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ग्वालियर की हवा में घुला जहर, आबोहवा दुरुस्त करने अलापुर पहाड़ी पर बिछेगी 'हरी' चादर

ग्वालियर की जहरीली हवा को कम करने अलापुर की पहाड़ी को किया जाएगा हराभरा. पेड़ों की वन विभाग करेगा देखरेख.

Alapur converted into forest city
अलापुर पहाड़ी को किया जाएगा हरा भरा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 9, 2024, 9:08 AM IST

Updated : Nov 9, 2024, 9:46 AM IST

ग्वालियर: देश में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण से कई इलाकों में आबोहवा जहरीली हो रही है. मध्य प्रदेश का ग्वालियर भी इस लिस्ट में शामिल है. दीपावली के दौरान ग्वालियर के अलग अलग क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 पार कर चुकी है. इन हालातों को देखते हुए प्रशासन भी चिंतित है. यही वजह है कि ग्वालियर की जहरीली होती जा रही आबोहवा को संभालने के साथ-साथ पर्यावरण को बचाने के लिए अहम कदम उठाने का फैसला लिया है. अब ग्वालियर में सिरोल की तरह, एक और पहाड़ को हरा भरा किया जाएगा, शहरी वन तैयार किया जाएगा. जिसके लिए प्रशासन और वन विभाग दोनों ही अपनी भूमिकाएं निभाएंगे.

दीपावली पर जहरीली थी ग्वालियर की हवा
जिस तरह ग्वालियर का विकास हो रहा है, शहरी क्षेत्र बढ़ता जा रहा है, यह एक बड़ी वजह है कि हर तरफ अब कांक्रीट के जंगल खड़े हो रहे हैं. यानी बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स बनायी जा रही हैं. जिसका असर सीधे तौर पर पर्यावरण पर भी देखने को मिल रहा है. पेड़ खत्म हो रहे हैं, वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. दीपावली के समय ही करीब 30 हजार नए वाहन सड़कों पर आए. जिसका मतलब है वायु प्रदूषण में और इजाफा होना तय है. लेकिन इन हालातों को देखते हुए प्रशासन ने सिरोल पहाड़ी की तरह अब अलापुर की पहाड़ी पर सिटी फॉरेस्ट बनाने का फैसला कर लिया है.

gwalior aqi level crossed 300
ग्वालियर की आबोहवा सबसे खराब (ETV Bharat)

जल्द शुरू होगी पहाड़ी पर पौधरोपण की प्रक्रिया
अलापुर पहाड़ी पर बनने वाले इस कृत्रिम जंगल को जिला प्रशासन और वन विभाग मिलकर डेवलप करेंगे. जिसके लिए कार्य योजना बनाकर इस पहाड़ी पर भारी संख्या में पौधारोपण कराया जाएगा. जिसके लिए प्रशासन के साथ साथ समाज सेवियों और संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा. ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने इस संबंध में अधिकारियों को दिशा निर्देश भी दे दिए हैं. उन्होंने कहा है कि, ''जल्द ही प्रशासन के द्वारा सुनियोजित कार्य योजना के तहत अलापुर पहाड़ी पर पौधरोपण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.''

पौधों की दो साल तक देखभाल ज़रूरी
लेकिन किसी स्थान को जंगल बनाने के लिए पौधारोपण ही काफी नहीं होता. डीएफओ अंकित पांडे की मानें तो, "किसी भी पौधे को पेड़ बनने के लिए कम से कम दो वर्ष की देखभाल करना आवश्यक होती है. इसके लिए उन्हें समय पर खाद और पानी मिलना आवश्यक है. हालांकि हरे भरे क्षेत्र में पौधे जल्द विकसित होते हैं, यह उस क्षेत्र की मिट्टी पर भी निर्भर करता है. जिस जगह पौधा लगाया जा रहा है दो साल के बाद यह बड़े पौधे आत्मनिर्भर हो जाते हैं.''

वर्तमान में क्या है हालात
बात अगर ग्वालियर की आबोहवा की करें तो नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अलग अलग क्षेत्रों में AQI मॉडरेट पुअर रेंज में है. शुक्रवार के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार,

GWALIOR MOST POLLUTED CITY
शुक्रवार के ताजा आंकड़े (ETV Bharat)

हाइकोर्ट के दख़ल से सिरोल पहाड़िया बना था सिटी फारेस्ट
ग्वालियर में सबसे पहले सिटी फॉरेस्ट सिरोल पहाड़िया (पहाड़ी) पर बनाया गया था. जिसके लिए हाईकोर्ट ग्वालियर खंडपीठ के प्रशासनिक न्यायाधिपति आनंद पाठक ने पहल की थी. उनके द्वारा कई अहम न्यायिक फैसलों में बड़ी संख्या में सिरोल पहाड़िया पर पौधरोपण कराया गया था. जिसका नतीजा कुछ ही सालों में यह पूरी पहाड़ी घने पेड़ों से हरी भरी हो गई. अब उसी उदाहरण को देखते हुए प्रशासन अलापुर की पहाड़ी पर भी शहरी वन बनाने जा रहा है.

gwalior aqi level crossed 300
जहरीली आबोहवा को किया जाएंगा दुरुस्त (ETV Bharat)

चिंताजनक हैं आंकड़े, चिंतन जरूरी
इन आंकड़ों को देखें तो यह काफी चिंताजनक हैं, यहां हवा की स्थिति लोगों के लिए चिंता का विषय है. क्योंकि शुद्ध हवा तो दूर लोग फेफड़ों में प्रदूषण भर रहे हैं. ऐसे में अब यह बेहद जरूरी हो चुका है कि लोग जागरूक हों और अस्पताल में ऑक्सीजन लेने से बेहतर पेड़ लगाए और शुद्ध ऑक्सीजन ग्रहण करें. इसका फायदा आम जन के साथ ही पर्यावरण को भी निश्चित तौर पर होगा.

ग्वालियर: देश में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण से कई इलाकों में आबोहवा जहरीली हो रही है. मध्य प्रदेश का ग्वालियर भी इस लिस्ट में शामिल है. दीपावली के दौरान ग्वालियर के अलग अलग क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 पार कर चुकी है. इन हालातों को देखते हुए प्रशासन भी चिंतित है. यही वजह है कि ग्वालियर की जहरीली होती जा रही आबोहवा को संभालने के साथ-साथ पर्यावरण को बचाने के लिए अहम कदम उठाने का फैसला लिया है. अब ग्वालियर में सिरोल की तरह, एक और पहाड़ को हरा भरा किया जाएगा, शहरी वन तैयार किया जाएगा. जिसके लिए प्रशासन और वन विभाग दोनों ही अपनी भूमिकाएं निभाएंगे.

दीपावली पर जहरीली थी ग्वालियर की हवा
जिस तरह ग्वालियर का विकास हो रहा है, शहरी क्षेत्र बढ़ता जा रहा है, यह एक बड़ी वजह है कि हर तरफ अब कांक्रीट के जंगल खड़े हो रहे हैं. यानी बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स बनायी जा रही हैं. जिसका असर सीधे तौर पर पर्यावरण पर भी देखने को मिल रहा है. पेड़ खत्म हो रहे हैं, वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. दीपावली के समय ही करीब 30 हजार नए वाहन सड़कों पर आए. जिसका मतलब है वायु प्रदूषण में और इजाफा होना तय है. लेकिन इन हालातों को देखते हुए प्रशासन ने सिरोल पहाड़ी की तरह अब अलापुर की पहाड़ी पर सिटी फॉरेस्ट बनाने का फैसला कर लिया है.

gwalior aqi level crossed 300
ग्वालियर की आबोहवा सबसे खराब (ETV Bharat)

जल्द शुरू होगी पहाड़ी पर पौधरोपण की प्रक्रिया
अलापुर पहाड़ी पर बनने वाले इस कृत्रिम जंगल को जिला प्रशासन और वन विभाग मिलकर डेवलप करेंगे. जिसके लिए कार्य योजना बनाकर इस पहाड़ी पर भारी संख्या में पौधारोपण कराया जाएगा. जिसके लिए प्रशासन के साथ साथ समाज सेवियों और संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा. ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने इस संबंध में अधिकारियों को दिशा निर्देश भी दे दिए हैं. उन्होंने कहा है कि, ''जल्द ही प्रशासन के द्वारा सुनियोजित कार्य योजना के तहत अलापुर पहाड़ी पर पौधरोपण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.''

पौधों की दो साल तक देखभाल ज़रूरी
लेकिन किसी स्थान को जंगल बनाने के लिए पौधारोपण ही काफी नहीं होता. डीएफओ अंकित पांडे की मानें तो, "किसी भी पौधे को पेड़ बनने के लिए कम से कम दो वर्ष की देखभाल करना आवश्यक होती है. इसके लिए उन्हें समय पर खाद और पानी मिलना आवश्यक है. हालांकि हरे भरे क्षेत्र में पौधे जल्द विकसित होते हैं, यह उस क्षेत्र की मिट्टी पर भी निर्भर करता है. जिस जगह पौधा लगाया जा रहा है दो साल के बाद यह बड़े पौधे आत्मनिर्भर हो जाते हैं.''

वर्तमान में क्या है हालात
बात अगर ग्वालियर की आबोहवा की करें तो नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अलग अलग क्षेत्रों में AQI मॉडरेट पुअर रेंज में है. शुक्रवार के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार,

GWALIOR MOST POLLUTED CITY
शुक्रवार के ताजा आंकड़े (ETV Bharat)

हाइकोर्ट के दख़ल से सिरोल पहाड़िया बना था सिटी फारेस्ट
ग्वालियर में सबसे पहले सिटी फॉरेस्ट सिरोल पहाड़िया (पहाड़ी) पर बनाया गया था. जिसके लिए हाईकोर्ट ग्वालियर खंडपीठ के प्रशासनिक न्यायाधिपति आनंद पाठक ने पहल की थी. उनके द्वारा कई अहम न्यायिक फैसलों में बड़ी संख्या में सिरोल पहाड़िया पर पौधरोपण कराया गया था. जिसका नतीजा कुछ ही सालों में यह पूरी पहाड़ी घने पेड़ों से हरी भरी हो गई. अब उसी उदाहरण को देखते हुए प्रशासन अलापुर की पहाड़ी पर भी शहरी वन बनाने जा रहा है.

gwalior aqi level crossed 300
जहरीली आबोहवा को किया जाएंगा दुरुस्त (ETV Bharat)

चिंताजनक हैं आंकड़े, चिंतन जरूरी
इन आंकड़ों को देखें तो यह काफी चिंताजनक हैं, यहां हवा की स्थिति लोगों के लिए चिंता का विषय है. क्योंकि शुद्ध हवा तो दूर लोग फेफड़ों में प्रदूषण भर रहे हैं. ऐसे में अब यह बेहद जरूरी हो चुका है कि लोग जागरूक हों और अस्पताल में ऑक्सीजन लेने से बेहतर पेड़ लगाए और शुद्ध ऑक्सीजन ग्रहण करें. इसका फायदा आम जन के साथ ही पर्यावरण को भी निश्चित तौर पर होगा.

Last Updated : Nov 9, 2024, 9:46 AM IST
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