:00 बजे रिपोर्ट की कॉपी दोनों पक्ष को मिली. 839 पन्नों की रिपोर्ट में 15 ऐसे पन्ने हैं जो पूरी रिपोर्ट का कंक्लूजन है. जिसके बाद विष्णु शंकर जैन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए फाइंडिंग्स का जिक्र किया.

एएसआई रिपोर्ट में क्या कहा गया

  1. ज्ञानवापी परिसर में 32 जगह ऐसे प्रमाण मिले हैं जो बता रहे हैं कि मस्जिद नहीं मंदिर था.
  2. देवनागरी, ग्रंथा, तेलगू, कन्नड़ के इंस्क्रिप्शन (पुरालेख) मिले हैं. इसके अलावा जनार्दन, रुद्र और विश्वेश्वर के इंस्क्रिप्शन मिले हैं.
  3. रिपोर्ट में एक जगह महामुक्ति मंडप लिखा है. एएसआई का कहना है कि यह बहुत महत्वपूर्ण बात है जो साबित करता है कि यह पूरा स्ट्रक्चर मंदिर का है.
  4. एक पत्थर पाया गया जो टूटा हुआ था. जिसके बाद एएसआई ने जदूनाथ सरकार की फाइंडिंग को सही पाया, जिसमें यह कहा गया है तत्कालीन आदि विश्वेशर मंदिर को 1669 में 2 सितंबर को ढहाया गया था. जो पहले के मंदिर के पिलर थे उनका इस्तेमाल बाद में मस्जिद निर्माण में किया गया.
  5. तहखाना S2 में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मिली हैं.
  6. पश्चिमी दीवार एक हिंदू मंदिर का हिस्सा है, उसे आसानी से पहचाना जा सकता है.
  7. 17वीं शताब्दी में मंदिर तोड़ा गया था, फिर उसे मस्जिद बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया.
  8. तहखाने में मिट्टी के अंदर दबी ऐसी आकृतियां मिलीं जो उकेरी हुई थीं.
  9. एक कमरे में अरबी और फारसी में लिखे पुरालेख मिले हैं. इनमें तीन नामों का उल्लेख प्रमुखता से है- जनार्दन, रुद्र, उमेश्वर.
  10. पुरालेख बताते हैं कि मस्जिद औरंगजेब के शासनकाल के 20वें वर्ष यानी 1667-1677 में बनी.

रिपोर्ट के बाद मुस्लिम पक्ष का क्या कहना है: फिलहाल इस पूरे स्ट्रक्चर और फाइंडिंग्स की डिटेल्स सामने आने के बाद अब मुस्लिम पक्ष आगे की प्लानिंग करने में जुट गया है. हालांकि जब मुस्लिम पक्ष से इस बारे में बातचीत की गई तो उनका कहना था कि हम पूरी रिपोर्ट को पढ़ने के बाद ही इस पर कोई प्रतिक्रिया देंगे. वहीं इस पूरे घटनाक्रम के बाद जो वादिनी महिलाएं हैं, वह काफी खुश नजर आ रही हैं. भगवान भोलेनाथ के गीत गुनगुनाते हुए जल्द मंदिर निर्माण का दावा भी कर रही हैं.

हिंदू पक्ष ने क्या कहा: मामले की वादिनी सीता साहू, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी और मंजू व्यास का कहना है कि यह हमारी मेहनत और भगवान भोलेनाथ के प्रति गहरी आस्था है जो इतने वर्षों से हमारे ही मंदिर पर बनी इस पूरी मस्जिद का सच अब सामने आ गया है. सीता साहू का कहना है कि हम जल्द ही आगे की कार्रवाई के लिए कानूनी एक्शन में आएंगे.

ये भी पढ़ेंः ज्ञानवापी ASI सर्वे रिपोर्ट: मंदिर तोड़कर बनाई गई थी मस्जिद, दीवारों और पिलर पर भी मिले निशान

वादी अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने ASI सर्वे रिपोर्ट के बारे में विस्तार से बताया.

वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वे रिपोर्ट की कॉपी गुरुवार को पांच लोगों को मिल गई है. मुकदमे से संबंधित पक्षकारों ने गुरुवार को अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था. इसके बाद रात करीब 9:00 बजे रिपोर्ट की कॉपी दोनों पक्ष को मिली. 839 पन्नों की रिपोर्ट में 15 ऐसे पन्ने हैं जो पूरी रिपोर्ट का कंक्लूजन है. जिसके बाद विष्णु शंकर जैन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए फाइंडिंग्स का जिक्र किया.

एएसआई रिपोर्ट में क्या कहा गया

  1. ज्ञानवापी परिसर में 32 जगह ऐसे प्रमाण मिले हैं जो बता रहे हैं कि मस्जिद नहीं मंदिर था.
  2. देवनागरी, ग्रंथा, तेलगू, कन्नड़ के इंस्क्रिप्शन (पुरालेख) मिले हैं. इसके अलावा जनार्दन, रुद्र और विश्वेश्वर के इंस्क्रिप्शन मिले हैं.
  3. रिपोर्ट में एक जगह महामुक्ति मंडप लिखा है. एएसआई का कहना है कि यह बहुत महत्वपूर्ण बात है जो साबित करता है कि यह पूरा स्ट्रक्चर मंदिर का है.
  4. एक पत्थर पाया गया जो टूटा हुआ था. जिसके बाद एएसआई ने जदूनाथ सरकार की फाइंडिंग को सही पाया, जिसमें यह कहा गया है तत्कालीन आदि विश्वेशर मंदिर को 1669 में 2 सितंबर को ढहाया गया था. जो पहले के मंदिर के पिलर थे उनका इस्तेमाल बाद में मस्जिद निर्माण में किया गया.
  5. तहखाना S2 में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मिली हैं.
  6. पश्चिमी दीवार एक हिंदू मंदिर का हिस्सा है, उसे आसानी से पहचाना जा सकता है.
  7. 17वीं शताब्दी में मंदिर तोड़ा गया था, फिर उसे मस्जिद बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया.
  8. तहखाने में मिट्टी के अंदर दबी ऐसी आकृतियां मिलीं जो उकेरी हुई थीं.
  9. एक कमरे में अरबी और फारसी में लिखे पुरालेख मिले हैं. इनमें तीन नामों का उल्लेख प्रमुखता से है- जनार्दन, रुद्र, उमेश्वर.
  10. पुरालेख बताते हैं कि मस्जिद औरंगजेब के शासनकाल के 20वें वर्ष यानी 1667-1677 में बनी.

रिपोर्ट के बाद मुस्लिम पक्ष का क्या कहना है: फिलहाल इस पूरे स्ट्रक्चर और फाइंडिंग्स की डिटेल्स सामने आने के बाद अब मुस्लिम पक्ष आगे की प्लानिंग करने में जुट गया है. हालांकि जब मुस्लिम पक्ष से इस बारे में बातचीत की गई तो उनका कहना था कि हम पूरी रिपोर्ट को पढ़ने के बाद ही इस पर कोई प्रतिक्रिया देंगे. वहीं इस पूरे घटनाक्रम के बाद जो वादिनी महिलाएं हैं, वह काफी खुश नजर आ रही हैं. भगवान भोलेनाथ के गीत गुनगुनाते हुए जल्द मंदिर निर्माण का दावा भी कर रही हैं.

हिंदू पक्ष ने क्या कहा: मामले की वादिनी सीता साहू, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी और मंजू व्यास का कहना है कि यह हमारी मेहनत और भगवान भोलेनाथ के प्रति गहरी आस्था है जो इतने वर्षों से हमारे ही मंदिर पर बनी इस पूरी मस्जिद का सच अब सामने आ गया है. सीता साहू का कहना है कि हम जल्द ही आगे की कार्रवाई के लिए कानूनी एक्शन में आएंगे.

ये भी पढ़ेंः ज्ञानवापी ASI सर्वे रिपोर्ट: मंदिर तोड़कर बनाई गई थी मस्जिद, दीवारों और पिलर पर भी मिले निशान

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