देहरादून: बचपन में अपने अपहरण की कहानी सुनाकर किसी को राजू तो किसी को भीम बताकर लोगों के घरों में शरण लेने वाले व्यक्ति पर यूपी की गाजियाबाद पुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. पुलिस का कहना है कि इस व्यक्ति का बचपन में कोई अपहरण नहीं हुआ था, बल्कि इस तरह की कहानी गढ़कर वो अपना बच्चा खोने वाले परिवारों को ठगा करता था. पुलिस ने आरोपी के बारे में और भी कई चौंकाने वाली बातें बताई हैं. आरोपी ने उत्तराखंड के देहरादून में भी एक परिवार के साथ इस तरह का इमोशनल खेल खेला था.
पहले जानिए क्या है पूरा मामला: दरअसल, 24 नवंबर 2024 को एक व्यक्ति गाजियाबाद के खोड़ा थाने पहुंचा, वहां उसने अपना नाम राजू बताया. राजू ने पुलिस को बताया कि करीब 30 साल पहले उसे किसी ने किडनैप कर लिया था. किडनैपर ने उसे राजस्थान के जैसलमेर में काफी समय से बंधक बनाकर रखा. मौके देखकर एक दिन वो वहां से भाग गया और दिल्ली व गाजियाबाद आ गया. गाजियाबाद पुलिस ने भी राजू की दु:ख भरी कहानी सुनकर उसकी मदद करनी चाही और उसके बिछड़े परिवार से उसे मिलाने का प्रयास किया.
थाना साहिबाबाद पुलिस द्वारा खुद के अपहरण की झूठी सूचना देने व लोगों का पुत्र बताकर उनके साथ धोखाधड़ी करने वाला अभियुक्त को हिरासत में लेने के सम्बन्ध में ।
— POLICE COMMISSIONERATE GHAZIABAD (@ghaziabadpolice) December 6, 2024
बाइट- श्री निमिष पाटील, पुलिस उपायुक्त ट्रांस हिंडन जोन @Uppolice pic.twitter.com/0LJUFhzU7J
एक गलती से खुल गया राज: पुलिस ने सबसे पहले राजू की फोटो और उसकी कहानी सोशल मीडिया पर डाली. सोशल मीडिया पर राजू की कहानी और फोटो देखकर कई ऐसे लोग खोड़ा थाने पहुंचे जिनका बच्चा बचपन में खो गया था. तुलाराम नाम के एक व्यक्ति ने राजू को अपना खोया हुआ बेटा भीम सिंह उर्फ पन्नू बताया और खुशी-खुशी उसे अपने घर ले गया. हालांकि, कुछ दिनों बाद तुलाराम को भीम सिंह पर कुछ शक हुआ. इसके बाद तुलाराम ने गाजियाबाद की साहिबाबाद थाना पुलिस से संपर्क किया.
साहिबाबाद थाना पुलिस ने तुलाराम की शिकायत पर मामले की जांच शुरू की और राजू से पूछताछ की तो चौंकाने वाला सच सामने आया. क्योंकि इस तरह की एक स्टोरी कुछ दिनों पहले ही देहरादून से भी सामने आई थी. जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि आरोपी ने जुलाई 2024 में देहरादून पुलिस को भी ऐसी ही कहानी सुनाई थी.
देहरादून पुलिस ने भी की थी मदद: साहिबाबाद पुलिस के संपर्क करने पर दून पुलिस ने उनको बताया था कि ये व्यक्ति जुलाई 2024 उनके पास आया था. इसके बाद देहरादून पुलिस ने भी समाचार पत्रों में मोनू के बारे में विज्ञापन छपवाए थे. खबर पढ़कर देहरादून के रहने वाले कपिल देव शर्मा और आशा देवी भी इसी उम्मीद में देहरादून पुलिस के पास पहुंचे थे कि मोनू उनका 17 साल पहले खोया हुआ बेटा तो नहीं?
अपने साथ ले गई थीं आशा देवी: तब आशा देवी ने मोनू को अपना खोया हुआ बेटा बताया और उसे अपने साथ ले गई थीं. घर में सब खुश थे कि 17 साल पहले 2008 में उनका जो बेटा खो गया था, वो उनको मिल गया. आशा देवी को तो मोनू पर पूरा यकीन था कि वो उनका खोया हुआ बेटा ही है, लेकिन आशा देवी के पति को मोनू की कहानी पर कुछ शक था. वहीं मोनू ने घर में सबको परेशान करना भी शुरू कर दिया था. साथ ही वो माता-पिता पर हाथ भी उठाने लगा था. इसके अलावा अपनी बहन के बच्चों को वो घर से भगा देता था. हालांकि, कुछ दिनों बाद दिल्ली में नौकरी करने की बात कहकर मोनू घर से चला गया और फिर वापस नहीं आया.
साहिबाबाद पुलिस ने निकाला सच: इसके बाद साहिबाबाद पुलिस ने सख्ती से आरोपी से पूछताछ को तो उसने सारा सच बता दिया. पुलिस पूछताछ में पता चला कि आरोपी का असली नाम इंद्रराज (पुत्र चुन्नीलाल मेघवाल निवासी वार्ड नंबर 10 जिला अनूपगढ़ राजस्थान) है, जो पहले भी कई आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहा है.
बनाता था अपहरण की झूठी कहानी: पुलिस ने बताया कि आरोपी इंद्रराज बचपन में अपने अपहरण की झूठी कहानी बताकर ऐसे लोगों के यहां बेटा बनकर रहने लगता था, जिनकी औलाद बचपन से ही लापता है. आरोपी बचपन से ही चोरी की वारदातों में शामिल रहा है, इसलिए उसके असली घरवालों ने उसे परिवार से बेदखल कर दिया था. इसके बाद वो इसी तरह अपनी पहचान बदलकर करीब 9 परिवारों के साथ रहा.
पुलिस ने बताया कि जब एक परिवार में उस पर काम का बोझ बढ़ने लगता तो वो दूसरा परिवार खोजता था. पुलिस के अनुसार, आरोपी किसी भी जिले के थाने में जाकर अपनी झूठी अपरहण की कहानी सुनाता, इसके बाद वहां की पुलिस भी सोशल मीडिया के जरिए उसका परिवार ढूंढने में मदद करती. वहां कोई न कोई ऐसा परिवार मिल ही जाता था, जो उसमें अपना खोया हुआ बच्चा देखता था.
शातिर किस्म का है आरोपी: पुलिस ने बताया कि आरोपी इतना शातिर है कि कोई परिवार जब आपस में बात करता था, तो यह समझ जाता कि परिवार में कितने सदस्य हैं. पुलिस अभी भी मामले की जांच कर रही है. वहीं, इस मामले को लेकर देहरादून पुलिस के एसपी ने बताया कि यदि देहरादून का परिवार इस मामले में शिकायत करेगा तो आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल गाजियाबाद पुलिस मामले की जांच कर रही है.
पुलिस की नाक में कर रखा है दम: देहरादून में ह्यूमन ट्रैफिकिंग विंग के इंचार्ज प्रदीप पंत ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि गाजियाबाद पुलिस देहरादून ह्यूमन ट्रैफिकिंग कार्यालय आई थी और उन्होंने उस घर में भी पूछताछ की जहां यह 5 महीने तक झूठी जानकारी के आधार पर परिवार के सदस्य के रूप में रहा था.
ह्यूमन ट्रैफिकिंग विंग के स्टाफ से जब ईटीवी भारत पर बात की तो उन्होंने कहा कि इस शख्स ने लंबे समय तक पुलिस की नाक में भी दम करके रखा और हर बार एक नई कहानी के साथ पुलिस के सामने अपनी सफाई रखता रहा. उन्होंने कहा कि यह शख्स बहुत शातिर था और इसने मैरिज ब्यूरो में भी देहरादून से अपना रजिस्ट्रेशन कराया और हरिद्वार की किसी महिला से शादी करने का भी प्रयास किया. लेकिन बात नहीं बन पाई.
खास बात यह भी थी कि परिवार के लोगों ने जिन-जिन बातों को कहा वह सभी बातें इस युवक से मैच हो रही थी. शुरू में यह युवक खुद को बिल्कुल अनजान जताता रहा. और जैसे-जैसे इस युवक ने देहरादून के निरंजनपुर मंडी के पास रहने वाले इस परिवार की सारी बातों को समझा वैसे-वैसे इसने परिवार से लड़ना झगड़ना शुरू कर दिया और करीब 5 महीने साथ रहने के बाद दिल्ली जाने की बात कह कर घर से रवाना हो गया. ह्यूमन ट्रैफिकिंग विंग का स्टाफ बताता है कि दिल्ली जाने से पहले इस युवक ने उन्हें भी इस बात की जानकारी दी थी.
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