बनासकांठा: भाई-बहनों के अटूट प्यार का पर्व रक्षाबंधन सोमवार 19 अगस्त को देश-दुनिया में बनाया गया. वहीं गुजरात के बनासकांठा जिले के थराद गांव की बहनें रक्षाबंधन के पर्व पर पाकिस्तान में बसे अपने भाइयों को प्रत्यक्ष रूप से राखी न बांध सकने के कारण उनकी आंखें भर आती हैं. इन बहनों ने मोबाइल पर वीडियो कॉल के जरिए अपने भाइयों की राखी बांधी.
दरअसल, वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध दौरान कई हिंदू परिवार पाकिस्तान छोड़कर गुजरात में आ गए थे और यहीं बस गए हैं. ऐसे में कुछ परिवार बनासकांठा के थराद गांव में भी आ बसे. वैसे तो त्योहार खुशियां लेकर आता है, लेकिन यहां की बहनों के लिए राखी का पर्व इनकी आंखों में आंसू लेकर आता है, क्योंकि रक्षाबंधन के दिन गुजरात की यह बहनें पाकिस्तान में बसे अपने भाइयों को राखी नहीं बांध सकतीं. लेकिन मोबाइल में वीडियो कॉल के जरिये भाई को राखी बांधने की रश्म निभाती हैं और एक-दूसरे का चेहरा देखकर भावुक हो जाते हैं. आज भी भाई की याद में बहनों की आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं.
1971 के युद्ध में भारत के वीर सैनिकों ने पाकिस्तान की सैना को धूल चटाई थी और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी. इस युद्ध के बाद कई हिंदू परिवारों ने पाकिस्तान छोड़ने का फैसला किया, जिसमें 100 परिवार गुजरात आ गए और इसे अपनी मातृभूमि मानकर नागरिकता स्वीकार कर ली, हालांकि इनमें से कई परिवारों के सदस्य आज भी पाकिस्तान में रह रहे हैं. चूंकि इन परिवारों की महिला बहनों के भाई 53 वर्षों से पाकिस्तान में रह रहे हैं, इसलिए आज भी बहनें रक्षाबंधन के दिन वीडियो कॉल पर ही राखी की सब रश्म निभाती हुईं भाइयों को ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद देती हैं और उनकी आंखें नम हो जाती हैं.
थराद की संतोकबेन और हुवा बेन नाम की बहनों ने कहा कि रक्षाबंधन के दौरान हमें अपने भाइयों की बहुत याद आती है, जब हम छोटे थे तो हम सभी त्योहार पाकिस्तान में मनाते थे. कुछ सालों से हम मोबाइल से वीडियो कॉलिंग के माध्यम से ही एक दूसरे का चेहरा देखकर आरती और तिलक लगाकर राखी की रश्में निभाते आ रहे हैं.
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