देहरादून (उत्तराखंड): बीती 10 मई को उत्तराखंड के चार धामों के कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही और यात्रा को शुरू हुए पूरा एक महीना हो गया है. इस बार की यात्रा के 30 दिन बड़े ही चुनौतीपूर्ण गुजरे हैं. सरकार और प्रशासन के लिहाज से यह यात्रा फिलहाल सामान्य हो गई है, लेकिन हकीकत ये है कि बीते 30 दिनों में यात्रा कई ऐसी कठिनाइयों से गुजरी जिसकी चर्चा न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश में हुई.
यात्रा और मौत: उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में साल 2023 में एक महीने में इतनी मौतें नहीं हुई थीं, जितनी मौतें इस बार की यात्रा में देखने के लिए मिली हैं. हैरानी की बात ये है कि इस बार यात्रा के शुरुआती दिनों में ही मौत के आंकड़ों ने रिकॉर्ड तोड़ दिया था. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक चारों धामों की यात्रा के दौरान 114 लोगों की मौत हो चुकी है. सबसे ज्यादा मौत का आंकड़ा केदारनाथ धाम का है. केदारनाथ में अब तक 57 मौत हो चुकी हैं, यानी केदारनाथ में हर दिन लगभग दो मौत हो रही है.
ऐसा ही हाल चारधाम यात्रा में बदरीनाथ धाम का भी है, जहां पर अब तक 26 मौत हो चुकी हैं, बाकी यमुनोत्री में 23 और गंगोत्री में 8 लोगों की मौत हुई है. मौत के आंकड़ों को लेकर भी चारधाम यात्रा इस एक महीने में खूब चर्चाओं में रही. इस साल अत्यधिक भीड़ और हृदय समस्याओं के कारण यात्रियों की मौत ने सरकार को शुरुआती दिनों से ही परेशान करके रखा हुआ है. सरकार को भी ये कहना पड़ा कि 50 साल से अधिक उम्र के लोग अपना स्वास्थ्य परीक्षण करके ही उत्तराखंड में दाखिल हों.
शुरुआत में विरोध: चारधाम यात्रा का विरोध भी इस बार सबसे बड़ा चर्चा का कारण बना. धार्मिक अनुष्ठान आयोजन या मंदिरों के कपाट खुलने के बाद ऐसा बहुत कम होता है जब व्यवस्थाओं को लेकर स्थानीय तीर्थ पुरोहित, दुकानदार और यात्रियों का विरोध देखा जाए. लेकिन इस बार केदारनाथ धाम खुलने के अगले दिन ही तीर्थ पुरोहितों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया था. यह हड़ताल रुद्रप्रयाग और केदारनाथ में देखने को मिली थी.
इसके साथ ही सरकार को VIP दर्शन और यात्रियों की संख्या सीमित करने के आदेश के बाद भी स्थानीय व्यापारियों और तीर्थ पुरोहितों का विरोध झेलना पड़ा. हालांकि, इसके बाद सरकार ने श्रद्धालुओं के रजिस्ट्रेशन का रास्ता खोला. चारधाम यात्रा के इतिहास में भी ऐसा पहली बार हुआ जब गंगोत्री धाम में तीर्थ पुरोहितों ने अपने विरोध के चलते काफी देर तक मंदिर के कपाट बंद रखे.
भक्तों की भीड़: चारधाम यात्रा में इस बार सबसे अधिक चर्चा के केंद्र शुरुआती दिनों से ही उमड़ रही भीड़ को लेकर भी है. यात्रा की शुरुआत से ही ऐसी भीड़ उमड़ी जिससे सरकार के माथे पर ही बल पड़ गया. अत्यधिक भीड़ होने के कारण यात्रियों को अव्यवस्थाओं का भी सामना करना पड़ा था.
इस बार सबसे अधिक भीड़ की चर्चा यमुनोत्री धाम मार्ग पर रही. कपाट खुलने के अगले ही दिन यमुनोत्री धाम की जो तस्वीर सामने आई उसने सभी को डरा कर रख दिया. संकरे रास्ते पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ से भयंकर जाम लग गया. ये देख प्रशासन के भी हाथ-पांव फूले क्योंकि अगर कोई दुर्घटना होती तो एक बहुत बड़ी अनहोनी हो सकती थी. हालांकि, समय से चीजों को संभाला गया.
ऐसे ही तस्वीर केदारनाथ धाम से भी उस वक्त सामने आई जब यात्रियों को रुद्रप्रयाग से केदारनाथ धाम की तरफ भेजा गया. एकाएक अत्यधिक संख्या में यात्रियों के आने से पुलिस प्रशासन को भी व्यवस्था को संभालने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इसी बीच तीर्थयात्रियों और पुलिस जवानों के बीच धक्का-मुक्की का वीडियो भी सामने आया. चारधाम यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं की ये भीड़ आज भी ऋषिकेश और हरिद्वार के रजिस्ट्रेशन काउंटर पर देखी जा सकती है.
बात करें श्रद्धालुओं की तो अब तक 20 लाख से अधिक श्रद्धालु चारों धामों के दर्शन कर चुके हैं. अकेले केदारनाथ में ही ये आंकड़ा 7 लाख 80 हजार के पार पहुंच गया है. इसके साथ ही बदरीनाथ में भी आंकड़ा लगभग 5 लाख के करीब है.
मंदिर में NO मोबाइल: चारधाम यात्रा पर इस बार सरकार के कुछ फैसले भी बेहद अधिक चर्चा का केंद्र रहे. इसमें शासन की ओर से एक फैसला लिया गया था कि चारधाम मंदिरों के 50 मीटर के दायरे में किसी भी तरह की फोटो या वीडियोग्राफी करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी. सरकार ने ये तर्क दिया था कि वीडियो और फोटोग्राफी करने वाले लोग मंदिर में अव्यवस्था का कारण बनते हैं. लिहाजा कई बार अत्यधिक भीड़ इकट्ठा हो जाती है.
इसी बीच केदारनाथ धाम पहुंचकर ढोल नगाड़ों के साथ शूट कर रहे कुछ यूट्यूबर्स का काफी विरोध हुआ. जब ये तस्वीर केदारनाथ से बाहर निकली तो चर्चा का केंद्र बनी. पुलिस ने अब तक 500 से अधिक ऐसे लोगों के चालान किए हैं जो मंदिर परिसर में फोटो या वीडियोग्राफी कर रहे थे.
केदार में THAR: इस एक महीने की यात्रा के दौरान केदारनाथ में एक और मामला बेहद चर्चाओं में रहा. जब सेना के हेलीकॉप्टर से दो थार गाड़ियों को केदारनाथ में पहुंचाया गया. पर्यटन विभाग ने इन गाड़ियों को बुजुर्ग, मरीज और दिव्यांगजनों को सुरक्षित दर्शन करवाने के लिए धाम में पहुंचाया था.
इसी बीच एक वीडियो सामने आया जिसमें ये देखा गया कि बुजुर्ग और असहाय लोगों के लिए मंगवाई गई थार में कुछ लोग सैर सपाटा कर रहे हैं. कुछ परिवारों के इस गाड़ी में घूमते हुए वीडियो सामने के बाद प्रशासन को सफाई देने पर मजबूर होना पड़ा. शासन ने भी संबंधित कर्मचारी और अधिकारी पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए. हालांकि, अब तक चार दिन बीत जाने के बाद भी इस मामले में किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
VIP की नो एंट्री: चारधाम यात्रा में एक महीने में एक और विषय चर्चा का केंद्र रहा और वो था सरकार द्वारा वीआईपी दर्शन पर रोक. यात्रा खुलने के बाद चारधाम में अत्यधिक भीड़ को देखते हुए सरकार ने पहले 31 मई तक VIP दर्शन पर पूरी तरह से रोक लगाई थी. उसके बाद भी सरकार ने इस फैसले पर पुनर्विचार करते हुए 10 जून तक वीआईपी दर्शन पर रोक लगा रखी थी. हालांकि, अब ये रोक हटा दी गई है.
सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया था क्योंकि चारधाम यात्रा पर अतिथियों के आने के बाद व्यवस्थाएं न केवल बिगड़ जाती थी बल्कि तीर्थ पुरोहित भी इस व्यवस्था को फिलहाल रोकना चाहते थे. दरअसल, एक माननीय के दर्शन की वजह से सैकड़ों भक्तों को न केवल इंतजार करना पड़ता था बल्कि प्रोटोकॉल के लिए प्रशासन को भी अलग से व्यवस्था करनी पड़ती थी. अत्यधिक भीड़ की वजह से सरकार ने तमाम राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर ये आग्रह किया था कि फिलहाल चारधाम यात्रा पर कोई भी वीआईपी न आएं.
हेली विवाद: उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में हेली विवाद भी खूब चर्चा में रहा. हेली फर्जी टिकट की खरीद फरोख्त हो या अचानक एमरजेंसी लेंडिंग के दौरान सभी भक्तों का सुरक्षित बचना. हजारों श्रद्धालु रोजाना बदरी-केदार में हेली से पहुंचते हैं. बीती 24 मई को एक वीडियो सामने आया जिसने देखने वाली की सांसें रोक दी. केदारनाथ धाम में लैंडिंग के समय एक हेलीकॉप्टर का रूडर खराब होने से पायलट को इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी. जो वीडियो सामने आया उसमें हेलीकॉप्टर जोर से झूलते हुए एक पहाड़ी से टकराकर रुक गया था. हालांकि, कोई हादसा नहीं हुआ और पायलट सहित बाकी 6 श्रद्धालुओं की जान बच गई.
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