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नहीं रहे गुजरात के जाने माने इतिहासकार मकरंद मेहता, 93 वर्ष की लंबी आयु में ली अंतिम श्वास - MAKARAND MEHTA PASSED AWAY

MAKARAND MEHTA PASSED AWAY : गुजराती साहित्य जगत के जाने माने वाले वरिष्ठ लेखक और इतिहासकार प्रोफेसर मकरंद मेहता का निधन हो गया. उन्होंने 20 से अधिक किताबें लिखी हैं, उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर छा गई है. पढ़ें पूरी खबर..

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मकरंद मेहता (गौरांग जानी की फेसबुक वॉल से)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 1, 2024, 7:05 PM IST

अहमदाबादः इतिहासकार और लेखक मकरंद मेहता, जिनका नाम गुजराती साहित्य जगत में सम्मान से लिया जाता है, उनका 93 साल की उम्र में निधन हो गया है. उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है.

गुजराती साहित्य के जाने माने वरिष्ठ लेखक, इतिहासकार प्रोफेसर मकरंद मेहता ने अंग्रेजी और गुजराती में 20 से अधिक किताबें लिखी हैं और सामाजिक और आर्थिक इतिहास पर कई शोध पत्र भी प्रकाशित किए हैं. खास कर के मकरंद मेहता ने हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलिज हुई फिल्म महाराज के मुख्य नायक करशनदास मुलजी के जीवन पर आधारीत पुस्तक में भी एक प्रतिकात्मक छाप छोड़ी है. मकरंद मेहता और अच्युत याग्निक ने करसनदास मूलजी के जीवन पर एक द्विशताब्दी पुस्तक लीखी है.

गौरतलब है कि इतिहासकार और लेखक मकरंद मेहता का जन्म 25 मई 1931 को अहमदाबाद के एक नागर ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उन्होंने महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, वडोदरा, पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय से पढ़ाई की. मकरंद मेहता ने गुजरात विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ साइंसेज में इतिहास विभाग का नेतृत्व किया. वह गुजरात समाचार, गुजरात इतिहास परिषद, गुजरात विद्या सभा और दर्शक इतिहास निधि सहित कई संगठनों से जुड़े थे. उनकी पत्नी डॉ. शिरीन मेहता भी एक इतिहासकार हैं.

उनकी पुस्तकों में द अहमदाबाद कॉटन टेक्सटाइल इंडस्ट्री: जेनेसिस एंड ग्रोथ, अर्बनाइजेशन इन वेस्टर्न इंडिया: ए हिस्टोरिकल पर्सपेक्टिव, बिजनेस हाउसेज इन वेस्टर्न इंडिया: ए स्टडी इन एंटरप्रेन्योरियल रिस्पांस 1850-1956 शामिल हैं. अंतिम सांस तक मेहता अपनी लेखन कार्य से जुटे रहे. वे अपने प्रत्येक प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए दिन में 12-12 घंटे काम करते थे.

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अहमदाबादः इतिहासकार और लेखक मकरंद मेहता, जिनका नाम गुजराती साहित्य जगत में सम्मान से लिया जाता है, उनका 93 साल की उम्र में निधन हो गया है. उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है.

गुजराती साहित्य के जाने माने वरिष्ठ लेखक, इतिहासकार प्रोफेसर मकरंद मेहता ने अंग्रेजी और गुजराती में 20 से अधिक किताबें लिखी हैं और सामाजिक और आर्थिक इतिहास पर कई शोध पत्र भी प्रकाशित किए हैं. खास कर के मकरंद मेहता ने हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलिज हुई फिल्म महाराज के मुख्य नायक करशनदास मुलजी के जीवन पर आधारीत पुस्तक में भी एक प्रतिकात्मक छाप छोड़ी है. मकरंद मेहता और अच्युत याग्निक ने करसनदास मूलजी के जीवन पर एक द्विशताब्दी पुस्तक लीखी है.

गौरतलब है कि इतिहासकार और लेखक मकरंद मेहता का जन्म 25 मई 1931 को अहमदाबाद के एक नागर ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उन्होंने महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, वडोदरा, पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय से पढ़ाई की. मकरंद मेहता ने गुजरात विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ साइंसेज में इतिहास विभाग का नेतृत्व किया. वह गुजरात समाचार, गुजरात इतिहास परिषद, गुजरात विद्या सभा और दर्शक इतिहास निधि सहित कई संगठनों से जुड़े थे. उनकी पत्नी डॉ. शिरीन मेहता भी एक इतिहासकार हैं.

उनकी पुस्तकों में द अहमदाबाद कॉटन टेक्सटाइल इंडस्ट्री: जेनेसिस एंड ग्रोथ, अर्बनाइजेशन इन वेस्टर्न इंडिया: ए हिस्टोरिकल पर्सपेक्टिव, बिजनेस हाउसेज इन वेस्टर्न इंडिया: ए स्टडी इन एंटरप्रेन्योरियल रिस्पांस 1850-1956 शामिल हैं. अंतिम सांस तक मेहता अपनी लेखन कार्य से जुटे रहे. वे अपने प्रत्येक प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए दिन में 12-12 घंटे काम करते थे.

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